सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) की याचिका खारिज कर दी है. इस याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाले पैनल की रिपोर्ट को चुनौती दी थी. जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से ढेर सारा कैश मिला था. आतंरिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी ने इस मामले में जस्टिस वर्मा को दोषी पाया था. इसी रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी. जस्टिस वर्मा ने इस सिफारिश को वापस लेने की भी मांग की थी.
जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ीं, घर से मिले कैश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी
Justice Yashwant Varma के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से ढेर सारा कैश मिला था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी ने इस मामले में जस्टिस वर्मा को दोषी पाया था.

30 जुलाई को मामले की सुनवाई के बाद, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 7 अगस्त को फैसला सुनाते हुए पीठ ने शुरू में ही कहा कि आंतरिक जांच में भाग लेने के दौरान जस्टिस वर्मा के आचरण, और बाद में इंटरनल पैनल की क्षमता पर सवाल उठाने के मद्देनजर रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की सुनवाई के दौरान दो सवाल प्रमुखता से उठाए गए थे- क्या जांच को कानूनी मान्यता प्राप्त है? क्या ये प्रक्रिया समानांतर और ‘एक्स्ट्रा कांस्टीट्यूशनल’ है? न्यायमूर्ति दत्ता ने फैसला सुनाते हुए कहा,
हमने कहा है कि इस प्रक्रिया को कानूनी मान्यता प्राप्त है. हमने ये भी माना है कि ये कोई समानांतर और गैर संवैधानिक (एक्स्ट्रा कांस्टीट्यूशनल) प्रक्रिया नहीं है. बेंच ने माना कि तत्कालीन CJI ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार समिति का गठन किया था.
मामले में इस बात को लेकर भी आपत्ति जताई गई थी कि घटना का वीडियो सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाला गया था. पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर आग लगने की घटना की तस्वीरें और वीडियो अपलोड करने पर जस्टिस वर्मा की आपत्ति का कोई आधार नहीं है. ये भी कहा गया कि जस्टिस वर्मा ने उचित समय पर तस्वीरें और वीडियो अपलोड करने को चुनौती नहीं दी.
महाभियोग की प्रक्रिया तेज हो सकती हैसंसद के दोनों सदनों में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी चल रही है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के ठीक पहले, राज्यसभा में महाभियोग को लेकर नोटिस भी दे दिया गया था, जिस पर विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर थे. दूसरी ओर लोकसभा में भी महाभियोग की तैयारी है. रिपोर्ट है कि पक्ष-विपक्ष के बहुत सारे सांसदों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
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FIR की मांग वाली याचिका भी खारिजइस दौरान बेंच ने एक और मामले पर फैसला सुनाया. अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा ने अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया.
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