किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, रूस, चीन, तजाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों से MBBS की पढ़ाई करके करीब 450 भारतीय छात्र बिहार में परेशानी का सामना कर रहे हैं. इनमें से कुछ छात्र 3 जून से 'बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन' के बाहर बैठे हैं. इनकी मांग है कि ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन’ (FMGE) के जरिए इंटर्नशिप की लिस्ट जारी की जाए. छात्रों ने इस लिस्ट में गड़बड़ी की आशंका जताई है.
विदेश से MBBS करके लौटे ये भारतीय छात्र बिहार आकर 'फंस' गए, सिस्टम पर लगाए गंभीर आरोप
विदेश से MBBS करके लौटे छात्रों को FMGE की परीक्षा पास करनी होती है. रिजल्ट के आधार पर उनको इंटर्नशिप के लिए कॉलेज अलॉट किए जाते हैं. इंटर्नशिप पूरी होने के बाद उनको देश में प्रैक्टिस करने की अनुमति दी जाती है.

नाम न छापने की शर्त पर, सेंट्रल एशिया के एक देश से MBBS करके लौटी एक लड़की ने लल्लनटॉप को बताया,
साल में दो बार FMGE की परीक्षा होती है. ये स्क्रीनिंग टेस्ट होता है. इसे पास करने के बाद विदेश से MBBS करके लौटे छात्रों को देश में इंटर्नशिप करनी होता है. FMGE के आधार पर बच्चों को कॉलेज अलॉट किया जाता है. हमारी परीक्षा जनवरी 2025 में हुई थी.
नियमों के अनुसार, विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके लौटे छात्रों को इस इंटर्नशिप के बाद ही देश में प्रैक्टिस की अनुमति दी जाती है. FMGE ‘बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन’ ऑफिस के बाहर पहुंचे एक छात्र ने बताया,
करीब 15 दिनों के बाद FMGE का रिजल्ट आ गया. इंटर्नशिप के लिए एक लिस्ट जारी की गई. लेकिन कुछ ही दिनों में उसको रद्द कर दिया गया. इसके बाद अप्रैल महीने में दूसरी बार लिस्ट जारी किया गया. लेकिन फिर इसको भी रद्द कर दिया गया.
बिहार स्वास्थ्य विभाग ने 22 अप्रैल, 2025 को दूसरी लिस्ट रद्द कर दी थी. कारण बताया कि ‘बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन’ ने जो लिस्ट जारी की है वो नियमों के विपरित है.

छात्रों ने बताया कि इसके बाद से उनको कोई सूचना नहीं दी गई. न तो ये बताया गया कि सूची में कैसी गड़बड़ी हुई थी और न ही ये कि अगली सूची कब आएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन’ ऑफिस के बाहर पहुंचने पर भी रजिस्टार और वहां के कर्मचारियों उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहें. 3 जून की रात छात्र ऑफिस के बाहर ही सोये थे.
डॉक्टर राजकुमार (बदला हुआ नाम) ने बताया,
FMGE पूरे देश में आयोजित की जाती है. अधिकतर राज्यों में इंटर्नशिप के लिए लिस्ट जारी हो गई है और इंटर्नशिप शुरू भी हो गई है. लेकिन बिहार इसमें सबसे पीछे है. कुछ दिनों में जुलाई वाली परीक्षा होनी है. अब कॉलेजों में सीटों की संख्या तो सीमित है, ऐसे में अगर दो बैच एक साथ आ जाएंगे तो उनको सीट कैसे अलॉट किया जाएगा. ये समझ से परे है. और प्रशासन की ओर से कोई सूचना भी नहीं है.
छात्र ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि सीटों की खरीद-फरोख्त के कारण लिस्ट जारी करने में जानबूझकर देरी की जा रही है.
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सरकारी सेवाओं से संबंधित शिकायतें दर्ज कराने के लिए केंद्र सरकार ने एक सेंट्रलाइज्ड पोर्टल की सुविधा दी है. इसका नाम है 'केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली' यानी CPGRAMS. छात्रों ने इस मामले की शिकायत इस पोर्टल पर भी दर्ज कराई थी. करीब 24 घंटों के विरोध के बाद, CPGRAMS के जरिए 'नेशनल मेडिकल कमीशन अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड' ने एक आदेश दिया. देश भर में FMGE का आयोजन यही संस्था कराती है. संस्था ने स्पष्ट कहा है,
"फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए इंटर्नशिप लिस्ट जारी की जिम्मेदारी राज्य के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की है. इसलिए आग्रह किया जाता है कि सात दिनों के भीतर (बिहार के) डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन लिस्ट जारी करें."
बिहार मेडिकल एजुकेशन, बिहार स्वास्थ्य विभाग का हिस्सा है. हालांकि, छात्र अब भी काउंसिल के ऑफिस के बाहर टिके हुए हैं. उनका कहना है कि लिस्ट जारी होने तक वो वहीं रहेंगे.
इस मामले पर 'बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन' का पक्ष जानने के लिए हमने उनके ऑफिशियल ईमेल आईडी पर मेल लिखा. जवाब नहीं आया. हमने रजिस्ट्रार डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह को वाट्सऐप्प पर मैसेज किया. हमने उनको कॉल किया और वॉयसमेल पर मैसेज भेजा. खबर लिखे जाने तक रजिस्ट्रार या काउंसिल की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर स्टोरी में जोड़ दिया जाएगा.
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