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बिहार के इस गांव में 40 की उम्र पहुंचने तक जीना दूभर क्यों जाता है?

इस गांव के लोग पैर और पीठ दर्द के कारण लाठी के सहारे चलने को मजबूर हैं. कई लोग अपने घर से बाहर तक नहीं जा पाते. उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होती है.

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ये दूध पनिया गांव के लोग हैं जिनका चलना भी मुश्किल हो चुका है. (फोटो- इंडिया टुडे)

बिहार के छोटे से गांव दूध पनिया में एक रहस्यमयी बीमारी ने सबको जकड़ रखा है. आलम ये है कि गांव के लोग 40 साल की उम्र तक भी मुश्किल से जी पाते हैं. इस गांव में सबसे उम्रदराज शख्स 62 साल के हैं. वो भी साल 2019 से बिस्तर पर पड़े हैं. गांव में कई लोग अजीब और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इन लक्षणों में कमजोरी, चक्कर आना, थकान, जोड़ों में दर्द और कुछ मामलों में बेहोशी तक शामिल है.

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बीमारी की शुरुआत और लक्षण

दूध पनिया, बिहार के मुंगेर जिले का एक छोटा सा गांव है. इंडिया टुडे से जुड़े गोविंद कुमार और श्रेया सिन्हा का रिपोर्ट के मुताबिक गांव में लगभग 250 लोग रहते हैं. हरियाली और पहाड़ियों से घिरा ये गांव मुंगेर के हवेली खड़गपुर प्रखंड में आता है. नक्सल प्रभावित इस गांव के लोग कभी उग्रवाद से डरा करते थे. लेकिन अब यहां के लोग एक ऐसी बीमारी की चपेट में है जिसके बारे में आधुनिक भारत में पहले कभी नहीं सुना गया.

यहां रहने वाले आदिवासियों के लिए ये बीमारी काफी तकलीफदेह बन गई है. कई लोग अपने बिस्तर से उठने तक नहीं निकल पाते. उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होती है. 25 प्रतिशत ग्रामीण पैर और पीठ दर्द के कारण लाठी के सहारे चलने को मजबूर हैं. गांव के सबसे उम्रदराज शख्स हैं 56 साल के विनोद बेसरा. विनोद बताते हैं,

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“मेरा पूरा शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है. मैं 56 साल का हूं और 2019 से ऐसे ही जी रहा हूं. मैं अपने घर से बाहर कदम भी नहीं रख सकता.”

Vinod Besra, 56 years.
गांव के सबसे उम्रदराज शख्स हैं 56 साल के विनोद बेसरा

अब ऐसा भी नहीं है कि विनोद ने कभी कोई इलाज नहीं कराया. वो आगे कहते हैं,

“मैंने पटना तक कई जगहों पर इलाज करवाया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. एक बार मेरे पैर में मामूली चोट लगी थी और मैं ठीक हो गया था. लेकिन उसके बाद मेरे पैर और पीठ ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया. डॉक्टरों ने सिर्फ दवाइयां लिखीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.”

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विनोद खुद की स्थिति से तो लाचार हैं, पर वो अपने परिवार को देख ज्यादा परेशान रहते हैं. वो बताते हैं,

“मेरे घर में 43 वर्षीय मेरी पत्नी पूर्णी देवी. मेरी 27 साल की बेटी ललिता कुमारी और 19 साल का बेटा फिलिप्स कुमार भी इससे प्रभावित हैं. मेरी पत्नी की कमर झुक गई है. मेरी बेटी का शरीर प्रभावित हो रहा है, और मेरा बेटा धीरे-धीरे लाचार होता जा रहा है. कभी-कभी मेरा मन करता है कि मैं बैठ जाऊं. लेकिन बड़ी मुश्किल से मेरा परिवार मुझे सहारा दे पाता है.”

Purni Devi, 43 years.
पूर्णी देवी.

पूर्णी देवी और ललिता कुमारी ने बताया कि इलाज के बावजूद परिवार के चारों सदस्य विकलांग होते जा रहे हैं. पूर्णी ने कहा,

"27 साल की उम्र में ही मेरी बेटी बूढ़ी दिखती है. उससे शादी कौन करेगा? उसका शरीर हर दिन कमजोर होता जा रहा है. लेकिन हम क्या कर सकते हैं? हम जीना चाहते हैं. हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे स्वास्थ्य को ठीक करने का कोई उपाय निकालेगी."

Lalita Kumari, 27 years.
ललिता कुमारी.

दूध पनिया में 45 से 55 साल के बीच के 6 लोग अपने पैरों और कमर से लकवाग्रस्त हैं. विनोद बेसरा, कमलेश्वरी मुर्मू, छोटा दुर्गा, बड़ा दुर्गा, रेखा देवी और सूर्य नारायण मुर्मू, इन सभी की स्थिति बेहद खराब है.

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का हस्तक्षेप

इंडिया टुडे की टीम ने हवेली खड़गपुर उप-मंडल अस्पताल के मेडिकल अधिकारी डॉक्टर सुबोध कुमार से संपर्क किया. डॉक्टर कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को इस बीमारी के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा,

“जानकारी मिलने के बाद, मैं खुद वहां गया था. निरीक्षण के दौरान, मैंने देखा कि 24 से 30 वर्ष की आयु के लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं बहुत आम थीं. कई लोगों ने मांसपेशियों में दर्द की भी शिकायत की."

कार्रवाई की बात करते हुए डॉक्टर ने कहा,

"हम उच्च अधिकारियों को डॉक्टरों का एक पैनल बनाने और अपनी एम्बुलेंस के जरिए मुंगेर में ऑर्थोपेडिक्स और न्यूरोसर्जरी विशेषज्ञों से मरीजों की जांच करवाने के लिए लेटर लिखने की योजना बना रहे हैं. हम इलाके के पानी की जांच कराने पर भी विचार कर रहे हैं. इन सभी जांचों के बाद ही कोई निष्कर्ष निकालना उचित होगा."

कुमार ने बताया कि वो पहले लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) को पानी की जांच करने के लिए बोलेंगे. ग्रामीणों से बातचीत के बाद कुमार ने कहा,

"प्रतीत होता है कि मिनरल और विटामिन की कमी के कारण ऐसा हो रहा है."

Villagers storing water in large containers and troughs.
लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) पानी की जांच कर रहा है.
टेस्टिंग शुरू

इंडिया टुडे/आजतक की टीम ने मामले को हवेली खड़गपुर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट राजीव रौशन के सामने रखा. उन्होंने बताया कि एक मेडिकल टीम को पानी की टेस्टिंग के लिए भेजा गई थी. रौशन ने कहा,

"सूचना मिलने के बाद, एक मेडिकल टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति के बारे में टोह ली. PHED को पानी की जांच करने का निर्देश दिया गया है. हम ये भी पता लगा रहे हैं कि क्या पहले भी पानी की जांच की गई थी या नहीं."

SDM ने आश्वासन देते हुए कहा,

"हम एक्सपर्ट्स की एक टीम से बात कर रहे हैं. उनकी सलाह के आधार पर आवश्यक कदम उठाएंगे. हमें प्रारंभिक जानकारी मिली है कि समस्या पानी से जुड़ी हो सकती है. इसलिए तत्काल टेस्टिंग के आदेश दे दिए गए हैं."

दूध पनिया गांव में अधिकांश लोग कुओं, हैंडपंप और नजदीकी जलाशयों से पानी लेते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पानी में भारी धातुओं, जैसे आर्सेनिक या लेड हो सकता है. इस कारण पानी से लोगों को समस्या हो रही है. दूध पनिया में भी इसी तरह की स्थिति होने की आशंका जताई जा रही है.

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस रहस्यमयी बीमारी के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए और गहन जांच की जरूरत है. पानी के सैंपल्स की लैब रिपोर्ट आने के बाद ही ये स्पष्ट हो पाएगा कि प्रदूषण का स्तर कितना गंभीर है. साथ ही, ग्रामीणों के आहार और स्वास्थ्य की स्थिति की जांच भी जरूरी है.

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