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'अडानी-बिहार सरकार का बिजली समझौता सबसे बड़ा घोटाला', आरके सिंह ने फिर खोला मोर्चा

बीजेपी नेता ने दावा किया है कि ‘डील की शर्तें पूरी तरह एकतरफा’ हैं. उन्होंने बताया, “बिहार सरकार को अडानी के प्लांट में बनी बिजली 6.075 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदनी होगी. इसमें फिक्स्ड कॉस्ट 4.16 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है. माने, सरकार बिजली की एक भी यूनिट खरीदे या ना खरीदे उसे ये राशि अडानी ग्रुप को देनी पड़ेगी.”

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राज्य सरकार बिजली की एक भी यूनिट खरीदे या ना खरीदे उसे अडानी ग्रुप को पैसा देना पड़ेगा. (फोटो- PTI)

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने एक बार फिर अपने ही खेमे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने बिहार सरकार और अडानी ग्रुप के बीच हुए पावर प्लांट करार को ‘अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार’ करार दिया है.

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आजतक से जुड़े रोहित कुमार सिंह की रिपोर्ट के अनुसार आरके सिंह ने आरोप लगाया कि 25 साल के एग्रीमेंट से अडानी ग्रुप को 50 हजार करोड़ रुपये का ‘अनुचित लाभ’ होगा. भागलपुर जिले के पीरपैंती में प्रस्तावित इस थर्मल पावर प्लांट को लेकर पूर्व मंत्री ने कहा कि ये राशि सीधे बिहार की जनता की जेब से निकलेगी. आरके सिंह ने इसे ‘जनता से खुली लूट’ बताया और तत्काल CBI जांच की मांग की.

सीनियर बीजेपी नेता ने दावा किया है कि ‘डील की शर्तें पूरी तरह एकतरफा’ हैं. उन्होंने बताया, “बिहार सरकार को अडानी के प्लांट में बनी बिजली 6.075 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदनी होगी. इसमें फिक्स्ड कॉस्ट 4.16 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है. माने, राज्य सरकार बिजली की एक भी यूनिट खरीदे या ना खरीदे उसे ये राशि अडानी ग्रुप को देनी पड़ेगी.” 

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सिंह के अनुसार, “ये दर मार्केट रेट से काफी ऊंची है. इस वजह से हर साल करीब 2 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा. 25 साल की अवधि में ये राशि 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी.”

आरके सिंह ने आगे कहा,

“ये कोई साधारण डील नहीं, बल्कि सुनियोजित घोटाला है. इतनी ऊंची दर पर करार करने वाले अधिकारियों की मिलीभगत साफ दिखती है.”

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पूर्व मंत्री ने सवाल उठाया कि जब सोलर और विंंड एनर्जी जैसे सस्ते विकल्प उपलब्ध हैं, तो इतनी महंगी दर पर थर्मल पावर क्यों खरीदा जा रहा है? उन्होंने चेतावनी दी कि ये अतिरिक्त बोझ अंत में बिजली उपभोक्ताओं के बिलों को बढ़ाएगा. और राज्य के विकास कार्यों पर भी असर पड़ेगा.

आरके सिंह ने तीन मांगें रखीं. पहला, पूरे करार को तुरंत रद्द किया जाए. दूसरा, डील करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो. और तीसरा, मामले की निष्पक्ष जांच CBI को सौंपी जाए. उन्होंने नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये डील ‘सत्ता और कॉर्पोरेट की सांठगांठ का जीता-जागता उदाहरण’ है.

वीडियो: खर्चा-पानी: क्या सच में LIC अडानी ग्रुप में निवेश कर रही?

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