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आतंकवाद और चाइल्ड अब्यूज पर सवालों के जवाब देने में देरी, टेलीग्राम पर लगा 5.5 करोड़ का जुर्माना

Australia fines Telegram: ऑस्ट्रेलिया की ई-सेफ्टी कमिशनर का कहना है कि अगर टेलीग्राम, जुर्माने के नोटिस को नज़रअंदाज करने का फ़ैसला लेता है, तो उसे कोर्ट में घसीटा जाएगा. कमिश्नर ने और क्या कहा?

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चाइल्ड अब्यूस और आतंकवाद से जुड़े सवालों के जवाब देने में देरी के लिए ये फाइन लगाया गया है. (फ़ाइल फ़ोटो - इंडिया टुडे)

ऑस्ट्रेलिया में मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म टेलीग्राम पर लगभग 1 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगाया गया है (Australia fines Telegram). भारतीय रुपये में कहें, तो लगभग साढ़े पांच करोड़. ये जुर्माना इसलिए लगाया गया है, क्योंकि टेलीग्राम ने एक सवाल के जवाब देने में देरी की थी. सवाल ये कि टेलीग्राम ने चाइल्ड अब्यूज़, हिंसक और चरमपंथी कॉन्टेंट के प्रसार को रोकने के लिए क्या कदम उठाए.

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मामला क्या है?

कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर आरोप लगे कि चरमपंथी इन प्लेटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. लाइव-स्ट्रीमिंग फीचर्स, एक्गोरिदम और रिकमेंडेशन सिस्टम के ज़रिए. लेकिन इन प्लेटफ़ॉर्म्स ने चरमपंथियों को रोकने के लिए ‘पर्याप्त कदम नहीं उठाए’.

इसी को लेकर मार्च 2024 में ऑस्ट्रेलिया की ई-सेफ्टी कमिशन ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म यू-ट्यूब, X और फ़ेसबुक से लेकर टेलीग्राम और रेडिट तक से जवाब मांगा था. टेलीग्राम और रेडिट से पूछा गया कि वो अपनी सर्विस में चाइल्ड अब्यूज़ मटेरियल से निपटने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं.

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मई तक उन्हें जवाब देने के लिए कहा गया. लेकिन टेलीग्राम ने अक्टूबर में अपना जवाब सबमिट किया. यानी लगभग 6 महीने की देरी से. इसी को लेकर अब ऑस्ट्रेलिया के ऑनलाइन सेफ़्टी रेगुलेटर की तरफ़ से ये जुर्माना लगाया गया है. ई-सेफ्टी कमिशनर जूली इनमैन ग्रांट का कहना है कि इस देरी से ऑनलाइन सेफ्टी उपायों को लागू करने में दिक़्क़त आई.

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के मुताबिक़, जूली इनमैन ग्रांट ने एक बयान के ज़रिए कहा,

ऑस्ट्रेलिया में समय की पारदर्शिता पर जोर दिया जाता है. आप ख़ुद की इच्छा के मुताबिक़ सब कुछ नहीं कर सकते. ऐसे में ये कार्रवाई सभी कंपनियों को चेताएगी कि ऑस्ट्रेलियाई क़ानून के हिसाब से चलना कितना ज़रूरी है.

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ई-सेफ्टी कमिशनर जूली इनमैन ग्रांट ने आगे कहा कि बड़े टेक कंपनियों को पारदर्शी होना चाहिए. उन्हें अपनी सेवाओं के ग़लत इस्तेमाल को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए. क्योंकि ऑनलाइन चरमपंथी कॉन्टेंट का ख़तरा बढ़ता जा रहा है.

ग्रांट ने ये भी बताया कि अगर टेलीग्राम, जुर्माने के नोटिस (Penalty Notice) को नज़रअंदाज करने का फ़ैसला लेता है, तो ई-सेफ्टी कोर्ट में सिविल जुर्माना (Civil Penalty) लगाने की मांग की जाएगी.

ये भी पढ़ें - सेफ नहीं है टेलीग्राम? ये नया फ्रॉड आया है

Telegram का जवाब

रॉयटर्स की ख़बर बताती है कि इस जुर्माने पर टेलीग्राम की भी प्रतिक्रिया आई है. टेलीग्राम ने कहा कि उसने बीते साल ई-सेफ्टी के सभी सवालों के पूरे जवाब दे दिये थे. अब कोई भी मुद्दा लंबित नहीं है. कंपनी ने आगे कहा,

ये जुर्माना अनफेयर और और असंगत है. ये सिर्फ़ जवाब के समय सीमा से जुड़ी है. हम इसे लेकर आगे अपील करेंगे.

बताते चलें, मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म टेलीग्राम दुनिया भर में जांच के दायरे में है. इसके संस्थापक पावेल दुरोव को अगस्त में फ्रांस ने जांच के लिए हिरासत में लिया था. आरोप थे कि इस ऐप पर कई ग़ैर-क़ानूनी एक्टिविटिज़ हो रही हैं. हालांकि, पावेल दुरोव ने सभी आरोपों से इनकार किया था. वो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

वीडियो: दुनियादारी: टेलीग्राम पर लीक हुए दस्तावेज में इजरायल का कौन सा प्लान है?

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