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जज को स्टेनोग्राफर ने आत्महत्या की धमकी दे दी, दिल्ली के कोर्ट को फैसला टालना पड़ गया

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी. जज फैसला देने वाली थीं कि तभी कोर्ट के स्टेनोग्राफर ने आत्महत्या की धमकी दे दी. जज ने इसके बाद फैसला टाल दिया. आखिर ये पूरा मामला है क्या?

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दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने स्टेनोग्राफर की वजह से फैसला टाल दिया (India Today)

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में एक मामले में जज ने फैसला देने से मना कर दिया, क्योंकि स्टेनोग्राफर आत्महत्या की धमकी देते हुए कोर्ट से चला गया था. स्टेनोग्राफर ने ये धमकी क्यों दी, इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है. बार एंड बेंच के अनुसार, ये मामला 12 साल पहले एक सड़क हादसे से जुड़ा है, जिसमें एक ट्रक की टक्कर से बाइक सवार की मौत हो गई थी. कोर्ट को इस मामले में फैसला देना था. तभी ये वाकया हुआ.

क्या था मामला?

मामला एक्सीडेंट का था. 13 साल पहले 9 मई, 2012 को सुखदेव नाम के व्यक्ति ने ट्रक से दिल्ली की गीता कॉलोनी के पास एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी. इस हादसे में बाइक चला रहे आकाश कश्यप की मौत हो गई. 10 साल से ज्यादा समय तक मुकदमा कोर्ट में चला. हादसे की तस्वीरें कोर्ट में पेश की गईं. जज ने देखा कि ट्रक का अगला हिस्सा और बाइक का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त है. साबित हुआ कि ट्रक ने ही बाइक को टक्कर मारी थी.

मामले में सब सॉर्टेड था. बस फैसला सुनाना बाकी था. लेकिन तभी कहानी में ट्विस्ट आ गया. 29 अप्रैल को जज नेहा गर्ग फैसला सुनाने जा रही थीं, तभी उनका स्टेनोग्राफर यह कहते हुए कोर्ट से चला गया कि वह आत्महत्या कर लेगा. इससे वहां मौजूद लोग सन्न रह गए. जज ने भी फैसला सुनाना टाल दिया. कोर्ट की ओर से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें जज ने कहा,

फैसला नहीं सुनाया जा सका क्योंकि अदालत का नियमित स्टेनोग्राफर अदालत को यह धमकी देकर चला गया कि वह आत्महत्या कर लेगा. तदनुसार, फैसला सुनाने के लिए इसे 09 मई, 2025 को दोपहर 2:00 बजे फिर से सूचीबद्ध किया जाए.  

कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया

शुक्रवार, 9 मई को फिर से कोर्ट लगा. पुलिस और गवाहों के बयान को मद्देनजर रखा गया और कड़कड़डूमा कोर्ट की न्यायिक मैजिस्ट्रेट नेहा गर्ग ने आरोपी सुखदेव को दोषी करार दे दिया. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने आरोपी को 1860 (IPC) की धारा 279 (सार्वजनिक मार्ग पर लापरवाही से वाहन चलाना) और 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना) के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया.

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