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कोलंबियाई राष्ट्रपति US गए, वहां के सैनिकों से कहा- 'ट्रंप की न सुनो', घर नहीं पहुंच पाए एक्शन हो गया

Colombia के राष्ट्रपति Gustavo Petro ने America स्थित UN Headquarter के बाहर फिलीस्तीनी समर्थकों को संबोधित किया. उन्होंने Palestine को आजाद कराने के लिए एक ग्लोबल आर्म्ड फोर्स बनाने की अपील की. इसके बाद ट्रंप ने उनके खिलाफ बड़ा एक्शन ले लिया.

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अमेरिका ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो का वीजा रद्द किया. (X petrogustavo @realDonaldTrump)

फिलिस्तीन के लिए उठती आवाज के बीच कुछ ऐसा हुआ कि अमेरिका ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो का वीजा ही रद्द कर दिया. संयुक्त राष्ट्र से लेकर युद्ध के मैदान तक हर मोर्च पर इजरायल का साथ देने वाले अमेरिका ने कोलंबियाई राष्ट्रपति के खिलाफ बेहद सख्त एक्शन लिया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय का आरोप है कि कोलंबियाई राष्ट्रपति ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी सैनिकों से ट्रंप का आदेश ना मानने की अपील की.

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रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 सितंबर को गुस्तावो पेत्रो ने न्यूयॉर्क सिटी में एक फिलिस्तीन समर्थक रैली में हिस्सा लिया. मैनहट्टन में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (UN Headquarter) के बाहर फिलीस्तीनी समर्थक प्रदर्शनकारियों की भीड़ को संबोधित करते हुए पेत्रो ने फिलिस्तीनियों को आजाद कराने के लिए एक ग्लोबल आर्म्ड फोर्स बनाने की अपील की.

इस दौरान पेत्रो ने स्पेनिश में कहा,

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"यह सेना संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना से बड़ी होनी चाहिए... इसलिए यहां से, न्यूयॉर्क से, मैं संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना के सभी सैनिकों से अनुरोध करता हूं कि वे लोगों पर अपनी बंदूकें ना तानें. ट्रंप के आदेशों को ना मानें. मानवता के आदेशों का पालन करें."

अमेरिका को पेत्रो के इस बयान की भनक लगी, तो विदेश मंत्रालय ने पेत्रो का वीजा रद्द करने का एलान कर दिया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने X पर लिखा,

"आज सुबह कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने न्यूयॉर्क शहर की एक सड़क पर खड़े होकर अमेरिकी सैनिकों से आदेशों का उल्लंघन करने और हिंसा भड़काने का आग्रह किया.

हम पेत्रो के लापरवाह और भड़काऊ कामों की वजह से उनका वीजा रद्द कर देंगे."

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कोलंबियाई राष्ट्रपति ने भी बताया है कि उनका वीजा रद्द हो गया है. उन्होंने अमेरिका पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा,

"मैं बोगोटा वापस आया और पता चला कि अब मेरे पास यूएस का वीजा नहीं है. इबागुए में लोकतंत्र के लिए टोलिमा कन्वेंशन में जाने के लिए मुझे वीजा की जरूरत नहीं है. यूएस और कोलंबिया को अलग करना वही काम है जो माफिया चाहते हैं.

जो कुछ भी यूएस सरकार मेरे साथ कर रही है, वो उन सभी इम्युनिटी नियमों को तोड़ता है जिन पर संयुक्त राष्ट्र और उसकी महासभा का कामकाज आधारित है.

राष्ट्रपतियों को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जाने के लिए पूरी इम्युनिटी मिलती है, और यूएस सरकार को अपनी राय को शर्त नहीं बनाना चाहिए."

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि उसका हेडक्वार्टर न्यूयॉर्क से बाहर जाना चाहिए. कहा,

"यह बात कि फिलिस्तीन के प्रशासन को एंट्री नहीं मिली और मेरा वीजा रद्द कर दिया गया, क्योंकि मैंने यूएस और इजरायली सेना से नरसंहार का समर्थन ना करने की अपील की, यह दिखाता है कि यूएस अब अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन नहीं कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय न्यूयॉर्क में नहीं रह सकता."

ट्रंप प्रशासन कथित तौर पर फिलिस्तीनी समर्थक आवाजों पर नकेल कस रहा है. दूसरी तरफ उसके मित्र देश जैसे- फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा समेत कई देशों ने फिलिस्तीन को आजाद देश की मान्यता दे दी है. इन कदमों से इजरायल और उसका सहयोगी अमेरिका नाराज हैं.

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