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लखनऊ के सरकारी रिहैबिलिटेशन सेंटर में फूड पॉइजनिंग से 4 बच्चों की मौत, कई बीमार पड़े

बच्चों को फूड पॉइजनिंग की समस्या के बाद लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस घटना ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि इन बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के प्रति व्यवस्था की संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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बच्चों को उल्टी, दस्त और डिहाइड्रेशन की शिकायत के साथ अस्पताल ले जाया गया था. (फोटो- ANI)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक सरकारी पुनर्वास केंद्र (रिहैबिलिटेशन सेंटर) में चार मानसिक रूप से विकलांग बच्चों की मौत हो गई, जबकि 16 बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ गए. प्रारंभिक जांच के अनुसार, ये घटना 25 मार्च की रात लखनऊ के पारा क्षेत्र में स्थित सरकारी पुनर्वास केंद्र में हुई. बताया गया कि  खाना खाने के बाद कई बच्चे अचानक बीमार पड़ गए. 

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दी हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों को फूड पॉइजनिंग की समस्या के बाद लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस घटना ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि इन बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के प्रति व्यवस्था की संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

लखनऊ के DM जी विशाक ने घटना की जानकारी देते हुए बताया,

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“12 से 17 साल के बीच के 4 बच्चों की घटना में मौत हो गई है. इनमें दो लड़के और दो लड़कियां हैं. मृत बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और उनके शरीर के विसरा को संरक्षित करने का निर्णय लिया गया है, ताकि मृत्यु के सटीक कारण का पता लगाया जा सके.”

वहीं अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राजीव कुमार दीक्षित ने बताया कि बच्चों को उल्टी, दस्त और डिहाइड्रेशन की शिकायत के साथ लाया गया था. उनके मुताबिक करीब 20 बच्चों की अस्पताल ले जाया गया था.

प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की. पुनर्वास केंद्र से फूड के सैंपल इकट्ठा किए गए हैं, जिन्हें फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट और हेल्थ डिपार्टमेंट में फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. अधिकारियों का कहना है कि ये पता लगाया जा रहा है कि क्या भोजन में कोई जहरीला पदार्थ था या इसे तैयार करने में कोई बड़ी लापरवाही बरती गई. इस बीच, बीमार बच्चों का इलाज जारी है, और उनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है.

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डीएम ने बताया,

"शेल्टर होम में करीब सात बच्चे चिकित्सा निगरानी में हैं. वहां तैनात स्वास्थ्य विभाग की टीम बच्चों पर नजर रख रही है."

जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह के अनुसार, इस केंद्र में 147 बच्चे रहते हैं. इनमें मुख्य रूप से अनाथ और मानसिक रूप से विकलांग बच्चे शामिल हैं.

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