The Lallantop

'पंजाब के लोगों को ये समझा नहीं पाएंगे...', चंडीगढ़ बिल पर फैसला वापस लेने से पहले ये सब हुआ था

केंद्र सरकार ने एक अनौपचारिक नोट Punjab BJP को भेज दिया था. लेकिन अपने नेताओं से जो फीडबैक मिला, उसने यह साफ कर दिया कि अभी Chandigarh Bill लाने का सही वक्त नहीं है.

Advertisement
post-main-image
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (बाएं) और शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल (दाएं) ने मोदी सरकार के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है. (फोटो: आजतक)

पंजाब की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है. वजह है एक संविधान संशोधन बिल, जिसे शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की बात कही जा रही थी. लेकिन जब आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा की पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने इसका विरोध किया, और आरोप लगाया कि इस बिल के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार चंडीगढ़ का कंट्रोल हासिल करना चाहती है. तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि उसका शीतकालीन सत्र में यह बिल पेश करने का कोई इरादा नहीं है. 

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

तो क्या सरकार किसी भी बिल को लाने से पहले उसकी टेस्टिंग करती है? विपक्ष का यही आरोप है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "यह मोदी सरकार की कार्यशैली का एक और उदाहरण है. पहले घोषणा, फिर सोच." इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि केंद्र सरकार ने एक अनौपचारिक नोट शनिवार, 22 नवंबर को ही पंजाब बीजेपी को भेज दिया था. 

इस नोट में इस बिल को लाने के पीछे की वजह और इसके फायदे के बारे में बताया गया था. लेकिन पंजाब बीजेपी नेताओं से जो फीडबैक मिला, उसने यह साफ कर दिया कि अभी बिल लाने का यह सही वक्त नहीं है. बीजेपी के सीनियर नेताओं ने कहा पार्टी इस फैसले को पंजाब के लोगों को समझाने में असफल रहेगी, क्योंकि चंडीगढ़ के साथ पंजाबियों का ‘भावनात्मक लगाव’ है. राज्य में बहुमत की राय हमेशा से यही रही है कि चंडीगढ़ पंजाब को दे दिया जाना चाहिए.

Advertisement

इसके अलावा, बीजेपी नेताओं ने 2020-21 के तीन विवादित कृषि कानूनों की तरफ भी इशारा किया, जिसे लाने के बाद सिख समुदाय के एक बड़े वर्ग में केंद्र के खिलाफ पहले से ही ‘संदेह और अविश्वास की भावना’ है. रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र को बताया गया कि इस तरह के फैसले के पीछे का तर्क, भले ही सच्चा हो, लेकिन पंजाबी भाषी आबादी के लिए समझ से परे होगा. क्योंकि इसे केंद्र द्वारा चंडीगढ़ के साथ छेड़छाड़ के तौर पर देखा जाएगा. 

नोट में बिल के क्या फायदे बताए गए?

सूत्रों ने बताया कि नोट में साफ किया गया है कि अभी चंडीगढ़ के लिए नए कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है. लेकिन 1966 के बाद से चंडीगढ़ की जरूरतों के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है (पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 और चंडीगढ़ अधिनियम 1987 को छोड़कर).

दूसरी तरफ, केंद्र शासित प्रदेश जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति की मंजूरी से अपने लिए कानून बना लेते हैं. उन्हें हर छोटे बदलाव के लिए संसद नहीं जाना पड़ता. लेकिन चंडीगढ़ को हमेशा किसी राज्य के कानून को ही अपनाना पड़ता है, और कई बार उसके लिए सही कानून मिल ही नहीं पाता.

Advertisement

इसी वजह से चंडीगढ़ की कानून बनाने की प्रणाली उतनी तेज और आसान नहीं है जितनी बाकी केंद्र शासित प्रदेशों की. प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के दायरे में ला दिया जाए, तो सरकार छोटे-मोटे बदलाव बिना संसद में ले जाए, सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश से कर सकेगी. इससे काम जल्दी और आसानी से हो जाएगा.

'बुनियादी स्थिति में कोई बदलाव नहीं'

रिपोर्ट के मुताबिक, नोट में साफ कहा गया है कि इससे चंडीगढ़ की बुनियादी स्थिति नहीं बदलेगी. वह पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी ही रहेगा. न प्रशासन में बदलाव होगा, न अधिकारियों की नियुक्तियों या मौजूदा विभागों पर कोई असर पड़ेगा. स्वास्थ्य, पुलिस या स्थानीय सेवाओं में भी कोई बदलाव नहीं होगा.

नोट में कहा गया कि इससे चंडीगढ़ की खास जरूरतों को जल्दी पूरा किया जा सकेगा और उसे भी एक एडवांस और लचीली कानून व्यवस्था मिल सकेगी, जैसी बाकी केंद्र शासित प्रदेशों के पास है.

पंजाब बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इस बिल को इस समय ही लाने की बात क्यों हो रही है, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कुछ अधिक समय बचा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिख समुदाय तक पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: मोदी सरकार ने चंडीगढ़ से जुड़े जिस बिल को रोक लिया है, उस पर AAP-कांग्रेस नाराज क्यों हैं?

बिल क्या है?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बिल का मकसद चंडीगढ़ को आर्टिकल-240 के तहत लाना है. इसका मतलब है कि चंडीगढ़ को देश के उन केंद्र शासित प्रदेशों की कैटिगरी में रखा जाएगा, जिनकी अपनी विधानसभा नहीं होती और जिनके लिए राष्ट्रपति सीधे नियम बना सकते हैं. फिलहाल अनुच्छेद 240 में अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, दमन दीव और पुडुचेरी आते हैं.

वीडियो: चंडीगढ़ मेयर चुनाव में BJP को मिली जीत, AAP-कांग्रेस के पास थे ज्यादा पार्षद

Advertisement