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रनवे पर टकराए प्लेन और 500 से ज्यादा लोग मारे गए, ये हैं इतिहास के सबसे भयानक विमान हादसे

27 मार्च 1977 को दो बोइंग 747 प्लेन एक ही रनवे पर आमने-सामने आ गए. ज़बरदस्त टक्कर हुई. दोनों विमानों में मौजूद 583 लोगों की जान चली गई. इनमें से एक डच KLM एयरलाइन का और दूसरा अमेरिकी एयरलाइन Pan Am का प्लेन था. ये हादसा स्पेन के टेनेरिफ़ आइलैंड के छोटे एयरपोर्ट पर हुआ.

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चरखी दादरी घटना के बाद घटना स्थल का विजुअल. (तस्वीर : इंडिया टुडे आर्काइव)

तारीख़ 12 जून 2025. समय 1 बजकर 39 मिनट. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर ने लंदन के लिए उड़ान भरी. टेक ऑफ़ के वक़्त ही प्लेन क्रैश हो गया. हादसे के विजुअल्स डरा देने वाले हैं. क्रू समेत 242 लोग प्लेन में सवार थे. गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी इनमें से एक थे.

इस हादसे ने कई पुरानी दुखदायी यादें ताजा कर दी हैं. दरअसल इससे पहले भी दुनिया भर में कई भयानक विमान हादसे हुए हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों ने अपनी जानें गंवा दीं.

1. टेनेरिफ़ एयरपोर्ट हादसा 
तारीख़ : 27 मार्च 1977
कैज़ुअल्टीज़ : 583

27 मार्च 1977 का दिन इतिहास के सबसे भयावह प्लेन हादसे का गवाह बना. दो बोइंग 747 प्लेन एक ही रनवे पर आमने-सामने आ गए. ज़बरदस्त टक्कर हुई. दोनों विमानों मेंबैठे कुल 583 लोगों की जान चली गई. इनमें से एक डच KLM एयरलाइन का और दूसरा अमेरिकी एयरलाइन Pan Am का प्लेन था. ये हादसा स्पेन के टेनेरिफ़ आइलैंड के छोटे एयरपोर्ट पर हुआ.

दरअसल 27 मार्च 1977 को आइलैंड के पास ही ग्रैन कैनरिया एयरपोर्ट पर एक बम ब्लास्ट हो गया. इस वजह से कई फ्लाइट्स को टेनेरिफ की तरफ डायवर्ट कर दिया गया. कोहरा घना था, विज़िबिलिटी लगभग जीरो थी. अमेरिकी प्लेन को रनवे से हटकर टैक्सी वे पर इंतज़ार करने को कहा गया. विजिबिलिटी कम होने के कारण Pan Am फ़्लाइट धीरे-धीरे टैक्सी वे की तरफ़ बढ़ रही थी.

इसी बीच KLM फ़्लाइट के कैप्टन को लगा कि उन्हें उड़ान भरने की इजाज़त मिल चुकी है. पर ऐसा था नहीं. बिना परमिशन के KLM की फ्लाइट ने टेक ऑफ़ करना शुरू किया, जबकि Pan Am की फ्लाइट अभी रनवे पर ही थी. नतीजा - दोनों विमानों की ज़ोरदार टक्कर हो गई. और सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी. इसे इंसानी भूल और कम्युनिकेशन फेल्योर का क्लासिक केस माना जाता है.

2. जापान एयरलाइंस फ्लाइट 123 क्रैश
तारीख़ : 12 अगस्त 1985
कैज़ुअल्टीज़ : 520

12 अगस्त 1985 को जापान एयरलाइंस की फ़्लाइट ने टोक्यो से ओसाका के लिए टेक ऑफ़ किया. फ्लाइट में 509 पैसेंजर्स और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे. उड़ान के 12 मिनट बाद एक आवाज़ आई, जैसे कोई धमाका हुआ हो. तीनों पायलट चौंक गए. वो कुछ समझ पाते तभी एक और आवाज़ आई. पायलट्स ने इंजन चेक किया, वो भी सही सलामत था. तभी कॉकपिट में अलार्म बजने लगा. ये एयर डिकम्पप्रेशर का अलार्म था.

दरअसल जो पहला धमाका हुआ, उससे प्लेन में छेद हो गया. दूसरी आवाज़ तब आई, जब प्लेन की टेल टूटकर अलग हो गई. छेद होने की वजह से अंदर का एयर प्रेशर धीरे-धीरे गड़बड़ाता चला गया और पूरा कंट्रोल सिस्टम ठप पड़ गया. पायलट्स ने विमान को करीब 30 मिनट हवा में बनाए रखा. अंत में प्लेन अनियंत्रित होकर एक पहाड़ से जा टकराया, 520 लोगों की मौत हो गई. हादसे से 7 साल पहले भी प्लेन की टेल में कुछ दिक्कत आई थी. उस समय ढंग से इसकी मरम्मत नहीं की गई थी, इसी लापरवाही के चलते ये हादसा हुआ.

3. चरखी दादरी मिड-एयर कोलिजन 
तारीख़ : 12 नवंबर 1996
कैज़ुअल्टीज़ : 349

12 नवंबर 1996. दिल्ली से 90 किलोमीटर दूर चरखी दादरी के आसमान में दो विमानों की टक्कर हो गई. देखते ही देखते दोनों जेट्स मलबे में तब्दील हो गए. एक सऊदी अरब एयरलाइंस का बोइंग 747 था औ दूसरा कजाकिस्तान एयरलाइंस का इल्यूशिन-76 चार्टर प्लेन. इस टक्कर में 349 लोगों की मौत हुई. हादसा हुआ कैसे? ATC ने दोनों प्लेन्स को अलग-अलग ऊंचाई पर रखने के निर्देश दिए थे, ताकि टक्कर न हो.

सऊदी फ्लाइट ने दिल्ली से उड़ान भरी. उसे 14,000 फीट की ऊंचाई पर जाना था. कज़ाक़ फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने की तैयारी में थी और उसे 15,000 फीट पर रहना था. लेकिन कजाक प्लेन ने गलती से नीचे उतरना शुरू कर दिया, वो 15,000 की बजाय 14,000 फीट पर आ गया.

दोनों प्लेन्स का ऑल्टिट्यूड एक जैसा हो चुका था. जब तक चेतावनी दी गई, तब तक देर हो चुकी थी. कजाक प्लेन का ऊपरी हिस्सा सऊदी वाले जहाज़ के पंखों से टकरा गया, और दोनों टूटते हुए जमीन पर आ गिरे. कहते हैं धमाका इतना ज़ोरदार था कि लोगों के घर हिलने लगे. कुछ लोगों को लगा भूकंप आ गया है. ये मिड एयर कॉलिजन का सबसे बड़ा मामला था. इस हादसे ने भारत को एयर ट्रैफिक कंट्रोल और एयर स्पेस सेफ्टी को लेकर बड़ा सुधार लाने पर मजबूर किया.

4. तुर्की एयरलाइंस फ्लाइट 981 क्रैश
तारीख़ : 3 मार्च 1974
कैसुअल्टीज : 346

तुर्की एयरलाइंस फ्लाइट 981 हादसे को कार्गो डोर त्रासदी के नाम से भी जाना जाता है. 3 मार्च 1974 को हुए इस क्रैश में में 346 लोग मारे गए थे. तुर्की एयरलाइंस की फ्लाइट इस्तांबुल से चली और पेरिस में उतरी, यहां से कुछ यात्री चढ़े. फ्लाइट की अगली उड़ान लंदन के लिए थी. उस वक्त DC-10 विमान अपनी कैटगरी का सबसे नया और उन्नत विमान था. प्लेन ने उड़ान भरी. कार्गो डोर टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद खुल गया. कार्गो डोर का खुलना अचानक और विस्फोट की तरह हुआ.

इससे प्रेशर तेज़ी से कम हुआ और केबिन का फर्श बैठ गया. जैसे ही फर्श टूटा, केबिन के नीचे से गुजरने वाली कंट्रोल केबल्स टूट गईं. पायलट्स ने प्लेन का कंट्रोल खो दिया. उन्होंने कोशिश भी की कि किसी तरह विमान को घुमा सकें, लेकिन प्लेन बेकाबू हो गया, और फ्रांस के एरमेनोनविल (Ermenonville) के जंगलों में जा गिरा. क्रैश इतना भीषण था कि ज़्यादातर शवों की पहचान भी संभव नहीं थी.

5. एम्परर कनिष्क क्रैश
तारीख़ : 23 जून 1985
कैसुअल्टीज : 329

23 जून 1985 को कनाडा के मॉनट्रियल एयरपोर्ट से एयर इंडिया फ्लाइट 182 यानी सम्राट कनिष्क ने उड़ान भरी. ये बोइंग 747 एयरक्राफ्ट था. इस फ्लाइट का डेस्टिनेशन था मुम्बई. लेकिन बीच में फ्लाइट को लन्दन में हॉल्ट लेना था. इसलिए फ्लाइट आयरलैंड के एयर स्पेस में एंटर हुई. आयरिश कोस्ट के करीब 200 मील की दूरी पर अचानक रडार से गायब हो गया. दरअसल प्लेन 31 हजार फ़ीट की ऊंचाई से सीधा अटलांटिक महासागर में जा गिरा. इसका कारण था, फ्लाइट में हुआ बम विस्फोट. 

329 लोगों की जान गई. इनमें 82 बच्चे और 4 नवजात भी शामिल थे. वहां से करीब हजार मील दूर टोक्यो के एयरपोर्ट पर उसी दिन एक और घटना हुई. इस प्लेन हादसे से करीब एक घंटे पहले ही टोक्यो में बैगेज एरिया में एक बम फटा और दो लोगों की जान चली गई. जब तहकीकात शुरू हुई, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि इन दोनों हादसों का आपस में गहरा कनेक्शन था. बाद में पता चला, इस साजिश का निशाना था भारत, और साजिश को अंजाम दिया था आतंकी संगठन बब्बर खालसा ने.

वीडियो: प्लेन क्रैश के वक्त क्या हुआ? सामने आया हादसे का पहला वीडियो