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दूसरी शादी के बाद भी सालों उठाई पति की पेंशन, गुजरात की महिला ने पूरे सिस्टम को उल्लू बनाया

अब उसके खिलाफ पेंशन विभाग से धोखाधड़ी करने, दूसरी शादी छिपाने और दिवंगत पति की पेंशन का लाभ उठाने के आरोप के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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अहमदाबाद में शादीशुदा महिला ने पेंशन विभाग से की लाखों की धोखाधड़ी. (फोटे- इंडिया टुडे)

गुजरात के अहमदाबाद में एक महिला कथित तौर पर दूसरी शादी के बाद भी अपने मृत पति की पेंशन उठाती रही. उसने सरकार और संबंधित विभाग को तीन दशकों तक इसकी भनक तक नहीं लगने दी कि उसने दूसरी शादी कर ली है. आरोप है कि महिला ने करीब 30 सालों तक पेंशन विभाग को 14.89 लाख रुपये का चूना लगाया. अब उसके खिलाफ पेंशन विभाग से धोखाधड़ी करने, दूसरी शादी छिपाने और दिवंगत पति की पेंशन का लाभ उठाने के आरोप के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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इंडिया टुडे से जुड़े ब्रजेश दोशी की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षाबेन व्यास नाम की इस महिला ने अपने पहले पति की मृत्यु के बाद दूसरी शादी कर ली थी. लेकिन इसके बाद भी उसने दिवंगत पति के परिवार को मिलने वाली पेंशन का लाभ लिया. साथ ही पेंशन विभाग में हर साल नकली कागजात जमा करके अपने विधवा होने का दावा भी किया.

पुलिस के अनुसार, आरोपी दक्षाबेन के पहले पति कार्तिक व्यास अहमदाबाद पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी करते थे. 1993 में कैंसर से उनकी मौत हो गई. उनके बाद दक्षाबेन को पेंशन मिलना शुरू हुई. साथ ही एडिशनल जनरल ऑफ पुलिस के ऑफिस में उन्हें जूनियर क्लर्क के पद पर नौकरी भी मिली. लेकिन साल 2020 में मालूम हुआ कि दक्षाबेन ने दूसरी शादी की हुई है. वो इतने सालों तक पेंशन विभाग में झूठे और नकली प्रमाण पत्र जमा करके कार्तिक के परिवार को मिलने वाले पेंशन का लाभ खुद लेती रही. 

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नवंबर 2020 में पेंशन विभाग को इसकी सूचना दी गई और तत्काल रूप से दक्षाबेन की पेंशन को बंद कर दिया गया. एडिशनल जनरल ऑफ पुलिस के ऑफिस से मिली रिपोर्ट के बाद गांधीनगर के पेंशन विभाग में दक्षाबेन पर कानूनी कार्रवाई करने की अर्जी दी गई. इसके बाद अहमदाबाद के जिला ट्रेजरी ऑफिस में प्रभारी पेंशन वितरण अधिकारी हार्दिक प्रजापति ने करंज पुलिस स्टेशन ने दक्षाबेन के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कराया.

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अब जांच की जा रही है कि इतने सालों तक नकली कागजात कैसे नहीं पकड़े गए? अधिकारियों ने कहा कि आगे की जांच से यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि इस मामले में कोई सरकारी अधिकारी फर्जी पेंशन दावों के निपटाने में शामिल तो नहीं था.

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