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Infosys का झटका! 240 ट्रेनी कर्मचारियों की एक साथ छंटनी, कमरे में बुलाकर दिया टर्मिनेशन लेटर

Infosys Layoff: एक ट्रेनी ने बताया कि उन्हें 20-20 लोगों के बैच में एक कमरे में बुलाया गया. शाम 4 बजे तक ऐसा चला. अंदर जाने पर बताया जाता कि आज उनके काम का आखिरी दिन है. साथ ही उन्हें टर्मिनेशन लेटर भी दे दिया गया.

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इंफोसिस ने फिर से छंटनी की है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

मल्टीनेशनल आईटी कंपनी इंफोसिस ने 240 प्रशिक्षुओं (Infosys Fires Trainees) को नौकरी से निकाल दिया है. कंपनी की ओर से भेजे गए एक ईमेल के अनुसार, ये लोग कंपनी के इंटरनल एसेसमेंट में फेल हो गए थे.

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इससे पहले, फरवरी महीने में इंफोसिस ने 300 से ज्यादा प्रशिक्षुओं को निकाल दिया था. 

"कई प्रयासों के बावजूद पास नहीं हुए…"

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 अप्रैल को कंपनी ने 240 कर्मचारियों को ईमेल भेजा. इसमें लिखा,

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आप 'जेनेरिक फाउंडेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम' में तय मानदंडों पर खड़े नहीं उतरे. जबकि तैयारी के लिए अतिरिक्त समय, डाउट क्लीयरिंग सेशन और कई मॉक टेस्ट दिए गए. इसलिए आप अब इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा नहीं रह सकते.

Infosys ने मदद की भी बात की है

कंपनी ने कहा है कि वो NIIT और अपग्रेड के सहयोग से इन कर्मचारियों की नि:शुल्क मदद करेंगे. वो उनके लिए अपस्किलिंग प्रोग्राम लाएंगे. इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जिनकी छंटनी फरवरी में हुई थी.

इंफोसिस ने ईमेल में लिखा कि इस प्रोग्राम से बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (BPM) और आईटी उद्योग में संभावनाएं बढ़ेंगी. उन्होंने आगे लिखा,

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अगर आप इंफोसिस में अवसर खोजते हैं, तो हमने उसके लिए प्रोफेशनल आउटप्लेसमेंट सर्विस की योजना बनाई है. ट्रेनिंग के बाद आप इंफोसिस बीपीएम लिमिटेड में आवेदन कर सकते हैं.

और लोग निकाले जा सकते हैं

इस बीच न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि अगले सप्ताह एक और बैच के एसेसमेंट का रिजल्ट आना है. इसके बाद फिर से सौ से ज्यादा प्रशिक्षुओं की छंटनी हो सकती है. अखबार ने कंपनी से निकाले गए कुछ ट्रेनी कर्मचारियों से बात की है. 

ये भी पढ़ें: इंफोसिस ने इंजीनियर्स की भर्ती की, ढाई साल बाद नौकरी दी, 4 महीने बाद निकाल दिया

कमरे में बुलाया और नौकरी चली गई

एक ट्रेनी ने बताया कि 18 अप्रैल को उन्हें 20-20 लोगों के बैच में एक कमरे में बुलाया गया. शाम 4 बजे तक ऐसा चला. अंदर जाने पर बताया जाता कि आज उनके काम का आखिरी दिन है. साथ ही उन्हें टर्मिनेशन लेटर भी दे दिया गया. जो लोग कंपनी के हॉस्टल में रह रहे थे, उन्हें 21 अप्रैल तक छात्रावास खाली करने को कहा गया.

एक अन्य ट्रेनी ने बताया कि करीब दो साल के इंतजार के बाद इस कंपनी ने उन्हें नौकरी दी थी. महाराष्ट्र के एक प्रशिक्षु ने कहा कि सिस्टम इंजीनियरों को कंपनी साल के 3 से 3.5 लाख रुपये दे रही थी. और अब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा.

वीडियो: खर्चा-पानी: इंफोसिस को इतना बड़ा बनाने में नंदन नीलेकणि का क्या योगदान है?

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