CAA और NRC ये दोनों मुद्दे देशभर में विवाद का विषय रहे हैं. कुछ लोगों ने इन्हें लेकर सरकार पर नागरिकता छीनने का आरोप लगाया था. अब केंद्र सरकार ने बताया है कि नागरिकता कानून 1955 के तहत हर भारतीय नागरिक का रजिस्ट्रेशन और उसे राष्ट्रीय पहचान पत्र (National Identity Card) देना अनिवार्य है. केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में मंगलवार 5 अगस्त को यह जानकारी लोकसभा में दी.
'नागरिकता कानून के तहत सबको राष्ट्रीय पहचान पत्र देना जरूरी... ', सरकार जारी कर सकती है कार्ड
सरकार ने यह भी साफ किया है कि जनगणना 2027 के दौरान नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का फैसला नहीं लिया गया है. NPR, NRC की ओर पहला कदम होता है. ऐसे में नए आवेदकों को इसमें जोड़ा जाएगा या नहीं, यह फिलहाल साफ नहीं है.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद माला रॉय ने लोकसभा में भारतीय नागरिक के रूप में एक स्वीकार्य पहचान प्रमाण को लेकर सवाल किया था. इसी के जवाब में गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने सदन को बताया,
“2004 में नागरिकता कानून 1995 में किए गए संशोधन के मुताबिक, केंद्र सरकार सभी नागरिकों का रजिस्ट्रेशन कर सकती है और उन्हें पहचान पत्र जारी कर सकती है. इन्हें जारी करने की प्रक्रिया 2014 में तय की गई थी. ये राष्ट्रीय पहचान पत्र उन नागरिकों को जारी किए जा सकते हैं जिनकी डिटेल्स नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स (NRIC) या नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स (NRC) में दर्ज है.”
यहां अहम बात यह है कि ये नेशनल आइडेंटिटी कार्ड उन्हें जारी किए जाएंगे जिनके नाम NRC में दर्ज होंगे. लेकिन अब तक सिर्फ असम ही ऐसा राज्य है जहां NRC की प्रक्रिया पूरी हुई है. यह प्रक्रिया भले ही पूरी हो गई हो, लेकिन इसका फाइनल रजिस्टर अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने 2019 में प्रकाशित NRC के ड्राफ्ट को कोर्ट में चुनौती दी है. असम सरकार का दावा है कि 3.29 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख निवासियों को इससे बाहर रखा गया है.
इसी बीच सरकार ने यह भी साफ किया है कि जनगणना 2027 के दौरान नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का फैसला नहीं लिया गया है. बता दें कि NPR, NRC की ओर पहला कदम होता है. ऐसे में नए आवेदकों को इसमें जोड़ा जाएगा या नहीं, यह फिलहाल साफ नहीं है.
गौरतलब है कि NPR को पहली बार 2010 में तैयार किया गया था. इसके बाद 2011 की जनगणना के पहले चरण में इसका डेटा इकट्ठा किया गया था. इसे आखिरी बार 2015-16 में अपडेट किया गया था. इसमें 119 करोड़ नागरिकों की जानकारी शामिल है.
साल 2019-20 में CAA और NRC को लेकर देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान 83 लोगों की जान गई थी. इसके बाद सरकार ने संसद में बताया कि अब तक NRC को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का कोई फैसला नहीं लिया गया है. बीजेपी के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में NRC अहम वादों में से एक था. लेकिन 2024 के चुनाव में बीजेपी ने इसे अपने घोषणा पत्र से हटा दिया.
वीडियो: NRC के बाद असम की ज़बेदा बेगम क्यों हाईकोर्ट में भी नागरिकता नहीं साबित कर पाईं?