पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बाबा रामपाल को हत्या के दो मामलों में दी गई सजा को सस्पेंड कर दिया है. रामपाल को 2014 में हरियाणा के हिसार (HC suspends godman Rampal life sentence) में उनके आश्रम में हुई हिंसा के लिए सजा मिली थी. ये मामला चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत से जुड़ा था.
बाबा रामपाल को हत्या के दो आरोपों में राहत, हाई कोर्ट ने कहा- 'ऐसा कोई सबूत नहीं है'
कोर्ट ने रामपाल को राहत तो दे दी. लेकिन उन्हें किसी भी तरह के धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अनुमति नहीं है.


जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस दीपिंदर सिंह नलवा की बेंच इस मामले की सुनावई की. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक बेंच कहा कि निश्चित रूप से कुछ मुद्दे बहस योग्य हैं, विशेष रूप से ये कि मौत का कारण हत्या है या नहीं. बेंच ने 2 सितंबर को पारित आदेश में कहा,
"यहां तक कि चश्मदीद गवाह, जो मृतक के रिश्तेदार हैं, ने भी अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है. उन्होंने कहा है कि आंसू गैस के कारण दम घुटने की स्थिति पैदा हो गई थी."
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रामपाल की बढ़ती उम्र को भी ध्यान में रखा. बेंच ने कहा,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपील करने वाले की उम्र आज की तारीख में लगभग 74 वर्ष है. वो पर्याप्त अवधि, यानी 10 वर्ष, 08 महीने और 21 दिन की सजा काट चुका है. हमें लगता है कि कि मुख्य अपील के लंबित रहने के दौरान अपील करने वाले की सजा को निलंबित करना ठीक रहेगा."
रामपाल के वकील ने दलील दी कि ये मौतें दम घुटने और भगदड़ के कारण हुईं. वकील ने अदालत को बताया,
"ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि रामपाल किसी भी तरह से मृतकों की मौत के लिए जिम्मेदार थे."
हालांकि, कोर्ट ने रामपाल को राहत तो दे दी. लेकिन उन्हें किसी भी तरह के धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अनुमति नहीं है. बेंच ने कहा,
"आवेदक को किसी भी तरह की ‘भीड़ मानसिकता’ को बढ़ावा ना देने और ऐसे समागमों में भाग लेने से बचने का निर्देश दिया जाता है.”
रामपाल को साल 2018 में एक स्पेशल कोर्ट ने हत्या, आपराधिक कारावास और आपराधिक साजिश के आरोप में दोषी ठहराया था. उन्हें आजीवन जेल की सजा सुनाई गई थी.
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