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संचार साथी ऐप पर केंद्र सरकार का यू-टर्न! कहा- कर सकते हैं डिलीट

Sanchar Saathi App Row: इससे पहले केंद्रीय दूरसंचार विभाग ने जो निर्देश जारी किए थे, उसके मुताबिक फोन में इसके फीचर को रोका या हटाया नहीं जा सकता. सरकार के इस फैसले का तीखा विरोध शुरू हो गया था. मुख्य रूप से विपक्षी दल के नेता इसे लेकर सरकार पर हमलावर थे.

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सरकार ने कहा है कि यूजर फोन से संचार साथी ऐप डिलीट कर सकते हैं. (Photo: File/ ITG)

केंद्र सरकार ने संचार साथी ऐप को फोन में अनिवार्य बनाने के फैसले पर यू-टर्न ले लिया है. अब सरकार ने कहा है कि यूजर अपने फोन से ऐप को डिलीट कर सकते हैं. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार, 2 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि संचार साथी ऐप फोन में अनिवार्य नहीं है.

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शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में जाने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरे मामले पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा,

अगर आप संचार साथी नहीं चाहते हैं, तो आप इसे डिलीट कर सकते हैं. यह ऑप्शनल है. यह हमारा फर्ज है कि हम इस ऐप को सभी को बताएं. इसे अपने डिवाइस में रखना है या नहीं, यह यूज़र पर निर्भर करता है.

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क्या था सरकार का आदेश?

हालांकि, इससे पहले केंद्रीय दूरसंचार विभाग ने जो निर्देश जारी किए थे, उसके मुताबिक फोन में इसके फीचर को रोका या हटाया नहीं जा सकता. सरकार के इस फैसले का तीखा विरोध शुरू हो गया था. मुख्य रूप से विपक्षी दल के नेता इसे लेकर सरकार पर हमलावर थे. उनका कहना था कि सरकार इस ऐप के बहाने लोगों की जासूसी करना चाहती है. विपक्षी दलों ने इसे निजता का उल्लंघन बताया था और इसे लोगों की निगरानी करने का टूल बताया था.

हालांकि, अब सरकार की सफाई आने के बाद संभावना है कि विवाद थम जाए. इससे पहले डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) ने 28 नवंबर को निर्देश जारी करते हुए सभी मोबाइल फोन निर्माताओं और इम्पोर्टर्स से कहा था कि भारत में सभी फोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए. DoT का कहना है कि इसका मकसद लोगों को असली डिवाइस वेरिफाई करने और टेलीकॉम सर्विस का गलत इस्तेमाल रोकने में मदद करना है.

विपक्ष ने किया था विरोध

आदेश के मुताबिक, किसी भी नए हैंडसेट के शुरुआती सेटअप के दौरान ऐप दिखना चाहिए और इस्तेमाल करने में आसान होना चाहिए. साथ ही फोन निर्माता ऐप के किसी भी फीचर को छिपा या डिसेबल नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसे डिवाइस, जो पहले ही बन चुके हैं और बिकने के लिए स्टोर्स में हैं, उन में भी अपडेट के जरिए ऐप इंस्टॉल करने के लिए कहा गया है. आदेश में कहा गया है कि कंपनियों को 90 दिन के भीतर इसका पालन करना होगा. साथ ही 120 दिन में कम्प्लायंस रिपोर्ट फाइल करनी होगी.

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यह भी पढ़ें- हम पर-आप पर-सब पर नज़र रखेगा 'संचार साथी' ऐप? कांग्रेस का तो ऐसा ही मानना है!

इस पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि बिग ब्रदर (सरकार) हम पर नजर नहीं रख सकता. डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) का यह निर्देश पूरी तरह से गैरकानूनी है. उन्होंने कहा था कि प्राइवेसी का अधिकार, संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए जीवन और आज़ादी के बुनियादी अधिकार का एक जरूरी हिस्सा है. एक प्री-लोडेड सरकारी ऐप, जिसे अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, हर भारतीय पर नज़र रखने का एक डरावना टूल है.

वीडियो: एप्पल, सैमसंग समेत सभी कंपनियों को सरकारी ऐप 'संचार साथी' पहले से इंस्टॉल करना होगा, सरकार का आदेश

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