The Lallantop

CJI की कुर्सी संभालने जा रहे जस्टिस सूर्यकांत की कहानी, कभी साढ़े पांच सौ रुपये में लड़ा था पूरा केस

Justice Suryakant: मौजूदा CJI जस्टिस गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे और उन्होंने कानून मंत्रालय को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का नाम भेज दिया है. जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा. यानी लगभग दो साल से ज़्यादा, जो उन्हें हाल के वर्षों के सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीजेआई में शामिल करता है.

Advertisement
post-main-image
जस्टिस सूर्यकांत

कभी हिसार के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला लड़का, जो अंग्रेज़ी में कमजोर था लेकिन ‘ड्राफ्टिंग’ में उस्ताद बन गया - वही अब भारत की न्याय व्यवस्था का सबसे बड़ा चेहरा बनने जा रहा है. जस्टिस सूर्यकांत, जो आज सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, 24 नवंबर को देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर शपथ लेंगे.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

मौजूदा चीफ जस्टिस जस्टिस गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे और उन्होंने कानून मंत्रालय को अपने उत्तराधिकारी के रूप में सूर्यकांत का नाम भेज दिया है. सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा. यानी लगभग दो साल से ज़्यादा, जो उन्हें हाल के वर्षों के सबसे लंबे कार्यकाल वाले CJIs में शामिल करता है. जस्टिस गवई ने सिफारिश के साथ लिखा,

जस्टिस सूर्यकांत भी मेरी तरह एक संघर्षशील परिवार से आते हैं. और इसीलिए मुझे यक़ीन है कि वो ज़रूरतमंदों के हक़ में खड़े होंगे.

Advertisement
हिसार से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर: मिट्टी से निकली मेहनत की मिसाल

10 फरवरी 1962, हिसार ज़िले के पेटवाड़ गांव में जन्मे सूर्यकांत की पढ़ाई-लिखाई गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई. बाद में उन्होंने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हिसार से ग्रेजुएशन और फिर 1984 में MDU, रोहतक से LLB की डिग्री हासिल की. उस वक्त ही वो यूनिवर्सिटी टॉपर बने और कई मेडल जीते. वो खुद बताते हैं,

अंग्रेज़ी देर से सीखी, लेकिन मेहनत जल्दी शुरू कर दी.

उन्होंने हिसार की ज़िला अदालत से वकालत शुरू की. शुरुआती दिनों में पूरे केस की फीस मिलती थी 550 रुपये, और बाद में सिर्फ एक ड्राफ्ट लिखने के 1100 रुपये. क्योंकि उनकी ‘ड्राफ्टिंग’ ऐसी होती थी कि केस का रुख ही पलट जाए.

Advertisement
हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल से सुप्रीम कोर्ट तक

जस्टिस सूर्यकांत ने 1985 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और जल्द ही संविधान, सेवा और सिविल मामलों के विशेषज्ञ माने जाने लगे. साल 2000 में महज़ 38 साल की उम्र में वो हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने.

2001 में सीनियर एडवोकेट, 2004 में हाईकोर्ट जज, 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने. यानी 35 साल का सफर - गांव के स्कूल से सुप्रीम कोर्ट तक.

न्याय सिर्फ अदालत में नहीं, ज़मीन पर भी

जस्टिस सूर्यकांत का फोकस हमेशा लोगों पर रहा. वो सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन हैं - जो गरीबों और हाशिये पर खड़े लोगों को फ्री लीगल एड देती है.  वो NALSA के सदस्य रह चुके हैं और NLU रांची में गेस्ट लेक्चरर भी रहे हैं.  यानी किताबों से निकले न्याय को उन्होंने ज़मीनी स्तर तक पहुंचाया.

महत्वपूर्ण केस: 370 से लेकर राजद्रोह और केजरीवाल तक

जस्टिस सूर्यकांत, पिछले दो सालों में कई अहम केस का हिस्सा बनें. जिनमें से कुछ मामले तो काफी चर्चित भी रहे. आर्टिकल 370 केस: जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के फ़ैसले की बेंच में शामिल रहे.

  • राजद्रोह कानून: उस बेंच में शामिल थे जिसने कहा - जब तक समीक्षा नहीं होती, राजद्रोह के तहत नई FIR दर्ज नहीं होगी.
  • अरविंद केजरीवाल बेल केस: उन्होंने कहा, “जांच एजेंसियों को ‘पिंजरे का तोता’ कहे जाने की छवि से बाहर आना चाहिए.”
  • वन रैंक, वन पेंशन: योजना को सही ठहराया, कहा - “बराबर रैंक वालों को बराबर सम्मान और पेंशन मिलनी चाहिए.”
  • महिला सरपंच केस: एक महिला सरपंच को गलत तरीके से हटाया गया था, उन्होंने बहाल किया - “यह जेंडर भेदभाव है.”
  • घरेलू कामगारों पर आदेश: कहा - “सरकार को घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाना चाहिए.”

AI पर सख्त, युवाओं को आईना दिखाने वाले जज

एक केस में जब किसी पक्ष ने AI से जनरेट किया हुआ डेटा जमा किया तो उन्होंने दो टूक कहा,

AI इंसानों से बना है, उसमें बायस है. अदालत में कॉपी-पेस्ट नहीं, समझ और रिसर्च चाहिए.

इसी तरह ‘India’s Got Latent’ केस में उन्होंने कहा,

आज की जनरेशन को लगता है कि हम पुराने हैं, लेकिन हमें पता है कि इन्हें सही कैसे करना है.

फैमिली लॉ और जेंडर सेंसिटिविटी पर ठोस राय

जस्टिस सूर्यकांत फैमिली लॉ और जेंडर सेंसिटिविटी पर अपनी राय के लिए भी जाने जाते हैं. डोमेस्टिक वायलेंस केस की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा था,

शादी को सदियों से एक हथियार बनाया गया है, जिससे पुरुषों ने महिलाओं को दबाया.

उनका मानना है कि फैमिली लॉ को सिर्फ तलाक़ तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि परिवार की संरचना को ठीक करने का ज़रिया बनना चाहिए.

जेल सुधार और बेटियों की पढ़ाई 

जस्टिस सूर्यकांत जब हरियाणा हाईकोर्ट में थे, उन्होंने जेल सुधार के लिए कमेटी बनाने का आदेश दिया और ओपन प्रिजन सिस्टम का आइडिया दिया. एक केस में हत्या के आरोपी की सज़ा सुनाते वक़्त उन्होंने उसकी चार अनाथ बेटियों की ज़िम्मेदारी उठाई.  55 लाख रुपये की पढ़ाई की व्यवस्था खुद करवाई.

हिसार का बेटा अब देश का चीफ जस्टिस बनेगा

हिसार में लोग मिठाइयां बांट रहे हैं.  क्योंकि जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा से आने वाले पहले व्यक्ति होंगे जो देश के चीफ जस्टिस बनेंगे. उनकी नियुक्ति MoP (Memorandum of Procedure) के तहत पारदर्शी तरीके से हुई - यानी सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को ही कुर्सी मिली.

बतौर CJI चुनौतियों की लंबी लिस्ट

CJI बनने के बाद उनके सामने पहली बड़ी चुनौती होगी - करीब 90,000 लंबित मामलों का निपटारा. अब देखना होगा कि क्या हिसार के खेतों से निकलकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ये जज भारत की न्याय व्यवस्था को नई दिशा दे पाएंगे.

जिसने गांव की गलियों में अंग्रेज़ी सीखी, अदालतों में ड्राफ्टिंग सीखी और अब इंसाफ़ का सिस्टम बदलने जा रहा है. जस्टिस सूर्यकांत, वो चेहरा, जो साबित करता है कि अगर हौसले सच्चे हों, तो हिसार से भी सुप्रीम कोर्ट तक का रास्ता बन जाता है.

वीडियो: किन ज़रूरी फैसलों का हिस्सा रहे हैं नूपुर शर्मा को डांट लगाने वाले जस्टिस सूर्यकांत?

Advertisement