गुजरात हाई कोर्ट ने मंचा मस्जिद ट्रस्ट की एक याचिका खारिज कर दी है. याचिका में ट्रस्ट ने अहमदाबाद नगर निगम के 25 जुलाई के नोटिस को रद्द करने की बात कही थी. नोटिस में ट्रस्ट को निर्देश दिया गया था कि वो सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए सारसपुर में 400 साल पुरानी मंचा मस्जिद के एक हिस्से को शांतिपूर्वक खाली कर दे.
400 साल पुरानी मंचा मस्जिद का हिस्सा टूटेगा? गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रस्ट की याचिका खारिज की
कोर्ट ने सरकार के उस तर्क पर विचार किया जिसमें कहा गया था कि सड़क चौड़ीकरण व्यापक जनहित में है. जिसके बाद कोर्ट ने 25 जुलाई के AMC के नोटिस में चार हफ्ते की रोक लगाने के अनुरोध को खारिज कर दिया.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने सरकार के उस तर्क पर विचार किया जिसमें कहा गया था कि सड़क चौड़ीकरण व्यापक जनहित में है. जिसके बाद कोर्ट ने 25 जुलाई के AMC के नोटिस में चार हफ्ते की रोक लगाने के अनुरोध को खारिज कर दिया. जस्टिस मौना भट्ट ने मामले की सुनवाई की. AMC नोटिस को चुनौती देने वाले मस्जिद ट्रस्ट की याचिका को कोर्ट ने गुजरात प्रोविजनल नगर निगम (GPMC) अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के विपरीत पाया.
याचिकाकर्ता ने क्या दलीलें दीं?
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि मौजूदा मामले में, मंचा मस्जिद को नोटिस AMC के डिप्टी एस्टेट ऑफिसर ने जारी किए थे. मामले की सुनवाई भी उसी अधिकारी के सामने हुई थी, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए. ये भी कहा गया कि ट्रस्ट ने इस साल जनवरी में सुनवाई के दौरान कारण बताओ नोटिस पर आपत्ति जताई थी. जिसके बाद AMC की स्टैंडिंग कमेटी ने याचिकाकर्ता की आपत्तियों को खारिज करते हुए आदेश पारित किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि ये स्पष्ट रूप से विवेक का प्रयोग न करने जैसा है.
याचिकाकर्ता की दलीलों में कहा गया था कि 400 साल पुरानी इस मस्जिद को गिराना याचिकाकर्ता के धर्म और उसकी आस्था के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, और इसलिए नोटिस को रद्द और निरस्त किया जाना चाहिए. ये भी दलील दी गई कि मस्जिद का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है. साथ ही बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, 1950 के लागू होने के बाद, मस्जिद और उसकी संपत्तियां वक्फ एक्ट, 1995 के तहत एक संपत्ति के रूप में रजिस्टर्ड हैं. कोर्ट ने इन सभी बातों पर गौर किया.
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में ये भी कहा कि AMC ने GPMC एक्ट और वक्फ एक्ट के नियमों का पालन नहीं किया. 1 जनवरी, 2025 की सुनवाई के दौरान भी आपत्ति जताई गई थी. इसके बावजूद 25 जुलाई को नोटिस जारी किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता को भूमि और भवन को खाली करने का निर्देश दिया गया.
इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को सुना. उसने कहा कि मामले में वक्फ अधिनियम के प्रावधान इसलिए नहीं लागू होंगे, क्योंकि नगर आयुक्त ने विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया था.
अदालत ने याचिकाकर्ता के 25 जुलाई के आदेश पर चार हफ्ते के लिए रोक लगाने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया.
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