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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तो इस्तीफा दे दिया, अब आगे क्या?

74 वर्षीय Jagdeep Dhankar ने अगस्त 2022 में देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था. 2027 में उनका कार्यकाल पूरा होना था. लेकिन उन्होंने कार्यकाल पूरा होने के दो साल पहले ही इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद आगे की कार्रवाई क्या, उपराष्ट्रपति के चुनाव कब और कैसे होंगे, चलिए बताते हैं.

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21 जुलाई को धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया था इस्तीफा. (फोटो- पीटीआई)

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar Resigns) अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं. वीवी गिरी और आर वेंकटरमन ने भी कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया था, मगर राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए. 

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अब सवाल उठता है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद आगे की कार्रवाई क्या है? अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव कब और कैसे होगा? अब राज्यसभा की अध्यक्षता कौन करेगा? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं….

कौन संभालेगा उपराष्ट्रपति का पद?

संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है यानी उनकी गैर-मौजूदगी में कोई अन्य व्यक्ति उपराष्ट्रपति का कार्यभार नहीं संभाल सकता. लेकिन उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. उनकी गैर मौजूदगी में उपसभापति सदन की अध्यक्षता करेंगे. फिलहाल उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह हैं. अब राज्यसभा की अध्यक्षता वही करेंगे.

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अगला चुनाव कब?

संविधान के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देते हैं तो छह महीने के अंदर चुनाव कराए जाने का प्रावधान है. लेकिन उपराष्ट्रपति के मामले में कोई तय समय सीमा संविधान में नहीं दी गई है. संविधान के आर्टिकल-68 के खंड 2 के मुताबिक, सिर्फ इतना लिखा गया है कि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं. उपराष्ट्रपति का चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग जल्द एलान कर सकता है. यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 के तहत कराया जाएगा. चुनाव के बाद जो भी अगला उपराष्ट्रपति चुना जाएगा वह पूरे 5 साल के लिए चुना जाएगा. 

कैसे चुना जाएगा नया उपराष्ट्रपति?

उपराष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य चुनते हैं. इसमें नॉमिनेटेड सदस्य भी शामिल होते हैं. लेकिन राज्य की विधानसभाएं इसमें हिस्सा नहीं लेतीं. चुनाव संसद भवन में होता है. सीक्रेट बैलेट से वोट डाला जाता है. उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है. इसमें वोटिंग खास तरह से होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं. वोटिंग के दौरान वोटर को एक ही वोट देना होता है. लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. बैलेट पेपर पर वोटर को पहली पसंद को 1, दूसरी को 2 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है.

कैसे होती है वोटों की गिनती?

चुनाव कौन जीतेगा? यह कोटे से तय होता है. जितने सदस्य वोट डालते हैं, उसकी संख्या को दो से डिवाइड किया जाता है. फिर इसमें +1 जोड़ा जाता है. मान लीजिए कि चुनाव में 787 सदस्यों ने वोट डाले तो इसे 2 से भाग देने पर 393.50 आता है. इसमें 0.50 को गिना नहीं जाता इसलिए ये संख्या 393 हुई. अब इसमें 1 जोड़ने पर 394 होता है. चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है. जिस कैंडिडेट को सबसे कम पहले पसंद के वोट मिलते हैं, उसे बाहर कर दिया जाता है. उसके वोट दूसरे पसंद वाले उम्मीदवार को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई कैंडिडेट जरूरी कोटा हासिल न कर ले.

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कौन बन सकता है उपराष्ट्रपति?

कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति बन सकता है लेकिन उसे इन जरूरी शर्तों को पूरा करना होगाः 

- भारत का नागरिक होना चाहिए.

- कम से कम 35 साल हो.

- राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य हो.

- सरकार या किसी सरकारी संस्था में लाभ के पद (office of profit) पर न हो.

वीडियो: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, पत्र में क्या लिखा?

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