The Lallantop

शुभांशु शुक्ला स्पेस में खाएंगे 'हलवा', 'आमरस', ISRO ने अपने 'हाथों' से बनाया है

Axiom-4 Mission: 2019 में Shubhanshu Shukla को Gaganyaan Mission मिशन के लिए चुना गया था. यह भारत का अपना मानव अंतरिक्ष मिशन है और 2027 तक उड़ान भरेगा. तब से वो इस मिशन के लिए तैयारी कर रहे हैं.

Advertisement
post-main-image
शुभांशु शुक्ला इंडियन एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन हैं. (x.com/Axiom_Space)

इंडियन एयरफोर्स ऑफिसर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जब स्पेस की सैर पर निकलेंगे, तो उनके साथ ‘भारत का स्वाद’ भी जाएगा. Axiom-4 मिशन के साथ शुभांशु NASA के रॉकेट में बैठकर अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले हैं. स्पेस में पहुंचकर शुभांशु आमरस, मूंग दाल का हलवा, गाजर का हलवा और चावल जैसे भारतीय पकवान खाएंगे. ये सब पकवान खास तौर पर ISRO और DRDO ने तैयार किए हैं.

Advertisement

अब आप सोच रहे होंगे कि स्पेस में हलवा-आमरस कैसे? तो जनाब, ये खाना वैक्यूम-पैक और फ्रीज-ड्राइड फॉर्म में जाएगा, ताकि माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण रहित माहौल में भी इसे आसानी से खाया जा सके. ये टेक्नोलॉजी पहले गगनयान मिशन के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब इंटरनेशनल स्पेस यात्रा में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है.

मसालेदार भारतीय खाने को लेकर NASA को पहले संकोच था, क्योंकि वहां के नियम बड़े सख्त होते हैं. लेकिन शुभांशु की मेहनत रंग लाई. उनकी बहन सुचि शुक्ला ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया,

Advertisement

“वे (शुभांशु शुक्ला) मूंग दाल का हलवा, गाजर का हलवा, आमरस और चावल लेकर जा रहे हैं. वे अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भी इन व्यंजनों को शेयर करने के लिए उत्साहित हैं. चूंकि भारतीय खाने में मसाले ज्यादा होते हैं, इसलिए उन्हें ले जाने की अनुमति नहीं मिल रही थी. लेकिन आखिरकार, उन्होंने कुछ वैराइटी की अनुमति दे दी. वे एक फिटनेस-फ्रीक हैं और योग में बहुत रुचि रखते हैं, इसलिए मुझे यकीन है कि वे इसे बैलेंस कर लेंगे.”

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को जन्मे शुभांशु को लोग प्यार से 'शुक्स' कहते हैं. वो इंडियन एयरफोर्स के माहिर फाइटर पायलट हैं. SU-30 MKI और MIG-29 जैसे खतरनाक लड़ाकू विमान उड़ाने का उनके पास 2000 घंटे से ज्यादा का एक्सपीरियंस है.

Advertisement

उन्होंने लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पढ़ाई की, फिर नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) चले गए. उसके बाद IISc बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में M Tech किया. उन्होंने अंतरिक्ष यात्री बनने की ट्रेनिंग रूस के गागरिन कोस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर और ISRO के बेंगलुरु बेस पर ली.

2019 में उन्हें गगनयान मिशन के लिए चुना गया था. यह भारत का अपना मानव अंतरिक्ष मिशन है और 2027 तक उड़ान भरेगा. तब से शुभांशु इस मिशन के लिए तैयारी कर रहे हैं. उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं. उन्होंने बताया कि परिवार घर में सत्यनारायण भगवान की कथा और हवन करवा रहा है ताकि उनका बेटा सकुशल स्पेस से लौटे.

मिशन में देरी, लॉन्च डेट टली

पहले ये मिशन 10 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा से लॉन्च होना था, लेकिन मौसम ने रोड़ा अटका दिया. बारिश और खराब हवाओं के कारण इसे 24 घंटे टालकर 11 जून किया गया.

लेकिन फिर एक और दिक्कत आई. Falcon 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन (LOx) का रिसाव पकड़ में आया. ये ईंधन स्पेसक्राफ्ट के लिए बहुत जरूरी होता है. इसलिए लॉन्च को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है. टीम फिलहाल फॉल्ट ठीक करने में जुटी है.

राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय होंगे जो पायलट के तौर पर अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे. फर्क बस ये है कि इस बार भारत का खाना भी साथ जाएगा.

वीडियो: दुनियादारी: डॉनल्ड ट्रंप के लॉस एंजिल्स में सेना उतार देने के क्या मायने हैं?

Advertisement