भारत सरकार ने कानून व्यवस्था में सुधार के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) को लागू किया था. मामलों की निष्पक्ष जांच और तेजी से निपटारा करने के लिए इन बदलावों को लाया गया. अब यही सुधार पुलिसवालों के लिए नई मुसीबत बन गया है. BNS के तहत दर्ज मामलों में सबूतों का डिजिटल रिकॉर्ड रखना जरूरी है. इसके लिए पेन ड्राइव और CD की जरूरत पड़ती है. पुलिसवालों को ये डिवाइस खुद के खर्च पर खरीदने पड़ रहे हैं. मध्य प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पुलिस वाले अपने पैसों से पेन ड्राइव खरीद रहे हैं.
BNS कानून कर रहा पुलिसवालों की जेब हल्की, पेन ड्राइव खरीदते-खरीदते परेशान
Madhya Pradesh: भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दर्ज मामलों ने पुलिसवालों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है. केस से जुड़े सबूतों को महफूज रखने के लिए BNS में कड़े नियम हैं, जिनका पालन करना पुलिसवालों के लिए मुसीबत बन गया है.


आजतक से जुड़े रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, BNS लागू होने के बाद पुलिसवालों की जेब का बोझ बढ़ गया है. BNS के तहत सबूतों को डिजिटल तौर पर सुरक्षित रखना जरूरी है. इसलिए, पुलिस का जांच अधिकारी केस से जुड़े सबूतों, बयानों, क्राइम सीन और केस से जुड़े तथ्यों को पेन ड्राइव में सेव करता है.
इसके लिए तीन पेन ड्राइव की जरूरत पड़ती है. एक पेन ड्राइव पुलिस थाने के रिकॉर्ड के लिए रहती है, जबकि दूसरी कोर्ट में दी जाती है. तीसरी पेन ड्राइव आरोपी के वकील को उपलब्ध कराई जाती है.
नाम न छापने की शर्त पर भोपाल में एक पुलिस कांस्टेबल ने आजतक से बातचीत में कहा कि कुछ दिन पहले एक मामले में सबूतों की रिकवरी के लिए वीडियो बनाया था. जांच अधिकारी ने उन्हें यह रिकॉर्डिंग नई पेन ड्राइव में सेव करने के लिए कहा, लेकिन जब वो थाने पहुंचे तो पेन ड्राइव नहीं थी. इस वजह से उन्हें नज़दीकी स्टेशनरी की दुकान से HP की 8GB की पेन ड्राइव खरीदनी पड़ी. इसके लिए उन्होंने 295 रुपये चुकाए.
यह दर्द केवल कांस्टेबल तक सीमित नहीं है, बल्कि पुलिस अधिकारी भी इस मुश्किल से जूझ रहे हैं. जिला अदालत में एक केस की सुनवाई के लिए पहुंचे एक सब-इंस्पेक्टर ने आजतक को बताया कि कोर्ट में पेशी से पहले उन्हें करीब हजार रुपये में तीन पेन ड्राइव खरीदनी पड़ीं. इनमें से एक पेन ड्राइव आरोपी के वकील को दे दी, जिसके पैसे उन्हें मिल गए.
इस तरह देखा जाए तो BNS लागू होने के बाद पुलिस का खर्च बढ़ गया है. अब हर केस की जांच में औसतन 300 रुपये से 1000 रुपये का खर्च अलग से बढ़ गया है. BNS लागू होने पर हर थाने पर 50 पेन ड्राइव उपलब्ध कराई गईं, जो नाकाफी हैं.
इस मामले में भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने आजतक से कहा कि पुलिस थानों में उचित संख्या में रिसोर्स उपलबध कराये गए हैं. कई बार तुरंत पेन ड्राइव उपलब्ध नहीं हो पाती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्रक्रिया पर कोई असर पड़े. उस समय अगर कोई पुलिसकर्मी अपने रुपयों से पेन ड्राइव खरीदता है, तो नियमों के तहत उसे तुरंत रीइंबरसमेंट कर दिया जाता है, यानी पैसे लौटा दिए जाते हैं.
वीडियो: नाजायज पत्नी, वफादार रखैल टिप्पणी पर Supreme Court क्यों पलटा High Court का फैसला?











.webp)



.webp)


