केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बड़े बदलाव लाने की तैयारी कर रही है. अगले महीने की शुरुआत में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में सभी खाद्य(खाने वाले) और टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स को 5 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में लाने का फैसला हो सकता है. इसके साथ ही बैठक में सीमेंट, सैलून और ब्यूटी पार्लर के साथ-साथ स्वास्थ्य बीमा योजनाओं सहित कई प्रोडक्ट्स पर टैक्स में कटौती पर भी विचार किया जा सकता है.
जीएसटी में अगले महीने ही बड़े सुधार! खाने वाले सामान और कपड़ों पर लगेगा सिर्फ 5 फीसदी टैक्स
केंद्रीय वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman की अध्यक्षता वाली GST Council की बैठक 3 और 4 सितंबर को नई दिल्ली में होगी. इसमें GST स्लैब को कम करने पर फैसला लिया जाएगा. बताया जा रहा है कि अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं के लिए 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत का टैक्स स्लैब रखा जाएगा.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सीमेंट पर अभी 28 फीसदी टैक्स लगता है. इसको घटाकर 18 फीसदी करने की योजना है. कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की ओर से लंबे समय से इसकी मांग की जा रही है. क्योंकि कंस्ट्रक्शन के लिए सीमेंट एक जरूरी कच्चा माल है. इस कदम से आम लोगों के लिए भी कंस्ट्रक्शन में आने वाली लागत कम होने की उम्मीद है.
इसके अलावा सरकार आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली कुछ सेवाओं पर लगने वाले टैक्स को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने पर विचार कर रही है. छोटे सैलून को टैक्स से छूट दी गई है. लेकिन मिड और हाई लेवल सैलून पर 18 प्रतिशत GST लगता है. सरकार इसको 5 प्रतिशत के स्लैब में ला सकती है.
इसी तरह लोगों द्वारा खरीदी जाने वाले टर्म इंश्योरेंस और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को GST के दायरे से बाहर किया जाएगा. इस कदम से आबादी के बड़े हिस्से तक बीमा की कवरेज पहुंचने की उम्मीद है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली GST काउंसिल की बैठक 3 और 4 सितंबर को नई दिल्ली में होगी. इसमें GST स्लैब को कम करने पर फैसला लिया जाएगा. बताया जा रहा है कि अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं के लिए 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत का स्लैब रखा जाएगा. जबकि कुछ लग्जरी वस्तुओं पर 40 प्रतिशत टैक्स लगाया जा सकता है.
पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से GST की सीमा 40 प्रतिशत से बढ़ाने का सुझाव आया है, लेकिन केंद्र का मानना है कि इस कदम से गलत मैसेज जाएगा. और इसके लिए कानून में भी बड़े संशोधन की जरूरत होगी.
केंद्र सरकार का मानना है कि छोटी कारों जिनकी लंबाई 4 मीटर तक है, उन पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा. वहीं बड़ी कारों पर 40 प्रतिशत. अभी बड़ी कारों पर 50 फीसदी टैक्स लगता है. इसमें 28 फीसदी GST और 22 फीसदी सेस(CESS) शामिल है. एक GST अधिकारी ने बताया,
जब GST लागू किया गया था तब यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण था कि टैक्स की दरें रेवेन्यू न्यूट्रल रहे. लेकिन आठ सालों के अनुभव के आधार पर अब हमें एक नई और आसान व्यवस्था बनाने की ओर बढ़ना होगा, जिससे उपभोक्ताओं के साथ-साथ सरकारी खजाने के हितों में भी संतुलन बनाया जा सके.
बता दें कि 20 और 21 अगस्त को दिल्ली में हुई ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत GST स्लैब को खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने 5 फीसदी और 18 प्रतिशत GST स्लैब को स्वीकार कर लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 15 अगस्त के मौके पर लाल किले से नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि सरकार अगली पीढ़ी की GST सुधार लाएगी, जिससे आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा.
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