अडानी समूह की कंपनी Adani Defence and Aerospace ने Indian Navy को दृष्टि 10 स्टारलाइनर (Drishti 10 Starliner Drone) की दूसरी यूनिट सौंप दी है. जनवरी 2024 में इस ड्रोन की पहली यूनिट नौसेना को सौंपी गई थी. जनवरी में पहले ड्रोन के सफल इंडक्शन के बाद दिसंबर में अडानी डिफेंस एंड एरोस्पेस ने अब दूसरा ड्रोन नेवी के हवाले कर दिया है.
Drishti 10 Starliner ड्रोन में कितना दम है? अडानी डिफेंस ने नेवी के हवाले किया
Drishti 10 ड्रोन को STANAG 4671 सर्टिफिकेट मिला हुआ है. इस वजह से ये NATO द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में भी जा सकता है.

इस ड्रोन को गुजरात के पोरबंदर नेवल स्टेशन पर तैनात किया जाएगा. दृष्टि 10 ड्रोन इजरायल के Hermes 900 Medium-Altitude long-endurance UAV का भारतीय वर्जन है. Drishti 10 को अडानी डिफेंस एंड एरोस्पेस की हैदराबाद फैसिलिटी में बनाया गया है. इस ड्रोन की कई खासियत हैं. इसके साथ जुड़ा सर्टिफिकेट इसे कुछ ऐसे क्षेत्रों में उड़ने का परमिट देता है जो NATO के अधिकार में हैं.

NATO के अधिकार में आने वाले क्षेत्रों में अगर आपको कोई मानव रहित विमान उड़ाना है तो उसके लिए ड्रोन को एक सर्टिफिकेट की जरूरत होगी. इस सर्टिफिकेट के बिना पूरी संभावना है कि NATO आपके ड्रोन को मार गिराए. पर STANAG 4671 (Standardization Agreement) सर्टिफिकेट होने पर आपका ड्रोन आराम से उड़ेगा, अपना काम करके वापस बेस पर लौट आएगा.
NATO की वेबसाइट पर जाएं तो दिखता है कि NATO सदस्य कई तरह के सर्टिफिकेट जारी करते हैं. ये इसलिए होते हैं ताकि किसी अन्य देश की गाड़ियों, जहाजों और ड्रोन को दूसरे देश या क्षेत्र में ऑपरेट करने के दौरान कोई रुकावट न आए. ड्रोन या मानव रहित विमान के मामले में NATO की ओर से STANAG 4671 नाम से सर्टिफिकेट जारी होता है. जिस ड्रोन को ये सर्टिफिकेट मिलता है वो नाटो के एरिया में ऑपरेट कर सकते हें. भारत के नए Drishti 10 ड्रोन के पास भी ये सर्टिफिकेट है. इससे नाटो देशों में ऑपरेट करना हो तो भारत इस ड्रोन के विकल्प को सबसे आगे रख सकता है.

दृष्टि 10 इंडियन नेवी की सर्विलांस करने की क्षमता में इजाफा करेगा. ये हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है. ये मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक है और Medium Altitude Long Endurance (MALE) प्लेटफॉर्म पर काम करता है. माने ये मध्यम ऊंचाई (10 से 30 हजार फीट) और देर तक उड़ान भरने के काबिल है. साथ ही ये ड्रोन 450 किलोग्राम जितना वजन ले जाने में भी सक्षम है जिसकी वजह से ये अलग-अलग तरह के कई ऑपरेशंस में इस्तेमाल किया जा सकता है.
दृष्टि 10 में कई सारे उन्नत सेंसर्स लगे हैं. इनकी वजह से सर्विलांस या निगरानी के मिशंस में ये ड्रोन एक अच्छा विकल्प माना जा रहा है. ये ड्रोन हाईटेक इमेजिंग सेंसर्स (Imaging Sensors), इंफ्रारेड कैमरा और मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरा से लैस है. इन कैमरों की बदौलत ड्रोन को ऊंचाई से क्लियर तस्वीरें लेने में मदद मिलती है.
एक और सिस्टम जो इस ड्रोन को उन्नत बनाता है वो है इसमें लगा LiDAR, माने लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग. इस सिस्टम की मदद से ड्रोन को किसी एरिया का नक्शा, इलाके की जानकारी, इलाके के भूगोल जैसी चीजों को पता करने में मदद मिलती हैं.

रक्षा क्षेत्र पर नज़र रखने वाली वेबसाइट IDRW. ORG के मुताबिक अक्टूबर 2023 में अडानी डिफेंस एंड एरोस्पेस को इंडियन नेवी की तरफ से 'दृष्टि 10' ड्रोन का ऑर्डर दिए जाने की खबरें आई थीं. अडानी डिफेंस की ओर से अशोक वधावन ने इस बात की पुष्टि की थी कि इजरायल के 'हर्मीस 900 MALE' ड्रोन को इंडियन नेवी के हिसाब से बनाने का काम उन्हें मिला है. कहा गया कि अडानी डिफेंस इस ड्रोन को इस तरह से डिज़ाइन करेगी, जिससे वो भारतीय नौसेना की जरूरत के मुताबिक ऑपरेट कर सके. जनवरी 2024 में पहला ड्रोन नौसेना को सौंपा गया था. अब दिसंबर में दूसरा ड्रोन भी आ गया है. इस ड्रोन के आने से इंडियन नेवी को हिंद महासागर, अरब महासागर और बंगाल की खाड़ी में निगरानी करने में मदद मिलेगी.
अडानी डिफेंस ने जिस कंपनी के साथ मिलकर यह ड्रोन बनाया है, उसका नाम है Elbit Systems. ये एक इजरायली कंपनी है जो हथियार बनाती है. अडानी-एल्बिट के बीच करार की सबसे पहली खबर आई थी साल 2016 में. उस समय अडानी और एल्बिट ने मिलकर एक जॉइंट वेंचर बनाया था. इस जॉइंट वेंचर का नाम Adani-Elbit Advanced Systems India Limited रखा गया. इसमें 51 प्रतिशत शेयर अडानी ग्रुप के थे, जबकि बाकी के 49 प्रतिशत एल्बिट के पास थे. इसी जॉइंट वेंचर ने साथ मिलकर इजरायल के हर्मीस 900 ड्रोन का भारतीय संस्करण बनाया जिसे 'दृष्टि 10 स्टारलाइनर' नाम दिया गया है.
वीडियो: तारीख: कहानी उस मकबरे की जिसे भारत का सबसे पुरान मकबरा कहा जाता है?