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'3 महीने में पीड़िता से शादी करो' बोलकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप के आरोपी को दी जमानत

Allahabad High Court ने बलात्कार के एक आरोपी को सशर्त ज़मानत दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी को रिहा होने के 3 महीने के अंदर रेप पीड़िता से शादी करनी होगी.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप आरोपी को दी सशर्त ज़मानत. (India Today)

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बलात्कार के एक आरोपी को इस शर्त पर ज़मानत दी कि उसे रेप पीड़िता से शादी करनी होगी. यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल की सिंगल बेंच ने 20 फरवरी, 2025 को पारित किया, जिसकी जानकारी अब सामने आई है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी रेप पीड़िता की देखभाल अपनी पत्नी के तौर पर करने को तैयार है. आरोपी पर यौन उत्पीड़न और 9 लाख रुपये की ठगी का आरोप है. जमानत की शर्त के मुताबिक, आरोपी को जेल से रिहा होने के तीन महीने के अंदर पीड़िता से शादी करनी होगी.

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बार एंड बेंच ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आरोपी पर पीड़िता का आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने का भी आरोप है. रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने सशर्त ज़मानत में शादी की शर्त तो रखी है, लेकिन आदेश में इस बात का जिक्र नहीं है कि ऐसा फैसला क्यों दिया गया और क्या अदालत ने इस मामले में शिकायतकर्ता की बात सुनी थी.

मामला पिछले साल आगरा का है. आरोपी युवक का नाम नरेश मीणा और उसकी उम्र 26 साल है. उस पर पीड़िता को उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती कराने का झांसा देकर यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. इसके अलावा आरोप है कि युवक ने पीड़ित युवती से 9 लाख रुपये ऐंठे और उसका आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया.

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आगरा के खंदौली पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी. सितंबर 2024 में पुलिस ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार कर लिया.

जमानत पर सुनवाई के दौरान मीणा के वकील ने दलील दी कि आरोप झूठे हैं. उन्होंने FIR दर्ज करने में चार महीने की देरी का भी हवाला दिया. वहीं, कोर्ट ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार आरोपी के खिलाफ कोई ऐसा खास आधार पेश नहीं कर सकी, जिससे आरोपी को ज़मानत देने से इनकार किया जा सके.

कोर्ट ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि ज़मानत देने का मकसद यह देखना है कि मुकदमे में आरोपी तारीख पर हाजिर हो. कोर्ट ने आदेश में कहा कि अतिरिक्त सरकारी वकील (AGA) एके शुक्ला ने आरोपी के खिलाफ अपराध दोहराने या गवाहों को डराने-धमकाने जैसी परेशानी पैदा करने की कोई भी जानकारी कोर्ट में नहीं दी है.

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कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि गिरफ्तारी से पहले आरोपी मीणा की पहले से कोई क्रिमिनल हिस्ट्री भी नहीं है. इसलिए कोर्ट ने आर्टिकल 21 (जीने का आधिकार) और 'ज़मानत एक नियम है, जेल एक अपवाद है' के सिद्धांत पर आरोपी को सशर्त ज़मानत दे दी.

कोर्ट ने तीन शर्तों के आधार पर आरोपी को ज़मानत दी है. पहली, जेल से रिहा होने के 3 महीने के अंदर आरोपी को रेप पीड़िता से शादी करनी होगी. दूसरी, आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. तीसरी, आरोपी को तय तारीख पर ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होना होगा.

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