छत्तीसगढ़ की इशिका बाला ने 10वीं की परीक्षा में राज्यभर में टॉप किया है. बेशक ये खबर है. लेकिन इशिका का मामला और खास है. क्योंकि वो जानलेवा कैंसर से जूझ रही हैं. इशिका दो सालों से ब्लड कैंसर से लड़ रही हैं. उन्होंने जिंदगी की जंग लड़ते हुए पढ़ाई में तनिक भी कमी नहीं आने दी है. उनका 10वीं का रिजल्ट इसका सबूत है (Chhattisgarh Board 10th Results). अब छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने उनके इलाज का पूरा खर्च उठाने का एलान किया है.
ब्लड कैंसर में कोई क्या कर सकता है? इशिका ने 99% नंबर लाकर पूरे राज्य में टॉप किया है
Cancer Survivor Ishika Bala: इशिका को बोर्ड में 99.18 अंक मिले हैं. बीमारी के दौरान भी वह रोज़ चार से पांच घंटे पढ़ा करती थीं. उन्होंने अपनी सफलता का क्रेडिट अपने पैरेंट्स और टीचर्स के सपोर्ट को दिया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इशिका को बोर्ड परीक्षा में 99.18 अंक मिले हैं. वह परलकोट इलाके के हायर सेकेंडरी स्कूल गोंडाहुर में पढ़ती हैं और नक्सल प्रभावित पखांजूर क्षेत्र के परलकोट क्षेत्र के पीवी-51 गांव में रहती हैं. उनके पिता शंकर बाला किसान हैं. इशिका को पिछले साल ही 10वीं का बोर्ड एग्ज़ाम देना था. लेकिन उस समय उनकी हालत काफी ख़राब थी. इसकी वजह उन्हें एग्ज़ाम छोड़ना पड़ा. लेकिन इस साल उन्होंने एग्ज़ाम दिया और टॉप किया. इशिका की सफलता इसलिए भी बड़ी है क्योंकि जिस इलाके से वह आती हैं वहां फीमेल लिट्रेसी यानी महिला साक्षरता दर सिर्फ 59.6% है.
ब्लड कैंसर होते हुए भी इशिका रोज़ चार से पांच घंटे पढ़ती थीं. उन्होंने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में बताया,
IAS बनना का है सपनादर्द में याद करना बहुत कठिन होता है, पर आप सिलेबस को समझने की कोशिश करते हैं तो पढ़ाई में मन लगने लगता है. मैं लगातार सिलेबस को समझने के बाद उसे रिवाइज़ करने लगी. इसकी वजह से मुझे हर चीज़ अच्छे से याद रहने लगी. पढ़ाई के दौरान टाइम टेबल पर कोई ध्यान नहीं था, लेकिन फिर भी 4 से 5 घंटे मेरी पढ़ाई हो जाती थी.
इशिका ने अपनी सफलता का क्रेडिट अपने पैरेंट्स और टीचर्स के सपोर्ट को दिया है. उन्होंने बताया कि वह IAS अधिकारी बनना चाहती हैं. उनका यही सपना उन्हें दर्द से उबरने के लिए प्रेरित करता है.
इशिका का शुरुआती इलाज रायपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल हुआ. बाद में उन्हें नवा रायपुर के बाल्को मेडिकल सेंटर में भेजा गया. इस दौरान उन्हें लगा था कि वह दोबारा पढ़ाई नहीं कर पाएंगी, लेकिन उनका रिजल्ट बता रहा है कि उन्होंने हर मुश्किल, हर आशंका को ठेंगा दिखाया है.
हालांकि बीमारी एक चुनौती तो है. इशिका के इलाज में 15 लाख रुपये से ज़्यादा तक खर्च हो चुके हैं. अब उनका रिज़ल्ट आया तो मदद की उम्मीद जगी है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इशिका के इलाज का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया है.
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