असम में फिर से घरों को गिराने की कार्रवाई शुरू हो गई है. 9 नवंबर की सुबह पश्चिमी असम के गोलपाड़ा ज़िले में ज़िला प्रशासन और वन विभाग ने करीब 1,140 बीघा (153 हेक्टेयर) ज़मीन पर बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान चलाया.
असम में 580 घर और तोड़े जा रहे, हिमंता ने दो दिन पहले कहा था- 'मैं आपको खुश नहीं कर सकता'
इस साल 16 जून को ही असम में 600 से ज़्यादा परिवारों को हटाया गया था. अब यही कार्रवाई फिर शुरू की गई है.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गोलपाड़ा के जिलाधिकारी प्रदीप टिमुंग ने कहा कि यह अभियान कम से कम दो दिन चलेगा. उन्होंने बताया,
“हमने 580 परिवारों को बेदखली नोटिस जारी किए हैं. पूरी ज़मीन दहिकाटा रिज़र्व फॉरेस्ट के अंदर आती है और इन लोगों ने उस पर कब्जा कर रखा था.”
इस साल असम में बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान चलाए गए हैं. कई जिलों में घर तोड़े गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के हवाले से लिखा है कि यह कदम राज्य में “एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा जनसंख्या कब्जे” को रोकने के लिए उठाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक इन कार्रवाइयों से प्रभावित लोगों में ज़्यादातर बंगाली मूल के मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं.
गोलपाड़ा ज़िले में इससे पहले भी कई बार वनभूमि से कब्जे हटाने के लिए बड़े अभियान चलाए गए. 12 जुलाई को पैकन रिज़र्व फॉरेस्ट में 140 हेक्टेयर ज़मीन खाली कराई गई थी, और 16 जून को हसीला बील इलाके से 600 से ज़्यादा परिवारों को हटाया गया था.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने दो दिन पहले फेसबुक लाइव में इस बेदखली अभियान की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि जुबीन गर्ग की मौत के बाद जो तनाव और दबाव राज्य सरकार पर है, वह “राज्य में नेपाल जैसी स्थिति बनाने की कोशिश” है. सीएम सरमा ने कहा,
“कई लोग सोच रहे थे कि अब बेदखली रुक जाएगी. वे कह रहे थे कि ‘हमने हिमंता बिस्व सरमा पर इतना दबाव बनाया है, अब उसमें हिम्मत नहीं बचेगी.’ मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं आपको खुश नहीं कर सकता. 9 और 10 नवंबर को गोलपाड़ा के दहिकाटा जंगल में बेदखली शुरू होगी.”
केंद्रीय असम सर्कल के वन संरक्षक सनीदेव इंद्रदेव चौधरी ने बताया कि रविवार के अभियान के लिए 1,000 से अधिक वन और पुलिसकर्मियों को लगाया गया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ गोलपाड़ा ज़िले में ही इस साल अब तक 900 हेक्टेयर से ज़्यादा वन भूमि बेदखली के ज़रिए वापस ली जा चुकी है.
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