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अलविदा 'मिग-21': एक फाइटर जेट जिसने 1971 से लेकर बालाकोट तक अपना लोहा मनवाया

Mig-21 को Soviet Era के दौर में बनाया गया था. ये उस समय के सबसे उन्नत Supersonic Fighter Jets में से एक था. Indian Air Force में 1963 से अब तक कुल 870 मिग-21 बाइसन इंडक्ट किए जा चुके हैं. इन विमानों ने 1965,1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से लेकर Balakot Air Strike तक में हिस्सा लिया.

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इंडियन एयरफोर्स का मिग-21 (PHOTO-Indian Air Force)

“मैंने 6 दशकों तक इंडियन एयरफोर्स में सेवा दी. मेरी टेक्नोलॉजी का ऐसा खौफ था कि इजरायल (Israel) जैसे देश ने इराक से मुझे चुराया. क्रैश की घटनाओं की वजह से मुझे उड़ता ताबूत (Flying Coffin) कहा गया, क्योंकि पुराना होने के बावजूद मैं उड़ता रहा. मैंने कारगिल (Kargil War) की जंग में पहाड़ियों पर बैठे पाकिस्तानी दुश्मनों को अपने हथियारों से खाक कर डाला. मैंने ही विंग कमांडर अभिनन्दन (Wing Commander Abhinandan) के साथ पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था. और अब मैं आराम करने जा रहा हूं. थका तो मैं कई सालों से था, लेकिन जोश में कमी नहीं थी और अब फाइनली मुझे रिटायरमेंट (Mig-21 Retirement) मिल रहा है. लेकिन मैंने जो लेगेसी और इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) का जो खौफ दुश्मनों में बनाया है, आप उसे कायम रखना.” ये शब्द हैं इंडियन एयरफोर्स के मिग-21 फाइटर एयरक्राफ्ट के जो वो अपने हर पायलट से कह रहा है. अब मशीनें तो बोलती नहीं, लेकिन एक पायलट से उसका विमान बात करता है, एक रेसर से उसकी गाड़ी बात करती है. और इंडियन एयरफोर्स का मिग-21 भी रिटायर होने पर अपने पायलट्स से कुछ इसी तरह बात कर रहा है. 26 सितंबर, 2025 को इस शानदार विमान को एयरफोर्स से रिटायर कर दिया जाएगा.

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Air Chief Marshal AP Singh wearing a flight suit and helmet, standing on a tarmac. A MIG-21 aircraft with the tail number CU2777 and an Irish tricolor flag is visible in the background.
मिग-21 को निहारते एयर चीफ मार्शल एपी सिंह (PHOTO-Indian Air Force)
6 दशक की सर्विस, स्वदेशी तेजस लेगा मिग की जगह

मिग-21 बाइसन को 1963 में इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) शामिल किया गया था. ये भारत का पहला सुपरसॉनिक (आवाज की रफ्तार से चलना, लगभग 2200 किलोमीटर प्रति घंटा) फाइटर जेट था. इंडियन एयरफोर्स 26 सितंबर 2025 में एक कार्यक्रम के दौरान अपने मिग-21 बाइसन को फेयरवेल देगी. फिलहाल मिग-21 बाइसन की दो स्क्वाड्रन बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात हैं. इसे पैंथर स्क्वाड्रन (Panther Squadron) नाम से जाना जाता है. इन दो स्क्वॉड्रन के रिटायर होते ही इंडियन एयरफोर्स में स्क्वॉड्रन की संख्या 29 हो जाएगी. इनकी जगह स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क 1A फाइटर जेट्स लेंगे.

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इंडियन एयरफोर्स का मिग-21 (PHOTO-Indian Air Force)

मिग-21 बाइसन को सोवियत के दौर में बनाया गया था. ये उस समय के सबसे उन्नत सुपरसॉनिक फाइटर जेट्स में से एक था. इंडियन एयरफोर्स में 1963 से अब तक कुल 870 मिग-21 बाइसन इंडक्ट किए जा चुके हैं. इन विमानों ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हिस्सा लिया था. 1971 में इस विमान ने पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया था. मिग-21 के ही अपग्रेडेड वर्जन को मिग-21 बाइसन नाम दिया गया था. भारत में आखिरी बार मिग-21, 2019 में चर्चा में आया था. उस समय विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) अभिनंदन वर्धमान ने इस जेट से डॉगफाइट (हवा में दो विमानों की लड़ाई) में पाकिस्तान के चौथी पीढ़ी के F-16 को मार गिराया था.

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मिसाइल फायर करता इंडियन एयरफोर्स का मिग-21 (PHOTO-Indian Air Force)

ये विमान अपनी मैनुवरिंग (हवा में कलाबाजी करने की क्षमता), बहुत ही कम रडार क्रॉस सेक्शन और स्पीड के लिए जाना जाता है. एक समय था जब इजरायल ने सिर्फ इसकी टेक्नोलॉजी के लिए इराक के एक पायलट द्वारा इसे चोरी करवा लिया था. लेकिन आज के समय में इसकी तकनीक पुरानी हो चुकी है. बावजूद इसके इंडियन एयरफोर्स इसका इस्तेमाल करती रही है. मिग-21 की मैनुवरिंग स्किल कमाल की है इसमें कोई शक नहीं. लेकिन हादसों के मामले में इस विमान का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. बीते दशकों में ये विमान पुराने होने की वजह से हमारे बेशकीमती पायलट्स के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे थे. पुरानी तकनीक और सेफ्टी फीचर्स की कमी की वजह से 1971 से अबतक लगभग 400 मिग-21 क्रैश हो चुके हैं. 

The image depicts the cockpit of a MiG-21 aircraft, a place where Dr. MJ Augustine Vinod spent most of his wakeful hours from his 20s through 40s. The cockpit is filled with numerous dials, switches, and instruments, all painted in a distinctive teal color. The intricate arrangement of controls suggests the complexity and precision required to operate this military jet. The post text provides personal context, indicating that this cockpit was a significant part of Dr. Vinod's professional life, likely during his service or career in aviation. The image captures the essence of a pilot's environment, highlighting the technical and operational aspects of flying a MiG-21.
मिग-21 का कॉकपिट (PHOTO-X/@mjavinod)

इन हादसों में 200 फाइटर पायलट्स के अलावा 50 सिविलियंस भी अपनी जान गंवा चुके हैं. मिग-21 अपनी जनरेशन का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान माना जाता है. लेकिन ये भी सच है कि इसका दौर काफी समय पहले बीत चुका है. इसके बावजूद भारतीय सेना लंबे समय से इसका इस्तेमाल कर रही थी और उसे इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी. लगातार होते हादसों में कई पायलटों ने अपनी जान गंवा दी. आलम ये है कि कई बार इसे 'उड़ता ताबूत' तक कहा गया. 

मिग की आखिरी उड़ान

भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमानों पर 26 सितंबर को नंबर प्लेट लगाई जाएगी. इसके साथ ही छह दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय वायुसेना की सेवा करने वाले इन विमानों की विदाई हो जाएगी. 26 सितंबर, 2025 को मिग-21 चंडीगढ़ के आसमान में आखिरी बार उड़ान भरेगा. 62 साल की लंबी सेवा के बाद, मिग-21 इतिहास का हिस्सा बन जाएगा. भारतीय वायुसेना में मिग-21 Bison के अंतिम दो एक्टिव स्क्वाड्रनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा. अब जानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद इन विमानों का क्या होगा?

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मिग-21 में एयर चीफ मार्शल एपी सिंह  (PHOTO-Indian Air Force)
रिटायरमेंट के बाद मिग-21 का क्या होगा?

26 सितंबर के बाद मिग-21 बाइसन चंडीगढ़ से नाल एयरबेस के लिए उड़ान भरेगा. रिटायरमेंट के बाद, नंबर 3 स्क्वाड्रन ‘कोबरा’ और नंबर 23 स्क्वाड्रन ‘पैंथर्स’, दोनों पर नंबर प्लेट लगाई जाएगी. नंबर प्लेटिंग का मतलब है कि इन दोनों स्क्वाड्रनों और उनकी विरासत के नंबर स्थिर रहेंगे. स्क्वाड्रन में शामिल होने वाले किसी भी नए विमान को इन्हीं नामों से जाना जाएगा. अब, तीसरे नंबर की स्क्वाड्रन को पहला LCA Tejas Mk1A लड़ाकू विमान मिलेगा. 

नाल एयरबेस पर मिग-21 के पहुंचने के बाद, इसकी पूरी जांच की जाएगी और एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जो भी पुर्जे ठीक हैं और इस्तेमाल किए जा सकते हैं, उन्हें हटा दिया जाएगा और बाकी को स्क्रैप कर दिया जाएगा. ये रिटायर्ड पुर्जे इंजीनियरिंग कॉलेजों को दिए जा सकते हैं, अगर वे विमान को प्रशिक्षित करना चाहते हैं या सेना के म्यूजियम या युद्ध स्मारक में रखना चाहते हैं. अगर सिविलियन यानी आम लोगों में से कोई इन जेट विमानों को प्रदर्शन के लिए ले जाना चाहता है, तो उसे एयरफोर्स मुख्यालय से अनुरोध करना होगा. 

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चंडीगढ़ स्थित भारतीय एयरफोर्स हेरिटेज म्यूजियम  (PHOTO-Chandigarh Life)

इसके बाद एक लिस्ट बनाई जाती है और उसकी जांच की जाती है कि क्या अनुरोध करने वाला व्यक्ति या संगठन विमान के फ्रेम या पुर्जे लेने के लिए योग्य है? ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि जेट फ्रेम केवल एयरफोर्स के मानकों के अनुसार ही आवंटित किए जा सकते हैं, जिसमें उसकी निगरानी भी शामिल है. ऐसे रिटायर्ड जेट आमतौर पर बड़े विश्वविद्यालयों, उद्योगों और सरकारी भवनों में रखे जाते हैं. अब तक जितने भी मिग-21 विमान रिटायर हुए हैं, उनमें से कई को प्रदर्शन के लिए लगाया गया है. इनमें से, मिग-21 सिंगल सीटर को चंडीगढ़ स्थित भारतीय एयरफोर्स हेरिटेज म्यूजियम में प्रदर्शित किया गया है. यह भारत का पहला एयरफोर्स हेरिटेज सेंटर है. 

Indian Air Force bids adieu to its workhorse, the MiG-21 - Khyber Mail
कारगिल वॉर मेमोरियल में रखा मिग-21 (PHOTO-Getty Images)

इसके अलावा मिग-21 को दिल्ली IAF म्यूजियम और पालम एयरफोर्स स्टेशन, कोलकाता में साल्ट लेक के पास निक्को पार्क, बीजू पटनायक एयरोनॉटिक्स म्यूजियम, दिल्ली में राष्ट्रपति भवन म्यूजियम, प्रयागराज में चंद्रशेखर पार्क, बेंगलुरु में HAL हेरिटेज सेंटर और एयरोस्पेस म्यूजियम के अलावा कई जगहों पर रिटायरमेंट के बाद मिग के अलग-अलग वेरिएंट रखे गए हैं.

मिग-21 के फाइटर पायलट्स का क्या?

आम तौर पर एयरफोर्स के पायलट अपनी इच्छानुसार अपनी स्ट्रीम नहीं बदल सकते. यानी वो जब चाहे, कोई भी विमान नहीं उड़ा सकते. उड़ान स्ट्रीम में फाइटर, फिक्स्ड-विंग ट्रांसपोर्ट और हेलीकॉप्टर पायलट्स शामिल होते हैं. चूंकि मिग-21 रिटायर हो रहा है, इसलिए उसके पायलट्स के पास अपनी स्ट्रीम बदलने का एक उचित कारण है. इंडियन एयरफोर्स के फाइटर पायलट ट्रेनिंग प्रोग्राम में कई तरह के जेट्स की स्पेशलाईजेशन करवाई जाती है. ये कुछ वैसा ही है जैसे ग्रेजुएशन करने के बाद किसी एक सब्जेक्ट में मास्टर्स की डिग्री लेना. 

मिग के पायलट्स अगर किसी और जेट को उड़ाना चाहते हैं तो पहले उन्हें 3 से 6 महीने की ट्रेनिंग लेनी होगी. चूंकि हर विमान एक-दूसरे से तकनीक, इंजन जैसी हर चीज में अलग होता है इसलिए ये ट्रेनिंग टाइम अलग-अलग हो सकता है. इसके अलावा मिग पायलट्स टेस्ट पायलट भी बन सकते हैं जहां उन्हें नए बनने वाले विमानों की टेस्ट फ्लाइट करनी होगी. साथ ही उनके पास लॉजिस्टिक्स और एडमिन ब्रांच में जाने का भी विकल्प है.

वीडियो: अभिनंदन क्रैश के वक्त अपने मिग-21 से पाकिस्तान एयर फोर्स को जवाब दे रहे थे

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