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रास्ते में फ्रेश होने रुके थे IPS, मोबाइल में मगन बॉडीगार्ड्स साहब को ही छोड़ कर चलते बने

IPS Deepak Ranjan जब फ्रेश होकर वापस आए तो गाड़ी न पाकर परेशान हुए. वो अपने ड्राइवर को फोन भी नहीं कर सकते थे क्योंकि मोबाइल और सामान तो गाड़ी में ही था.

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आईपीएस दीपक रंजन

बिहार के बोधगया से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है. यहां बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (BSAP) बटालियन के एक कमांडेंट को उनके ही बॉडीगार्ड्स छोड़ गए. कमांडेंट साहब फ्रेश होने रास्ते में रुके थे. उसी समय उनका ड्राइवर और गार्ड गाड़ी लेकर आगे बढ़ गए. मामले में ड्राइवर और बॉडीगार्ड, दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है.

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क्या है पूरा मामला?

आईपीएस दीपक रंजन बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (BSAP) की 3 और 17 बटालियन के कमांडेंट हैं. फिलहाल बोधगया में पोस्टेड हैं. अधिकारी महोदय किसी काम के सिलसिले में पटना गए थे और वहीं से अपनी कार से बोधगया वापस लौट रहे थे. इसी दौरान अधिकारी महोदय को प्रकृति की पुकार सुनाई दी. माने उनको टॉयलेट जाना था. जहानाबाद के टेहटा में एक पेट्रोल पंप देख कर उन्होंने गाड़ी रुकवाई और गए फ्रेश होने.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक उनके साथ उनके ड्राइवर और दोनों बॉडीगार्ड भी गाड़ी से उतरे. सड़क किनारे काफी अंधेरा था तो ड्राइवर और बॉडीगार्ड वापस गाड़ी में बैठ गए. जब तक अधिकारी महोदय गाड़ी में वापस आते, उससे पहले ही ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और बोधगया की ओर बढ़ गए. उन्हें न जाने क्यों ऐसा लगा कि साहब गाड़ी में बैठ चुके हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ड्राइवर और बॉडीगार्ड फोन में इतने व्यस्त थे कि उन्हें साहब का ध्यान ही नहीं रहा. वो उन्हें अंधेरे में छोड़कर आगे बढ़ गए.

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इधर कमांडेंट साहब जब फ्रेश होकर वापस आए तो गाड़ी न पाकर परेशान हुए. वो अपने ड्राइवर को फोन भी नहीं कर सकते थे क्योंकि मोबाइल और सामान तो गाड़ी में ही था. किसी तरह वो लगभग डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर एक पुलिस स्टेशन तक पहुंचे जहां से उन्होंने अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड से संपर्क किया.

इस मामले में कार्रवाई करते हुए कमांडेंट के ड्राइवर प्रदीप कुमार और दोनों बॉडीगार्ड्स को सस्पेंड कर दिया गया है. साथ ही तीनों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है. इस मामले में दैनिक भास्कर ने आईपीएस दीपक रंजन से भी बात की. उन्होंने कहा कि 

यह माइनर सी घटना है. गाड़ी लौट कर आ गई थी. इसलिए इस मामले को सेंशेसन के रूप में न लें. इसे खबर बनाने की भी जरूरत नहीं है. सस्पेंशन भी एक सामान्य सी प्रशासनिक प्रक्रिया है.

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अब कमांडेंट साहब कुछ भी कहें, लेकिन बात जब निकल ही गई तो भला उसे दूर तलक जाने से कैसे रोका जा सकता था. सेंशेसन ना सही, ख़बर तो बन ही गई.

एडिटर्स नोट:- इस आर्टिकल में पहले गलती से ‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस’ को 'बिहार सशस्त्र सीमा बल' लिख दिया गया था. जानकारी मिलते ही हमने इसे सही किया. इस गलती के लिए हमें खेद है. पाठकों को हुई असुविधा के लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं.

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