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दिल्ली: बाबर, हुमायूं और अकबर रोड के साइन बोर्ड्स पर पोती कालिख, फिर लगाए शिवाजी के पोस्टर

Akbar Road Sign Board: जानकारी मिलते ही नगर निगम ने बोर्ड से कालिख को साफ किया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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बोर्ड पर काला रंग लगाते लोग. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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हिमांशु मिश्रा

राजधानी दिल्ली में बीती रात कुछ लोगों ने बाबर, हुमायूं और अकबर रोड (Akbar Road) पर लगे बोर्ड्स पर कालिख पोत दी. लुटियंस दिल्ली का ये इलाका ‘वीआईपी’ लोगों के आवास के कारण जाना जाता है. रिपोर्ट है कि 21 फरवरी की रात को कुछ लोगों के समूह ने इन बोर्ड्स को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. बोर्ड पर लातें भी मारी. बाबर, हुमायूं और अकबर को गालियां भी दीं.

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बोर्ड्स पर कालिख पोतने के बाद उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का पोस्टर चिपकाया. 22 फरवरी की सुबह जानकारी मिलते ही नगर निगम ने कालिख को साफ किया और पोस्टर को हटाया. हालांकि, बोर्ड पर सफाई के निशान अब भी दिख रहे हैं. मामला पुलिस के संज्ञान में है. उन्होंने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है.

पिछले कई सालों से लुटियंस दिल्ली से इस तरह की खबरें आती रही हैं. कई बार इन सड़कों के नाम बदलने की भी मांग उठी है. ये इलाका संसद और राष्ट्रपति भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित है. यहां बड़े राजनेताओं, कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ सांसदों के आवास हैं.

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साल 2022 में भाजपा ने इस इलाके की कई जगहों के नाम बदलने की मांग उठाई थी. तत्कालीन दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने MSD को एक खत भी लिखा था. उन्होंने तुगलक रोड, अकबर रोड, औरंगजेब लेन, हुमायूं रोड और शाहजहां रोड का नाम बदलने का सुझाव दिया था. इसी समय यूनाइटेड हिंदू फ्रंट और राष्ट्रवादी शिवसेना के कुछ लोगों ने कुतुब मीनार परिसर के बाहर किया था. उन्होंने कुतुब मीनार का नाम बदलकर ‘विष्णु स्तम्भ’ रखने की मांग की थी. पुलिस ने इस मामले में 30 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था.

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साल 2021 में भी अकबर रोड का नाम बदलने की मांग उठी थी. इस इलाके को भारत के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का नाम देने की बात की गई थी. साल 2018 में भी यहां के साइन बोर्ड पर महाराणा प्रताप की तस्वीर लगा दी गई थी. सितंबर 2019 में भी बाबर रोड पर लगे बोर्ड पर कालिख पोत दी गई थी. उस वक्त भी इसका नाम बदलने की मांग उठी थी. 

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2022 में भाजपा की दिल्ली इकाई ने तत्कालीन केजरीवाल सरकार से राजधानी के 40 गांवों का नाम बदलने की मांग की थी. इनमें हुमायूंपुर, युसुफ सराय, बेगमपुर, सैदुलाजाब और हौज खास जैसे गांव शामिल थे.

कैसे बदले जाते हैं नाम?

दिल्ली के किसी इलाके का या किसी रोड का नाम बदलने के लिए नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) को एक प्रस्ताव भेजा जाता है. यह प्रस्ताव विदेश मंत्रालय, किसी NGO या स्थानीय लोगों की ओर से दिया जाता है. इसके बाद NDMC के जनरल विभाग की एक कमेटी इस पर विचार करती है. आखिरी फैसला भी यही कमेटी करती है. 

ऐसे मामलों में गृह मंत्रालय के गाइडलाइन का भी पालन करना होता है. नया नाम रखने से कोई भ्रम पैदा ना हो या स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत ना हों, इसका भी ध्यान रखना होता है. साथ ही साथ उपराज्यपाल की सिफारिश का भी ध्यान रखा जाता है.

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