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32 साल पढ़ाने के बाद शिक्षक की डिग्री निकली फर्जी, रिटायरमेंट से 7 दिन पहले चली गई नौकरी

इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) को मिली एक शिकायत के आधार पर आरोपी टीचर कृष्ण चंद्र की डिग्री की जांच कराई गई. जांच में पता चला कि डिग्री ही फर्जी है. फिर क्या हुआ?

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रिटायरमेंट के ठीक सात दिन पहले ही टीचर की नियुक्ति रद्द कर दी गई. (फोटो: आजतक)

राजस्थान (Rajasthan) के टोंक जिले में एक सरकारी शिक्षक फर्जी डिग्री के आधार पर 32 सालों तक नौकरी करता रहा. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) को उसके खिलाफ एक शिकायत मिली. जांच हुई तो पता चला कि डिग्री ही फर्जी है. चौंकाने वाली बात यह कि रिटायरमेंट के ठीक सात दिन पहले ही पोल खुल गई और उसकी नियुक्ति रद्द कर दी गई.

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क्या है पूरा मामला?

इंडिया टुडे से जुड़े मनोज तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी टीचर की पहचान कृष्ण चंद्र जेकवाल के तौर पर हुई, जो राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, देवपुरा खजा में कार्यरत थे. उन्होंने साल 1993 में तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर नौकरी पाई थी. नियुक्ति के वक्त उन्होंने जो बीएड की कथित फर्जी डिग्री लगाई थी, उसे लेकर उन्होंने दावा किया था कि यह लखनऊ विश्वविद्यालय से जारी की गई है.

तब से लेकर अब तक किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी. इस तरह कृष्ण चंद्र ने 32 सालों तक सरकारी नौकरी की और सरकारी वेतन उठाया. मामले का खुलासा तब हुआ, जब SOG को मिली एक शिकायत के आधार पर कृष्ण चंद्र की डिग्री की जांच कराई गई. जांच में पता चला कि डिग्री फर्जी है. लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से भी स्पष्ट कर दिया कि कृष्ण चंद्र की डिग्री यूनिवर्सिटी से जारी नहीं की गई है.

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रिटायरमेंट के सात दिन पहले एक्शन 

इसके बाद आरोपी टीचर को दो बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा गया, ताकि वह अपना पक्ष रख सकें. लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया. जिसके बाद SOG ने अपनी रिपोर्ट जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) परशुराम धानका को सौंपी.

एक्शन लेते हुए CEO धानका ने कृष्ण चंद्र जेकवाल की 1993 में हुई नियुक्ति को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया. यह कार्रवाई ऐसे वक्त में हुई, जब उनकी रिटायरमेंट को महज सात दिन ही बचे हुए थे.

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