केंद्र सरकार ने हायर एजुकेशन से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है. मंत्रिमंडल ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक’ को मंजूरी दे दी है. इसके तहत कॉलेज और यूनिवर्सिटी के नियम देखने के लिए एक नई और सिंगल संस्था बनाई जाएगी. इससे पहले यह काम यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई जैसी अलग-अलग संस्थाएं करती थीं.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल (HECI Bill) को मंजूरी दे दी है, जिसका नाम बदलकर अब ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक’ कर दिया गया है. इस बिल के संसद में पास होने के बाद क्या-क्या बदल जाएगा? सब जानिए.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बिल संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. पहले इसे हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) के नाम से जाना जाता था. लेकिन अब इस बिल का नाम बदलकर ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक’ कर दिया गया है.
यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में की गई उन सिफारिशों के बाद उठाया गया है, जिनमें देश के हायर एजुकेशन के लिए एक सिंगल नियामक प्रणाली (Unified Regulator) की स्थापना का प्रस्ताव था. सरकार जिस नई संस्था को बनाने जा रही है, उसका मकसद यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई के कामों को एक ही छत के नीचे लाना है.
यह संस्था सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए पढ़ाई से जुड़े नियम, मान्यता और मानक तय करेगी. मेडिकल और लॉ कॉलेज इसमें शामिल नहीं होंगे. हालांकि, वित्तीय मदद से जुड़े फैसले और फंड देने का काम इस नई संस्था के पास नहीं होगा. यह जिम्मेदारी पहले की तरह सरकार के संबंधित मंत्रालय के पास ही रहेगी.
अब तक भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था अलग-अलग एजेंसियों में बंटी हुई है.
- UGC: सामान्य (गैर-तकनीकी) हायर एजुकेशन को देखता है.
- AICTE: इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा संभालता है.
- NCTE: टीचर ट्रेनिंग और टीचरों की शिक्षा का काम देखता है.
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NEP 2020 में कहा गया था कि उच्च शिक्षा के प्रशासन में बड़ा बदलाव होना चाहिए और इसके लिए एक ही संस्था की जरूरत है. इसके लिए पहली कोशिश 2018 में HECI विधेयक के मसौदे से शुरू हुई थी.
हालांकि, 2021 में धर्मेंद्र प्रधान के शिक्षा मंत्री बनने के बाद इस प्रक्रिया ने फिर से रफ्तार पकड़ी. विपक्ष का आरोप है कि यह बिल ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शिक्षण संस्थानों को बंद करने और निजीकरण को बढ़ावा देने का कारण बन सकता है.
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