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टॉयलेट से बोगी तक सब गंदा! भारतीय रेल पर कैग रिपोर्ट में सामने आया यात्रियों का गुस्सा

CAG Report on Train: रिपोर्ट के मुताबिक, AC डिब्बों में बायो-टॉयलेट की स्थिति बिना AC डिब्बों की तुलना में बेहतर पाई गई. लंबी दूरी की ट्रेनों में गंदगी के पीछे की मुख्य वजह सफाई कर्मचारियों और सफाई उपकरणों में कमी बताई गई. और क्या पता चला?

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यह निष्कर्ष एक बड़े लेवल के सर्वे पर आधारित है (सांकेतिक फोटो: आजतक)

लंबी दूरी की ट्रेनों में सफाई की स्थिति को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने ऑडिट रिपोर्ट जारी की है. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में पाया गया कि 40% से ज्यादा यात्री टॉयलेट्स की सफाई से संतुष्ट नहीं थे, जबकि आधे से ज्यादा लोगों ने ट्रेन में सफाई व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई.

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TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह निष्कर्ष एक बड़े लेवल के सर्वे पर आधारित है. जो 96 चुनिंदा ट्रेनों में 2,426 यात्रियों पर 2018-19 से 2022-23 की अवधि के बीच किया गया था. ये परिणाम ‘लंबी दूरी की ट्रेनों में स्वच्छता और सफाई’ शीर्षक वाली CAG रिपोर्ट का हिस्सा हैं. हालांकि, रिपोर्ट में पाया गया कि टॉयलेट की सफाई से जुड़ी 89% शिकायतों का निपटारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया गया.

गंदगी के पीछे की वजह

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रिपोर्ट के मुताबिक, AC डिब्बों में बायो-टॉयलेट की स्थिति बिना AC डिब्बों की तुलना में बेहतर पाई गई. लंबी दूरी की ट्रेनों में गंदगी के पीछे की मुख्य वजह सफाई कर्मचारियों और सफाई उपकरणों में कमी बताई गई. साथ ही ये भी कहा कि रेलवे अधिकारी निगरानी में लेटलतीफी करते पाए गए. यहां एक बात और गौर करने वाली है कि पूर्वी तट, पश्चिमी और पूर्वी रेलवे समेत पांच जोनों में यात्रियों में 50% से ज्यादा यात्रियों में सफाई को लेकर नाराजगी थी. जबकि इसके उलट, उत्तरी और उत्तर मध्य रेलवे में 90 फीसदी यात्री संतुष्ट पाए गए.

पानी की उपलब्धता: एक बड़ी समस्या

पानी की उपलब्धता के मुद्दे पर, ऑडिट ने प्रत्येक जोन की छह चुनिंदा ट्रेनों का सर्वे किया और यात्रियों की प्रतिक्रिया दर्ज की. सर्वे में शामिल 2,426 यात्रियों में से 366 (15%) ने टॉयलेट्स या वॉशबेसिन में पानी की कमी की सूचना दी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2022-23 में रेल मदद ऐप के जरिए पानी की कमी से जुड़ी एक लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गईं. 

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इस समस्या के समाधान के लिए, CAG ने रास्ते में पानी भरने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की सिफारिश की. खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए. साफ-सफाई को लेकर 15 ट्रेनों में निरीक्षण में किया गया. इनमें से 13 ट्रेनों में कमियां पाई गईं, जिनमें दरवाजों पर जाम वॉशबेसिन, स्लीपर कोचों में गंदे टॉयलेट्स, टॉयलेट्स में जलभराव और गंदे बरामदे शामिल थे.

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CTS योजना की समीक्षा

लेखा परीक्षा ने स्वच्छ रेलगाड़ी स्टेशन (CTS) योजना की भी समीक्षा की. इस योजना को रास्ते में पड़ने वाले स्टेशनों पर ट्रेन रुकने के दौरान, बायो-टॉयलेट की मशीनी सफाई करने के लिए शुरू किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है इस योजना से भी उतना लाभ नहीं हुआ, जितने की उम्मीद जताई गई थी. 12 क्षेत्रों में 29 CTS के निरीक्षण के दौरान टॉयलेट्स और अन्य क्षेत्रों की सीमित सफाई और मशीनों के उपयोग और सफाई कर्मचारियों की तैनाती में कमी पाई गई.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ट्रेनों में तैनात संविदा कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन भी ढंग से नहीं किया गया, जबकि ऐसे कर्मचारियों से संबंधित अपराध की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें दिल्ली-अहमदाबाद स्वर्ण जयंती राजधानी ट्रेन में एक अटेंडेंट द्वारा एक यात्री के साथ बलात्कार की घटना भी शामिल है. 

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