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बांग्लादेश में फिर होगा बवाल? सरकार चला रहे यूनुस ने सेना से कहा- प्रेशर डालोगे तो जनता से मिलकर...

Yunus govt warns of public-backed action: अंतरिम सरकार का कहना है- 'अगर हारी हुई ताकतों या विदेशी षड्यंत्रों से पैदा हुई समस्याएं सरकार के काम को असंभव बना देती हैं, तो वो सभी तथ्यों को जनता के सामने ले जाएगी.' इसके बाद खुली धमकी दे दी. पर ये सब हुआ क्यों?

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बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने चेतावनी दी है. (फ़ोटो- AFP)

बांग्लादेश (Bangladesh) में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) और उनके सहयोगियों ने नई चेतावनी दी है. उनका कहना है कि अगर उन पर 'अनुचित मांगों' के ज़रिए दबाव डाला गया, तो जनता के समर्थन से कार्रवाई की जाएगी. सेना प्रमुख और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BMP) ने दिसंबर तक चुनाव कराने के मांग की थी. इसी बीच ये चेतावनी आई है.

ढाका ट्रिब्यून की ख़बर के मुताबिक़, अंतरिम सरकार की तरफ़ से कहा गया है,

अगर सरकार की स्वतंत्रता, सुधारों की कोशिश, न्यायिक काम, निष्पक्ष चुनाव और दूसरी चीज़ें कामकाज में रुकावट डालती हैं, और सरकार को अपना सौंपा गया काम पूरा करने से रोकती हैं. तो सरकार जनता के साथ मिलकर जो ज़रूरी फ़ैसला होगा, वो लेगी.

बताते चलें, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) दिसंबर, 2025 तक राष्ट्रीय चुनाव कराने की मांग कर रही है. BNP अपनी ताकत दिखाने के लिए रैलियां कर रही है. वहीं, सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने भी इसी तरह की मांग की. उन्होंने अपनी चेतावनी में कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को दिसंबर तक चुनाव कराने होंगे.

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिम सरकार ने चेतावनी दी है,

अगर हारी हुई ताकतों या विदेशी षड्यंत्रों से पैदा हुई समस्याएं सरकार के काम को असंभव बना देती हैं, तो वो सभी तथ्यों को जनता के सामने ले जाएगी. फिर लोगों के साथ साझेदारी में फ़ैसला लेगी.

ये भी पढ़ें- मुहम्मद यूनुस पर चुनाव कराने का दबाव बढ़ा तो इस्तीफे की धमकी दे दी, बांग्लादेश में चल क्या रहा है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, मोहम्मद यूनुस BNP और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से बात करेंगे. इसके अलावा, अपने सरकारी आवास जमुना में अन्य दलों के नेताओं से भी मिलेंगे.

बताया जाता है कि बांग्लादेश में राजनीतिक दलों, सेना और नागरिक समाज के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. चुनाव की तारीख तय ना होने, छात्र नेताओं के मंत्रिमंडल में शामिल होने और सेना की भूमिका को लेकर विवाद गहराता जा रहा है.

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