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निशिकांत दुबे का SC के बाद एसवाई कुरैशी पर विवादित बयान, बोले- 'चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे'

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) SY कुरैशी ने वक्फ एक्ट का विरोध किया था. इसे लेकर BJP सांसद Nishikant Dubey ने कुरैशी पर निशाना साधा है. इससे पहले उन्होंने Supreme Court और CJI संजीव खन्ना के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी.

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BJP सांसद निशिकांत दुबे (बाएं) ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त SY कुरैशी (दाएं) को 'मुस्लिम आयुक्त' बताया. (X)

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिर गए हैं. सुप्रीम कोर्ट और भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना पर तीखी टिप्पणी करने के एक दिन बाद, उन्होंने अब भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) एसवाई कुरैशी को 'मुस्लिम आयुक्त' करार दिया है.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एसवाई कुरैशी, भारत के 17वें मुख्य चुनाव आयुक्त रहे. उन्होंने 30 जुलाई 2010 से लेकर 10 जून 2012 तक यह जिम्मेदारी संभाली. एसवाई कुरैशी ने 17 अप्रैल को वक्फ संशोधन कानून का विरोध करते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया था. उन्होंने लिखा,

वक्फ एक्ट बेशक मुसलमानों की जमीन हड़पने के लिए सरकार की एक बेहद भयावह/बुरी योजना है. मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सवाल उठाएगा. शरारती प्रोपगेंडा मशीन से फैली गलत जानकारी ने अपना काम बखूबी किया है.

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इस पर पलटवार करते हुए निशिकांत दुबे ने कुरैशी पर तंज कसा. उन्होंने कुरैश को कहा कि वे चुनाव आयुक्त नहीं, बल्कि 'मुस्लिम आयुक्त' थे. दुबे ने आरोप लगाया कि कुरैशी के कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में सबसे ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर आईडी जारी किए गए. यह इलाका दुबे के संसदीय क्षेत्र गोड्डा के तहत आता है.

दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा,

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आप चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे, झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिया को वोटर सबसे ज्यादा आपके कार्यकाल में ही बनाया गया. पैगंबर मुहम्मद साहब का इस्लाम भारत में 712 में आया, उसके पहले तो यह जमीन हिंदुओं की या उस आस्था से जुड़े आदिवासी, जैन या बौद्ध धर्मावलंबी की थी. मेरे गांव विक्रमशिला को बख्तियार खिलजी ने 1189 में जलाया, विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला कुलपति दिया अतिश दीपांकर के तौर पर. इस देश को जोड़ो, इतिहास पढ़ो, तोड़ने से पाकिस्तान बना,अब बंटवारा नहीं होगा?

इससे पहले दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और CJI संजीव खन्ना पर भी विवादास्पद टिप्पणी की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि 'गृह युद्ध' के लिए CJI संजीव खन्ना और 'धर्म युद्ध' के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया था कि संविधान के किस आर्टिकल के तहत सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के भेजे गए विधेयक पर राष्ट्रपति को तीन महीने में निर्णय लेने की समयसीमा दी है.

निशिकांत के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने भी हाल ही में संसद और राष्ट्रपति को निर्देश देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी. हालांकि, भाजपा ने निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की इन विवादास्पद टिप्पणियों से पल्ला झाड़ लिया है.

पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा,

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है. यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से ना तो कोई इत्तेफाक रखती है और ना ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है. भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है.

हालांकि, एसवाई कुरैशी पर दिए बयान पर पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. एसवाई कुरैशी ने भी अपने ऊपर की गई टिप्पणी पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है.

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