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UP पुलिस का फेक एनकाउंटर? दो आरोपी छोड़ने पड़े, क्योंकि सबूत नहीं थे, एक के पैर गोली भी लगी थी

जिनको गिरफ्तार किया गया उनके परिवार ने कहा पुलिस घर से उठाकर ले गई थी.

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हाथरस पुलिस की प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो- X/@hathraspolice)

यूपी के हाथरस में पुलिस ने एनकाउंटर में दो लोगों को गिरफ्तार किया. उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए. एक मामला अटेम्प्ट टू मर्डर का भी था. लेकिन दस दिन भी नहीं बीते और दोनों को रिहा कर दिया गया. वजह, उनके खिलाफ दर्ज दोनों मामलों में ‘सबूतों नहीं मिले.’ इससे पहले लापरवाही के चलते दो पुलिसकर्मियों को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है.

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9 अक्टूबर को हाथरस पुलिस ने दावा किया कि एनकाउंटर के बाद, देवा (22) और सोनू उर्फ ​​ओमवीर (30) को गिरफ्तार किया गया है. इसे लेकर भारी विवाद हुआ. उनके परिवारों ने दावा किया कि एनकाउंटर फेक था और देवा और सोनू को उनके घरों से उठाया गया था.

मुरसान थाने में दर्ज ‘लूट और घर में घुसने’ के एक मामले की जांच के दौरान दोनों के नामित किया गया था. कथित गोलीबारी की घटना के सिलसिले में उनके खिलाफ ‘हत्या की कोशिश’ का एक अलग मामला भी दर्ज किया गया था. लेकिन हाथरस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) अशोक कुमार सिंह ने अब कहा है,

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सबूतों के अभाव में लूट और हत्या के प्रयास, दोनों मामलों में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है. दोनों आरोपी अब जेल से रिहा हो चुके हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जांच की निगरानी कर रहे हाथरस के सर्किल ऑफिसर (CO) योगेंद्र कृष्ण नारायण ने भी कहा, ‘मामले की जांच के दौरान मिले अपर्याप्त सबूतों के आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है.’ हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर कोई नया सबूत मिलता है, तो केस को फिर से खोला जा सकता है.

पूरा मामला क्या है?

मामला 9 अक्टूबर का है. हाथरस में खाद की दुकान चलाने वाले स्थानीय व्यापारी अमित अग्रवाल ने अपने घर में सेंधमारी की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि दो अज्ञात व्यक्ति जबरन उनके घर में घुस गए और महिलाओं समेत उनके परिवार के साथ बदसलूकी की. जब उन्होंने शोर मचाया, तो वो भाग गए.

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उनकी शिकायत के आधार पर अज्ञात हमलावरों के खिलाफ डकैती, घर में जबरन घुसने और हत्या की कोशिश से जुड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. फिर पुलिस ने दावा किया कि अपनी जांच के दौरान उन्होंने अमित अग्रवाल के आवास के पास लगे CCTV फुटेज की जांच की और स्थानीय मुखबिरों से मदद ली. जिससे दो संदिग्धों की पहचान देवा और ओमवीर के रूप में की.

रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन बाद दोनों को एक कथित शूट-आउट में गिरफ्तार दिखाया गया. पुलिस ने दावा किया था कि दोनों को क्रॉस-फायरिंग के दौरान गिरफ्तार किया गया था. जिसमें ओमवीर के पैर में गोली लगी थी. पुलिस ने उनके पास से हथियार बरामद करने का दावा किया था.

हालांकि, उनके परिवारों ने पुलिस के बयान का विरोध किया था. उन्होंने दावा किया था कि अलीगढ़ के रहने वाले देवा और ओमवीर को उनके घरों से उठाया गया था. बाद में 10 अक्टूबर को एक ‘एनकाउंटर’ में उनकी गिरफ्तारी के बारे में झूठा दावा किया गया था. उन्होंने कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया और कार्रवाई की मांग की.

ASP सिंह ने कहा है कि पूरे मामले की जांच अभी जारी है और रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई तय की जाएगी.

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