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हम पर-आप पर-सब पर नज़र रखेगा 'संचार साथी' ऐप? कांग्रेस का तो ऐसा ही मानना है!

Sanchar Saathi App Row: डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) ने 28 नवंबर को निर्देश जारी करते हुए सभी मोबाइल फोन निर्माताओं और इम्पोर्टर्स से कहा था कि भारत में सभी फोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए. DoT का कहना है कि इसका मकसद लोगों को असली डिवाइस वेरिफाई करने और टेलीकॉम सर्विस का गलत इस्तेमाल रोकने में मदद करना है.

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DoT sanchar saathi mandate row opposition alleges of surveillance read key details
सरकार ने सभी फोन में संचार साथी एप प्रीइंस्टॉल रखने को कहा है. (Photo: File/ITG)
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सचिन कुमार पांडे
2 दिसंबर 2025 (Published: 08:09 AM IST)
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भारत सरकार ने कहा है कि अब सभी मोबाइल फोन में 'संचार साथी' एप प्रीइंस्टॉल होना चाहिए. अब सरकार के इस आदेश पर बवाल मच गया है. विपक्षी नेताओं ने इसे निजता (प्राइवेसी) का हनन बताया है और कहा है कि यह सरकार का लोगों की जासूसी करने का एक जरिया है.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि बिग ब्रदर (सरकार) हम पर नजर नहीं रख सकता. उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) का यह निर्देश पूरी तरह से गैरकानूनी है. केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा,

प्राइवेसी का अधिकार, संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए जीवन और आज़ादी के बुनियादी अधिकार का एक जरूरी हिस्सा है. एक प्री-लोडेड सरकारी ऐप, जिसे अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, हर भारतीय पर नज़र रखने का एक डरावना टूल है. यह हर नागरिक की हर हरकत, बातचीत और फैसले पर नजर रखने का एक तरीका है. यह भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर लगातार हमलों की लंबी श्रृंखला का हिस्सा है. इसे जारी नहीं रहने दिया जाएगा. हम इस निर्देश को खारिज करते हैं और इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं.

वहीं शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा,

संचार साथी मोबाइल ऐप को हर मोबाइल फोन में परमानेंट फीचर के तौर पर जरूरी बनाना, एक और BIG BOSS सर्विलांस (नजर रखना) मोमेंट के अलावा और कुछ नहीं है. अलग-अलग फोन में घुसने के ऐसे गलत तरीकों का विरोध किया जाएगा और अगर IT मिनिस्ट्री को लगता है कि शिकायतों का निपटारा करने के मजबूत सिस्टम बनाने के बजाय वह सर्विलांस सिस्टम बनाएगी, तो उसे जवाब के लिए तैयार रहना चाहिए.

क्या है सरकार का आदेश?

वहीं शिवसेना यूबीटी के नेता आदित्य ठाकरे ने सरकार के इस फैसले को तानाशाही रवैया बताया है. विपक्षी नेताओं के तेवर देखकर लगता है कि वह इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की योजना बना रहे हैं. मालूम हो कि डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DOT) ने 28 नवंबर को निर्देश जारी करते हुए सभी मोबाइल फोन निर्माताओं और इम्पोर्टर्स से कहा था कि भारत में सभी फोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए. DoT का कहना है कि इसका मकसद लोगों को असली डिवाइस वेरिफाई करने और टेलीकॉम सर्विस का गलत इस्तेमाल रोकने में मदद करना है.

आदेश के मुताबिक, किसी भी नए हैंडसेट के शुरुआती सेटअप के दौरान ऐप दिखना चाहिए और इस्तेमाल करने में आसान होना चाहिए. साथ ही फोन निर्माता ऐप के किसी भी फीचर को छिपा या डिसेबल नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसे डिवाइस, जो पहले ही बन चुके हैं और बिकने के लिए स्टोर्स में हैं, उन में भी अपडेट के जरिए ऐप इंस्टॉल करने के लिए कहा गया है. आदेश में कहा गया है कि कंपनियों को 90 दिन के भीतर इसका पालन करना होगा. साथ ही 120 दिन में कम्प्लायंस रिपोर्ट फाइल करनी होगी.

sanchar saathi row
(Photo: PIB)
क्या है संचार साथी?

बता दें कि संचार साथी, डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन्स (DoT) का एक ऐप है. DoT का कहना है कि इसे साइबर फ्रॉड से निपटने और टेलीकॉम सिक्योरिटी को मज़बूत करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसे पोर्टल या फिर ऐप के ज़रिए, यूज किया जा सकता है. सरकार का कहना है कि इस ऐप के जरिए चोरी हुए फोन को खोजने में भी मदद मिलती है. DoT के मुताबिक यह ऐप IMEI नंबर के ज़रिए नागरिकों को यह पहचानने में मदद करता है कि फोन असली है या नहीं. इसके अलावा फ्रॉड कम्युनिकेशन की रिपोर्ट करना, अपने नाम पर मोबाइल कनेक्शन चेक करना, बैंकों/फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की भरोसेमंद कॉन्टैक्ट डिटेल्स चेक करना जैसी सुविधाएं भी ऐप पर मिलती हैं.

यह भी पढ़ें- भारत में यात्री विमानों से हो रहा खतरनाक खेल? सरकार ने संसद में इस रनवे का जिक्र किया

सरकार का क्या कहना है?

DoT ने चेतावनी दी है कि डुप्लीकेट या नकली IMEI एक गंभीर सिक्योरिटी रिस्क पैदा करते हैं. इनमें कई बार एक ही आईडी में एक समय में एक से अधिक डिवाइस दिखाई देते हैं. विभाग के मुताबिक भारत के बड़े सेकंड-हैंड मोबाइल मार्केट में चोरी या ब्लैकलिस्टेड हैंडसेट को दोबारा बेचे जाने के मामले भी देखे गए हैं, जिसमें अनजाने में खरीदार क्रिमिनल एक्टिविटी में शामिल हो जाते हैं.

विभाग के मुताबिक संचार साथी यूज़र्स को फोन खरीदने से पहले यह चेक करने में मदद करता है कि IMEI ब्लॉक है या ब्लैकलिस्टेड है. आदेश में कहा गया है कि मोबाइल फोन के 15-डिजिट वाले IMEI नंबर सहित टेलीकॉम आइडेंटिफायर के साथ छेड़छाड़ करना गैर-जमानती अपराध है. इसके लिए टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023 के तहत तीन साल तक की जेल, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

वीडियो: मास्टरक्लास: सरकार का संचार साथी पोर्टल आपके किस काम आएगा, कैसे इस्तेमाल होगा?

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