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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब 'अस्त्र शक्ति'! लद्दाख में ड्रोन वॉरफेयर की रिहर्सल कर रही है इंडियन आर्मी

Indian Armed Forces किसी भी संभावित का जवाब देने के लिए Astra Shakti, Trishul और Sentinel Strike जैसे अभ्यास कर रही है. इसके अलावा Indian Navy ने जानकारी दी है कि जनवरी 2026 में वो Guam में 'Malabar' नामक एक्सरसाइज करेगी.

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इंडियन आर्मी किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हर समय तैयारी कर रही है (PHOTO-AajTak)

भारत की सेनाएं (Indian Armed Forces) इस समय फुल एक्शन मोड में हैं. सेना में एक कहावत है कि अप कोई जंग जीतो या हारो, लेकिन वो आपको कुछ न कुछ सिखा कर जाती है. ऑपरेशन सिंदूर में मिली कामयाबी और उससे मिली सीख के बाद सेनाओं ने बड़े पैमाने पर अभ्यास शुरू किया है. पश्चिमी थिएटर में 'त्रिशूल' (Trishul Exercise) दक्षिण पश्चिम कमांड की महाजन रेंज में 'सेंटिनल स्ट्राइक' (Sentinel Strike Exercise) और लद्दाख में सेनाएं 'अस्त्र शक्ति' (Astra Shakti Exercise) नाम का अभ्यास कर रही हैं. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत ने पहली बार बड़े पैमाने पर ड्रोन वॉरफेयर (Drone Warfare) देखा. इस क्षेत्र में ही और महारत हासिल करने के लिएउत्तरी कमान (Northern Command) में पड़ने वाले लद्दाख (Ladakh) में सेना (Indian Army) 'अस्त्र शक्ति' एक्सरसाइज कर रही है.

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ड्रोन और आर्टिलरी : भविष्य का युद्ध

ऑपरेशन सिंदूर में हमने देखा कि अब युद्ध का तरीका बदल रहा है. अब दुश्मन को मारने के लिए सीमा पार करना जरूरी नहीं है. आने वाले समय में लंबी दूरी की तोपें और ड्रोन्स से ही युद्ध का निर्णय होगा. उदाहरण के लिए अगर यूक्रेन-रूस की जंग को देखें तो वहां बड़े पैमाने पर ड्रोन्स का इस्तेमाल हो रहा है. यूक्रेन ने अपने ड्रोन्स की बदौलत ही रूस जैसे बड़े और ताकतवर देश को भारी नुकसान पहुंचाया है. दूसरी तरफ रूस भी कुछ अपने और कुछ ईरानी ड्रोन्स का इस्तेमाल इस जंग में कर रहा है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में पाकिस्तान ने भी यही टैकटिक्स इस्तेमाल की. ड्रोन्स के झुण्ड भेजे. लेकिन भारत के छोटे से लेकर बड़े एयर-डिफेंस सिस्टम्स ने हवाई खतरों को बखूबी रोका. सीमा पर इस दौरान तोपों से शेलिंग तो हो रही थी, और ये प्रभावी भी रही. लेकिन दुश्मन की सीमा के अंदर घुस कर हमला करने में ड्रोन माहिर होता है. भारत ने हेरोप, हार्पी जैसे उन्नत ड्रोन्स का इस्तेमाल किया. साथ ही L-70 जैसे सिस्टम्स ने दुश्मन के ड्रोन्स को गिराने का काम किया. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए, और इसे और निखारने के लिए सेना लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों पर 'अस्त्र शक्ति' एक्सरसाइज कर रही है. इससे सेन की हाई-एल्टीट्यूड वॉरफेयर (ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध) की तैयारी को और धार मिलेगी.

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अस्त्र शक्ति - नाम के मुताबिक हथियारों की आजमाइश

हथियारों की बात करें तो दो तरह के हथियार हैं जो बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होते हैं. इन्हें अस्त्र और शस्त्र नाम की दो श्रेणियों में बांटा गया है. अस्त्र और शस्त्र में मुख्य अंतर यह है कि अस्त्र दूर से चलाए जाते हैं , जबकि शस्त्र हाथ में पकड़कर इस्तेमाल किए जाते हैं. अस्त्रों में मिसाइल, तोप और ड्रोन जैसे हथियार शामिल हैं. इसके उलट, शस्त्र जैसे तलवार, गदा, भाला हाथ से पकड़कर उपयोग किए जाते हैं. लद्दाख में चल रही एक्सरसाइज का नाम अस्त्र शक्ति इसलिए रखा गया हो क्योंकि इसमें अस्त्रों की प्रैक्टिस की जा रही है. सेना की उत्तरी कमान ने इस एक्सरसाइज का एक वीडियो भी जारी किया है. सेना ने एक्स पर ये वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा,

लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, आर्मी कमांडर, उत्तरी कमान ने एक्सरसाइज AstraShakti देखी. यह लंबी दूरी की सटीक आर्टिलरी फायरपावर, झुंड वाले ड्रोन, काउंटर-UAS सिस्टम, कमांडो ऑपरेशन और लद्दाख के बर्फीले और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में ITBP के साथ तालमेल का एक जबरदस्त प्रदर्शन था. थिएटर लेवल की इंटीग्रेटेड फायरिंग में बेहतरीन तालमेल, सर्विलांस फ्यूजन, फोर्स को सुरक्षित रखना और मल्टी डोमेन दबदबा साफ दिखा. यह NorthernCommand की तैयारी, इनोवेशन और अदम्य भावना का प्रतीक था, जहां टेक्नोलॉजी दृढ़ता से मिलती है और सटीकता दुनिया के सबसे मुश्किल युद्ध क्षेत्र में दुश्मन को रोकने का काम करती है.

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लद्दाख क्षेत्र में सेना के जवानों से मुलाकात करते उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा (PHOTO- Northern Command)

सेना की पोस्ट के मुताबिक ‘अस्त्र शक्ति’ एक्सरसाइज में सेना ने लंबी दूरी की सटीक मार करने वाली तोपें, झुण्ड में हमला करने वाले ड्रोन्स जिन्हें स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) कहा जाता है, ड्रोन को रोकने वाले काउंटर UAS (Unmanned Aerial Systems) सिस्टम्स, कमांडो ऑपरेशंस का अभ्यास किया. कमांडो ऑपरेशंस चर्चा का विषय रहे क्योंकि हाल ही में इंडियन आर्मी ने भैरव कमांडो (Bhairav Commando) बटालियन की स्थापना की है. इस दौरान चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तैनात रहने वाली इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस भी सेना के साथ 'अस्त्र शक्ति' का हिस्सा बनी. इस दौरान लद्दाख जैसे दुर्गम इलाके में आने वाली चुनौतियों का भी अभ्यास किया गया. सेना के मुताबिक ये एक थिएटर लेवल की एक्सरसाइज है. थियेटर लेवल का मतलब किसी एक भौगोलिक क्षेत्र से होता है.  

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(यह भी पढ़ें: भारत का ‘त्रिशूल 2025’ लॉन्च, पाकिस्तान को खुला संदेश- तैयार रहो!)

एक साथ तीन एक्सरसाइज 

भारत और भारत के बाहर भी ये कौतूहल का विषय है कि आखिर सेना इस तरह के एक्शन मोड में क्यों है? इसका जवाब है हमारा प्यारा पड़ोसी. ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी कैंप्स और 11 एयरबेस तबाह होने के बाद भी पाकिस्तान ने आतंक को शह देना जारी रखा है. हॉटस्टार पर आई वेबसाइट सीरीज स्पेशल ऑप्स में आतंकी नूर बक्श के किरदार ने एक बात कही थी. ये बात पाकिस्तान के आतंकियों पर एकदम फिट बैठती है. उसने कहा था,

हमारी पहचान, हमारा वजूद तब तक है जब तक हम इंडिया के साथ उलझे हुए हैं. अगर ये जंग रुक गई तो हमें कौन पहचानेगा?

यही फितरत पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकियों की भी है. भारत से दुश्मनी के नाम पर ही वो अपनी पूरी दुकान चलाते हैं. यही वजह है कि भारत की सेनाएं उनकी तरफ से किसी भी संभावित का जवाब देने के लिए अस्त्र शक्ति, त्रिशूल और सेंटिनल स्ट्राइक जैसे अभ्यास कर रही है. इसके अलावा इंडियन नेवी ने जानकारी दी है कि जनवरी 2026 में वो गुआम में 'मालाबार' नामक एक्सरसाइज करेगी.

वीडियो: तारीख: कहानी इंडियन आर्मी के 9 पैरा SF की जिन्होंने पाकिस्तानी आर्मी के दांत खट्टे कर दिए

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