IndiGo Airline पिछले कुछ दिनों से खबरों में बनी हुई है. खबर में रहने की वजह कभी Mahindra से BE 6E नाम को लेकर कॉपीराइट की लड़ाई होती है, तो कभी दुनिया की सबसे बेकार एयरलाइन की लिस्ट में नाम आना. इसको लेकर कंपनी ने जवाब भी दिया है, मगर लगता है जैसे रैम्प में फिसलन है.
IndiGo से यात्रा के दौरान टूटा यात्री का टखना, कंपनी के जवाब ने दर्द और बढ़ा दिया!
IndiGo Airline के साथ अपनी यात्रा की आपबीती एक यात्री ने X पर साझा की है. टखने की हड्डी को चूर-चूर करने वाली इस भयावह यात्रा का जिक्र यात्री ने डिटेल में किया है. पूरी घटना पर इंडिगो का जवाब और भी चौंकाने वाला है.

ऐसा हम कोई स्टोरी का मीटर बिठाने के लिए नहीं कह रहे. वाकई IndiGo के लिए रैम्प गीला है या उसमें थोड़ी नमी तो है. हम आपको एक यात्री की आपबीती बताने वाले हैं. हड्डियों का चूरा-चूरा करने वाली इस भयावह यात्रा का वर्णन खुद उस यात्री ने किया है.
इंडिगो रैम्प गाथारतनेंदु रे नाम के शख्स ने अपनी एक्स पोस्ट में उनके साथ घटी दुखद और दर्दनाक घटना का जिक्र डिटेल में किया है. हालांकि, बात 14 अगस्त की है, लेकिन उन्होंने अपना दर्द आज बयां किया है. 14 अगस्त की अल-सुबह रतनेंदु दिल्ली के टर्मिनल 2 पर इंडिगो की फ्लाइट से उतरते हैं. उनके समेत बाकी यात्रियों को प्लेन से उतारने के लिए एरोब्रिज की जगह रैम्प दिया जाता है. रैम्प से मतलब चक्के वाली व्यवस्था जिसमें ढलान होती है. इसमें सीढ़ियां नहीं होतीं और फर्श पर रबर जैसा कुछ बिछा होता है. जबकि ऐरोब्रिज एक उन्नत सिस्टम है जिसकी मदद से यात्री आसानी से चलकर सीधे बाहर आ जाते हैं.

रतनेंदु के मुताबिक जब प्लेन लैंड हुआ तब हल्की बारिश हो रही थी, जो रैम्प लगते-लगते बंद हो गई थी. वो सावधानी से रैम्प से उतरते हैं, मगर नमी की वजह से उनका पैर मुड़ जाता है. बोले तो ऐंकल ट्विस्ट हो जाता है. कुछ यात्री उनकी मदद करते हैं और उसके बाद इंडिगो का स्टाफ उनको व्हील चेयर मुहैया करवाता है.

इसके बाद स्टाफ उनको गुरुग्राम एक अस्पताल में लेकर जाता है. यहां पता चलता है कि उनका टखना मुड़ा नहीं है बल्कि टूट गया है.
रतनेंदु के टखने का ऑपरेशन हुआ है जिसके बाद उसके अंदर प्लेट से लेकर कई सारे स्क्रू लगे हैं. रतनेंदु अभी भी वाकर की मदद से चलते हैं और सब ठीक रहा तो अगले साल तक नॉर्मल लाइफ जी पाएंगे. इतना पढ़कर आपको लगेगा कि एयरलाइन ने उनका खयाल रखा और साथ में मुआवजा भी दिया होगा. लेकिन असली ट्विस्ट वहीं है.

रतनेंदु ने एयरलाइन से मुआवजा मांगा और रैम्प पर चलने के लिए तरीके भी बताने को कहा. उन्होंने Airsewa पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज की. इस पर इंडिगो का जवाब पढ़ लीजिए.
"हमने पाया कि उस दिन आप अकेले यात्री थे जिनके साथ ये घटना हुई. बाकी सभी यात्री आपसे पहले और आपके बाद सही से उतर गए. हमारी टीम ने आपका सहयोग किया. आपको अस्पताल पहुंचाया और तब तक वहां रहे जब तक आपकी पत्नी नहीं आ गईं."

मतलब, हम आपको कुछ नहीं देने वाले. बेचारे रतनेंदु ने गूगल खंगाला तो पता चला कि सिविल एविएशन सभी एयरलाइन कंपनियों को ऐरोब्रिज इस्तेमाल नहीं करने के लिए टोक चुका है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सिविल एविएशन साल 2018 में ही इंडियन एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को ऐरोब्रिज के इस्तेमाल के लिए सर्कुलर जारी कर चुका है. सर्कुलर के मुताबिक अगर एयरपोर्ट पर ऐरोब्रिज उपलब्ध है, तो उसका इस्तेमाल होना ही चाहिए. साल 2022 में संसदीय समिति ने भी राज्य सभा में इस बात को उठाया था. कमेटी के मुताबिक़,
कुछ हवाई अड्डों पर ऐरोब्रिज होने के बावजूद, एयरलाइंस यात्रियों को चढ़ने और उतरने के लिए उनका उपयोग नहीं कर रही हैं और इसके बजाय सीढ़ियों का उपयोग कर रही हैं. यात्रियों से पैसे लेने के बावजूद, ऑपरेटिंग कॉस्ट को कम करने के लिए निजी एयरलाइंस द्वारा ऐरोब्रिज सुविधाओं का उपयोग नहीं किया जा रहा है. कंपनियां पैसा बचाने के लिए इसका कम ही इस्तेमाल करती हैं क्योंकि इसमें कई सारी मशीनें इस्तेमाल होती हैं.

हालांकि, रैंप पर फिसलने की ये कोई पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी ऐसा हुआ है. रही बात रतनेंदु ने कल यानी 4 दिसंबर को अपना दर्द क्यों बताया तो उनके पोस्ट में इसका भी जिक्र है. पैरों में मेटल प्लेट है जो ठंड के मौसम में रह रहकर अपने होने का एहसास करवाती है. उनकी पोस्ट पर यूजर्स ने इंडिगो को टैग करते हुए खूब खरी खोटी सुनाई है. हमने भी इंडिगो से इस मामले पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की है. उनका जवाब अभी तक हमें नहीं मिला है. आगे अगर कोई ट्विस्ट आया तो हम आपसे साझा करेंगे.
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