यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) के नाम पर मिडिल-ईस्ट एशिया की दो बड़ी ताकतें युद्ध करने पर उतारू हैं. ईरान और इजरायल में ‘बमबारी’ चल ही रही थी कि अमेरिका ने भी इसमें ‘लेटरल एंट्री’ ले ली है. 22 जून को अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर 2 दर्जन से ज्यादा बम और मिसाइलें दागे हैं. अमेरिका और इजरायल का आरोप है कि ईरान परमाणु बम बनाने के लिए 'यूरेनियम एनरिचमेंट' में जी-जान से लगा है.
U-235: परमाणु बम का असली 'हीरो', जिसने इजरायल के साथ अमेरिका की भी नींद उड़ा रखी है
ईरान पर परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम एनरिचमेंट का आरोप है. इसे लेकर इजरायल और अमेरिका ने ईरान पर खूब बम बरसाए हैं. क्या होता है ये यूरेनियम एनरिचमेंट?

सवाल ये है कि ये यूरेनियम एनरिचमेंट या ‘यूरेनियम संवर्धन’ है क्या चीज जिसकी वजह से मिडिल-ईस्ट से लेकर अमेरिका और यूरोप तक की सरकारें टेंशन में हैं.
क्या है Uranium Enrichment?यूरेनियम एक धातु (Metal) है जो धरती के नीचे मिट्टी या चट्टान के रूप में पाई जाती है. इसे अयस्क रूप में जमीन से खनकर निकाला जाता है. परमाणु बम बनाने में सबसे जरूरी सामान यही होता है लेकिन हर यूरेनियम परमाणु बम बनाने में यूज नहीं होता.
दरअसल, प्राकृतिक यूरेनियम में भी तीन तरह के यूरेनियम होते हैं. इनको यूरेनियम के Isotopes (समस्थानिक) कहते हैं. इन तीनों में प्रोटॉन्स की संख्या एक बराबर होती है लेकिन न्यूट्रॉन्स अलग-अलग संख्या में होते हैं. यूरेनियम का एक आइसोटोप है U-234, जो नेचुरल यूरेनियम में सबसे कम मात्रा में होता है. सिर्फ 0.005 प्रतिशत. दूसरा है U-238. प्राकृतिक यूरेनियम में इसका हिस्सा सबसे ज्यादा 99 प्रतिशत से भी अधिक होता है, लेकिन यह परमाणु बम बनाए जाने में किसी काम का नहीं है.

तीसरा यूरेनियम-235 यानी U-235 है. परमाणु बम बनाने के काम में यही ‘असली हीरो’ है. इसकी खासियत ये है कि यह बहुत आसानी से टूटता है और जब टूटता है तो बहुत ज्यादा एनर्जी छोड़ता है. इसी से बड़ा धमाका (Explosion) होता है.
समस्या ये है कि धरती से जो यूरेनियम निकाला जाता है उसमें इसकी मात्रा सिर्फ 0.7 प्रतिशत होती है. इससे काम नहीं बनता. मूल यूरेनियम से बम बनाया भी तो वह ‘फुस्स बम’ होगा. किसी काम का नहीं होगा क्योंकि उसमें यूरेनियम-235 की मात्रा ‘बहुत-बहुत’ कम होती है.
ऐसे में नेचुरल यूरेनियम में U-235 की मात्रा 0.7 प्रतिशत से और ज्यादा बढ़ाते हैं. इस बढ़ाने की प्रक्रिया को ही यूरेनियम एनरिचमेंट या यूरेनियम संवर्धन कहते हैं.
ये मात्रा अगर 0 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा दी जाए तो यह न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में बिजली बनाने या कुछ खास रिसर्च और एडवांस रिएक्टर में काम आ जाता है. लेकिन इतने से अभी भी परमाणु बम नहीं बना सकते. इसके लिए और ज्यादा U-235 चाहिए. अगर एनरिचमेंट 90 फीसदी या उससे ज्यादा हो जाए तो यह न्यूक्लियर बम बनाने लायक हो जाता है.
हालांकि, यूरेनियम-235 की 60 प्रतिशत मात्रा भी काफी विध्वंसक हो सकती है. ईरान को लेकर दावा किया जाता है कि उसने 60 फीसद से ज्यादा यूरेनियम-235 इकट्ठा कर लिया है.

यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाते कैसे हैं?
U-235 एनरिचमेंट का प्रॉसेस यूरेनियम अयस्क (Ore) को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6) गैस में बदलकर शुरू होती है. अयस्क वो खनिज (Minerals) या रॉक्स (Rocks) होते हैं, जिसे शुद्ध करके उसमें से जरूरी धातुओं (Metals) को निकाला जाता है.
जमीन से निकाले गए यूरेनियम को हेक्साफ्लोराइड गैस में बदलने के बाद इसे स्पिनिंग सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है. स्पिनिंग सेंट्रीफ्यूज एक मशीन होती है, जो बहुत तेजी से घूमती है और चीजों को उनके वजन के हिसाब से अलग-अलग करती है. यह मशीन हल्के यूरेनियम-235 को भारी यूरेनियम-238 से अलग करता है. यूरेनियम-235 के कन्संट्रेशन को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए हजारों मशीनों के जरिए इसे एक के बाद एक स्टेप में और शुद्ध (Pure) किया जाता है.
इस तरह से यूरेनियम एनरिचमेंट की प्रक्रिया होती है. न्यूक्लियर बम बनाने के लिए इसकी मात्रा को 90 प्रतिशत तक करना होता है. ईरान पर यही आरोप है कि वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के नाम पर परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम-235 को जुटाने का काम कर रहा है. हालांकि, ईरान ने इससे साफ इनकार किया है. यहां तक कि अमेेरिका की इंटेलिजेंस प्रमुख तुलसी गबार्ड संसद में बयान दे चुकी हैं कि ईरान कोई परमामु बम नहीं बना रहा है, लेकिन खुद उनके राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को इस पर यकीन नहीं है.
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