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'फिजूल के कामों में ज्यादा वक्त बर्बाद होता है', सरकारी कामकाज को लेकर सीनियर IAS ने उठाए सवाल

अजिताभ शर्मा 1996 बैच के IAS हैं. वह राजस्थान कैडर के हैं और फिलहाल राजस्थान में प्रिंसिपल सेक्रेटरी (ऊर्जा) के पद पर तैनात हैं. उन्होंने अपने लिंक्डइन पर एक लंबा पोस्ट लिखा है.

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अजिताभ शर्मा राजस्थान कैडर के 1996 बैच के IAS हैं. (फोटो- LinkedIn)

राजस्थान के एक सीनियर IAS अजिताभ शर्मा का एक पोस्ट काफी वायरल हो रहा है. उन्होंने IAS अधिकारियों के काम करने के तरीक़ों पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि IAS अधिकारी अपना 80 पर्सेंट से ज़्यादा समय गैर-ज़रूरी कामों में बिताते हैं. वे ज़्यादातर ऐसे कामों में बिताते हैं जो उनके मुख्य काम से अलग होते हैं. 

अजिताभ शर्मा 1996 बैच के IAS अफसर हैं. वह राजस्थान कैडर के हैं और फिलहाल राजस्थान में प्रिंसिपल सेक्रेटरी (ऊर्जा) के पद पर तैनात हैं. उन्होंने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में लिखा,

हमारा 80 प्रतिशत से ज्यादा काम सामान्य सी बैठकों में हिस्सा लेने से संबंधित है, जहां पर अन्य सभी विभाग मौजूद होते हैं. इनमें मानव संसाधनों के मुद्दों को संभालना, मुकदमेबाजी के मामलों में हिस्सा लेना, पारदर्शिता और सूचना के अधिकार कानूनों से निपटना, न्यूज क्लिपिंग का जवाब भेजना, सामान्य पत्राचार का जवाब देना और हर तरह की रिपोर्ट संकलित करना शामिल है. मैं इसे गैर-जरूर काम (गैर कोर वर्क) कहता हूं.

उन्होंने आगे कहा कि इन कामों की वजह से बेहद ज़रूरी कामों के लिए बहुत कम वक़्त मिल पाता है. उन्होंने लिखा,

दशकों से आप जो गैर कोर वर्क कर रहे हैं, उसके वशीभूत होने से न केवल आपको विशेषज्ञ प्रशासक होने की गलतफहमी हो जाएगी, बल्कि ये लंबी अवधि में आपके विभाग की सर्विस डिलीवरी को गिरावट की तरफ ले जाएगा. इसका नतीजा यह होता है कि आपका विभाग धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाता है. जनता को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता भी गिरने लगती है.

उन्होंने कहा कि विभाग के असल काम संभालना एक चुनौती है. यही समाज के लिए एक सच्चा योगदान भी है. IAS अजिताभ शर्मा अक्सर अपनी बात को बेबाक तरीके से कहने को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. 

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