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गुजरात कांग्रेस प्रमुख शक्ति सिंह गोहिल का इस्तीफा, उपचुनाव में करारी हार के बाद लिया फैसला

गुजरात में दोनों ही सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा. काडी सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही, जबकि विसावदर में तो पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई.

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दाहिने से बाएं. शक्तिसिंह गोहिल के साथ राहुल गांधी. (India Today)

गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने 23 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. यह फैसला उन्होंने उपचुनाव में हुई कांग्रेस की हार के बाद लिया. गुजरात में दो सीटों पर हुए उपचुनाव के आज नतीजे आए. काडी और विसावदर दोनों विधानसभाओं में पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा. गोहिल ने इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दिया है.

उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के गोपाल इटालिया ने विसावदर सीट से जीत हासिल की. जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राजेन्द्र चावड़ा ने काडी सीट पर जीत हासिल की. विसावदर सीट पर तो कांग्रेस फाइट करती भी नज़र नहीं आई है. यहां वो सिर्फ साढ़े पांच हजार वोट जुटा पाई. 

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हार की जिम्मेदारी लेते हुए गोहिल ने मीडिया से बात करते हुए कहा,

"चूंकि उपचुनाव के नतीजे हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहे, इसलिए मैंने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. मैंने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को ईमेल के जरिए भेज दिया है."

राज्यसभा सांसद गोहिल को जून 2023 में गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. पार्टी ने यह फैसला 2024 के आम चुनावों की तैयारी के मद्देनजर लिया था. हालांकि, पिछले दो चुनावों की तरह इस बार भी लोकसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है. बदलाव सिर्फ इतना हुआ कि इस बार 26 में से एक सीट जीतकर पार्टी राज्य में अपना खाता खोल पाई. कांग्रेस ने गुजरात की बनासकाठा सीट पर एकमात्र जीत हासिल की थी. लोकसभा चुनाव के बाद इस साल फरवरी में हुए निकाय चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा.

हालांकि, लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव के लिए कमर कसी. 64 साल बाद इस बार कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन 8 और 9 अप्रैल को गुजरात में हुआ. इस अधिवेशन में ‘नूतन गुजरात, नूतन कांग्रेस’ का संकल्प लिया था.

लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद और राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले राहुल गांधी दो बार गुजरात का दौरा कर चुके थे. इन दौरों का जिक्र करना इसलिए जरूरी है क्योंकि राहुल ने 7 मार्च को दो दिवसीय गुजरात दौरे पर एक बयान में गुजरात में अपने ही कार्यकर्ताओं पर सवाल खड़ा कर दिया था. उन्होंने कहा था,

गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं. एक वे लोग हैं, जो दिल और ईमानदारी से कांग्रेस के लिए लड़ते हैं और जनता से जुड़े हुए हैं. दूसरे वे हैं, जिनका जनता से संपर्क टूट चुका है और बीजेपी के साथ मिले हुए हैं. अगर ज़रूरत पड़े तो ऐसे नेताओं को कांग्रेस से निकाल देना चाहिए.

इससे पहले राहुल 7 जुलाई 2024 को राजकोट अग्निकांड के पीड़ितों से मिलने गए थे. तब उन्होंने अहमदाबाद में अपने कार्यकर्ताओं से कहा था,

हम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को गुजरात (विधानसभा चुनाव 2027) में हराएंगे, जैसे हमने (लोकसभा चुनाव में) अयोध्या में हराया.

राहुल गांधी ने गुजरात में पिछले कुछ महीनों में जितना दम भरा, वो सब आज निकलता दिखा. दोनों ही सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. काडी सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही, जबकि विसावदर में तो पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई.

राष्ट्रीय अधिवेशन में 'नूतन गुजरात' के संकल्प के बाद जिलाध्यक्षों का बदलाव किया गया था. आज आए उपचुनाव के नतीजों से कुछ ही घंटे पहले कांग्रेस ने 40 नए जिलाध्यक्षों का एलान किया. एक तरफ नए जिलाध्यक्ष मिले, दूसरी तरफ उपचुनाव में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने ही इस्तीफा दे दिया.

हालांकि, सिर्फ गोहिल ही नहीं, लुधियाना सीट पर खुद चुनाव हारने के बाद पंजाब कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट भारत भूषण आशू ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है.

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