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India Today Conclave: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने टैरिफ, रूस, BRICS, डॉलर और भारत से रिश्तों पर की 'सीधी बात'

Howard Lutnick ने जोर देकर कहा कि भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है. इस वजह से ये जरूरी हो जाता है कि नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंधों के भविष्य पर विचार किया जाए.

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लटनिक ने कहा कि भारत द्वारा रूस से हथियारों की खरीद तथा BRICS गठबंधन में उसकी भागीदारी, मौजूदा भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बाधाएं हैं. (फोटो- AP)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ पॉलिसी को लेकर हर दिन चर्चा हो रही है. ट्रंप अपने नए कार्यकाल में इसे सख्ती से लागू करने के बारे में कई बार कह चुके हैं. हाल में उन्होंने भारत-चीन समेत कई देशों के खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसे लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने भारत से अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कम करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि इस तरह के कदम से अमेरिका के साथ भारत के संबंध और मजबूत होंगे.

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हॉवर्ड लटनिक 7 मार्च को 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' में लाइव जुड़े. लटनिक ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ एक व्यापक और बड़े पैमाने पर व्यापार समझौता करने के लिए उत्सुक है. इसमें सभी प्रमुख पहलू शामिल होंगे. लेकिन उन्होंने ये भी कह दिया कि भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है. इस वजह से ये जरूरी हो जाता है कि नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंधों के भविष्य पर विचार किया जाए.

कॉन्क्लेव में लटनिक ने कहा,

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"अब समय आ गया है कि कुछ बड़ा, कुछ भव्य किया जाए. कुछ ऐसा जो भारत और अमेरिका को एक साथ जोड़े. लेकिन ये काम व्यापक स्तर पर हो, उत्पाद दर उत्पाद नहीं. अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर भारत अपनी टैरिफ नीति को कम करे. ये अमेरिका को भारत के साथ असाधारण अवसर और संबंध बनाने के लिए आमंत्रित करेगा."

बातचीत के दौरान अमेरिकी वाणिज्य मंत्री से काउंटर सवाल भी किए गए. भारत में हार्ले-डेविडसन सहित कई अमेरिकी प्रोडक्ट्स के आयात पर टैरिफ कम करने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने असहमति जताई. लटनिक ने कहा कि प्रोडक्ट से जुड़े निर्णयों के बजाय व्यापक और बड़े स्तर पर फैसले लेने की आवश्यकता है. लटनिक ने जोर देकर कहा कि चूंकि भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ वाले देशों में से एक है. इसलिए दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.

अमेरिका नहीं चाहता कि भारत को रूस से मिलिट्री सप्लाई मिले

अमेरिकी मंत्री ने अन्य मुद्दों पर भी खुल कर बात की. हॉवर्ड लटनिक ने कहा कि भारत का रूस से हथियार खरीदना और BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) गठबंधन में उसकी भागीदारी, भारत-अमेरिका के मौजूदा संबंधों के लिए बाधाएं हैं. लटनिक ने आरोप के लहजे में कहा कि BRICS अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस करना चाहता है. 

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ट्रंप के मंत्री ने साफ कहा,

“BRICS दुनिया की वैश्विक आर्थिक मुद्रा के रूप में डॉलर की जगह लेने के लिए एक मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहे थे. आप जानते हैं कि इस तरह की चीजें भारत के प्रति हमारे दिल में जो प्यार और स्नेह है, उसे रोकती हैं.”

लटनिक ने आगे कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत को रूस से मिलिट्री सप्लाई मिले. उन्होंने कहा,

“अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य और औद्योगिक आपूर्तिकर्ता और निर्माता है. आप कभी भी फ्रांस या ब्रिटेन को नहीं चुनेंगे. आप रूस को चुनेंगे जो आपकी स्वतंत्रता छीन लेगा.”

द्विपक्षीय बातचीत पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

लटनिक ने आगे कहा कि व्यापार समझौते के लिए सही दृष्टिकोण ये है कि सब कुछ सामने रखा जाए और उसे समझदारी और सोच-समझकर निपटाया जाए. उन्होंने कहा, "हो सकता है कि कुछ उत्पादों के लिए कोटा हो, हो सकता है कि कुछ उत्पादों के लिए सीमाएं हों, हो सकता है कि कुछ उत्पादों के लिए आप कुछ खास तरीके अपनाते हों. (लेकिन) दोनों देशों के बीच एक ऐसा समझौता तैयार कर सकते हैं जो समझदारी भरा हो."

लटनिक ने व्यापार और टैरिफ मुद्दे को वैश्विक परिप्रेक्ष्य से देखने के बजाय इसके लिए द्विपक्षीय चर्चा के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा,

"यदि आप इसमें पूरी दुनिया को शामिल करते हैं, और आप हमेशा पूरी दुनिया के हर देश के बारे में चिंतित रहते हैं और ये देखते हैं कि ये सब कैसे एक साथ जुड़ सकता है, तो ये लगभग असंभव होगा.”

लटनिक ने कहा कि इसलिए हम केवल भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय बातचीत पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे. भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ स्तरों को कम करना चाहेंगे, ताकि उसके कुछ क्षेत्रों में इसे रोका जा सके.

ट्रंप के बयान दिखावा नहीं

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप वही करेंगे जो उन्होंने कहा है. उन्होंने ये भी बताया कि पनामा नहर को वापस लेना और कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना ट्रंप प्रशासन के विचाराधीन है. लटनिक बोले,

"कनाडा के लोग ट्रूडो के स्वामित्व में नहीं हैं. मैं उनकी बात नहीं सुनूंगा. कनाडा हर चीज के लिए अमेरिका पर निर्भर है. वो अमेरिका के पीछे छिपता है. उनकी रक्षा और अर्थव्यवस्था अमेरिका पर निर्भर है. अगर हम कनाडा के युवाओं पर एक पोल करें, तो हमारे पास एक अलग दृष्टिकोण होगा."

जब उनसे पूछा गया कि क्या यही बात चीन द्वारा ताइवान को एकीकृत करने पर भी लागू होनी चाहिए, जिसका अमेरिका विरोध करता है, तो उन्होंने कहा कि ताइवान के लोग इसके खिलाफ हैं और अमेरिका वही चाहता है जो लोग चाहते हैं.

गोल्ड कार्ड

अमेरिका द्वारा पेश किए जाने वाले नए गोल्ड कार्ड के बारे में लटनिक ने कहा कि ट्रंप प्रशासन नागरिकता के लिए एक स्पष्ट रास्ता बनाना चाहता है. उन्होंने बताया,

"गोल्ड कार्ड के ज़रिए, लोग सिर्फ अमेरिका में ही टैक्स चुकाएंगे, अपनी ग्लोबल इनकम पर नहीं. गोल्ड कार्ड सिर्फ एक असाधारण ग्रीन कार्ड है. आपको बाजार तक जल्दी पहुंच मिलेगी.”

लटनिक ने बताया कि इससे क्षमतावान लोग अमेरिका आएंगे और यहां की और दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि वो अमेरिका के बजट को संतुलित करना चाहते हैं. उनका लक्ष्य अमेरिका के लोगों पर टैक्स कम करना है. टिप्स और ओवरटाइम पर टैक्स को हटाए जाने से शुरुआत हुई है. बड़ा लक्ष्य इनकम टैक्स को कम करना है.

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