ब्रिटेन की 59 साल की यवोन फोर्ड इसी साल फरवरी में छुट्टी मनाने मोरक्को गई थीं. यहां एक कुत्ते ने उन्हें पंजा मार दिया. हल्की सी खरोंच थी तो फोर्ड ने उस पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन महीनों बाद वह अचानक बीमार पड़ीं. उन्हें सिरदर्द हुआ. फिर धीरे-धीरे चलने, बोलने, सोने और कुछ भी निगलने की उनकी क्षमता खत्म हो गई. जून 2025 में उनकी मौत हो गई.
कुत्ते के खरोंचने से अहमदाबाद में पुलिस इंस्पेक्टर की मौत कैसे हुई? ये चेतावनी सबके लिए
ये तीन मामले उन लोगों के लिए चेतावनी हैं जो कुत्ते पालने का शौक रखते हैं और जिन्हें लगता है कि कुत्ते के नाखून से खरोंच लगना खतरे की बात नहीं है.
.webp?width=360)

तमिलनाडु का रानीपेट. मार्च 2025 में यहां एक व्यक्ति को तीन महीने पहले एक आवारा कुत्ते ने खरोंच लिया था. उन्हें भी यही लगा कि कुत्ते ने काटा थोड़ी है. खरोंच लगाई है और नाखून में तो रेबीज वायरस होते नहीं हैं. न इलाज कराया और न ही टीका लगवाया. बाद में उनकी तबीयत बिगड़ी. तेज बुखार की हालत में उन्हें वेल्लोर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई. पता चला कि उन्हें रेबीज इन्फेक्शन हो गया था.
अब एकदम ताजा मामले पर आते हैं. गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले पुलिस इंस्पेक्टर वनराज मांजरिया को एक कुत्ते के नाखून से खरोंच लग गई. उन्होंने भी मामूली चोट समझकर इस खरोंच को नजरअंदाज कर दिया था, लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद उन्हें एयरोफोबिया और हाइड्रोफोबिया के लक्षण दिखने लगे. तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन जान नहीं बची.
ये तीन मामले उन लोगों के लिए चेतावनी हैं जो कुत्ते पालने का शौक रखते हैं और जिन्हें लगता है कि कुत्ते के नाखून से खरोंच लगना खतरे की बात नहीं है. इससे रेबीज नहीं हो सकता. तीनों ही मामलों में मरीजों ने एक ही बात सोची. कुत्ते के काटने से रेबीज होता है, खरोंचने से नहीं. जबकि सच्चाई ये है कि कुत्ते के काटने से, चाटने से या खरोंचने से भी रेबीज का रिस्क रहता ही है.
नई दिल्ली में आशीर्वाद मेडिकेयर क्लीनिक के जनरल फिजीशियन डॉ. पियूष मिश्रा बताते हैं कि आमतौर पर कुत्ते अपना प्यार-दुलार दिखाने के लिए चाटते हैं. ये बहुत ही नॉर्मल-सी बात है. लेकिन, अगर व्यक्ति को कोई घाव है और वह खुला हुआ है. उस पर किसी तरह की कोई पट्टी नहीं बंधी है. तो उस चोट पर पालतू जानवर का चाटना खतरनाक हो सकता है.
डॉक्टर पियूष कहते हैं,
पालतू जानवरों के मुंह में कई हानिकारक बैक्टीरिया पाए जाते हैं. जैसे पाश्चरेल्ला, कैपनोसाइटोफागा और स्टैफीलोकोक्स वगैरह. ये खुले घाव में इन्फेक्शन फैला सकते हैं. अगर बैक्टीरिया खून में पहुंच जाए तो सेप्सिस जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है और व्यक्ति की जान जा सकती है.
खरोंचे जाने पर भी ऐसा ही केस होता है. कुत्ते के नाखून में तो वैसे रेबीज के वायरस नहीं होते हैं. उनकी लार में इसके बैक्टीरिया पाए जाते हैं. किसी रेबीज संक्रमित जानवर की लार के संपर्क में आने से मनुष्यों में ये रोग पहुंचता है.
अब सवाल है कि कुत्ते की लार से अगर रेबीज फैलता है तो नाखून की खरोंच से लोग बीमार क्यों पड़ जाते हैं?
इसका जवाब है कि कई बार कुत्ते अपने नाखूनों को मुंह के पास लगाते हैं. इससे उनके नाखून लार यानी सलाइवा से दूषित हो सकते हैं. ऐसी हालत में अगर वो रेबीज से संक्रमित है और किसी को खरोंच लेता है तो उसे रेबीज होने की संभावना बढ़ जाती है.
हालांकि, खरोंचे जाने पर रेबीज संक्रमण का रिस्क थोड़ा कम होता है लेकिन एकदम नहीं होता, ऐसा भी नहीं है. इसलिए जरूरी है कि अगर आपके घर में पालतू कुत्ते हैं तो उसके चाटने और खरोंचने को लेकर भी आपको सतर्क रहना चाहिए.
डॉ. पियूष के मुताबिक, कुत्ते के चाटने पर रिस्क तब ज्यादा होता है, जब आपके शरीर पर घाव हों और वो खुले हुए हों. अगर आप स्वस्थ हैं और शरीर में कहीं कोई घाव नहीं है, तब कोई दिक्कत नहीं. पालतू जानवर आपको अपना प्यार दिखाते हैं तो दिखाने दें. पर तब भी उसे अपनी आंखें, नाक और मुंह न चाटने दें.
वहीं अगर आपके शरीर पर कहीं खुला घाव है तो उसके भरने तक Pet से दूरी बनानी ही होगी. फिर भी, अगर गलती से जानवर घाव चाट ले तो तुरंत घाव को साफ करें और डॉक्टर को दिखाएं.
क्या है रेबीज?दी लल्लनटॉप से बातचीत में डॉक्टर आभा मंगल बताती हैं कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर करती है. यह बीमार जानवर से इंसान में हो जाती है. इसकी वजह एक वायरस है, जिसका नाम है रैपटो. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और यह 100% फेटल है.
रेबीज के लक्षण आमतौर पर तीन से 12 हफ्ते में दिखाई देते हैं. ये कुछ दिनों के बाद भी दिखाई दे सकते हैं या हो सकता है कि कई महीनों या सालों तक दिखाई न दें.
लक्षण क्या होते हैं?रेबीज में आपको उस जगह पर सुन्नपन या झुनझुनी महसूस होगी, जहां आपको जानवर ने काटा या खरोंचा है. मतिभ्रम यानी hallucinations, एंग्जायटी या बहुत एनर्जेटिक महसूस करना, निगलने या सांस लेने में कठिनाई और लकवा भी इसके लक्षणों में शामिल है.
लक्षण दिखने पर यह लगभग हमेशा घातक होता है, लेकिन अगर वायरस के संपर्क में आने के तुरंत बाद इलाज मिल जाए तो इस रोग को रोकने में बहुत प्रभावी होता है.
ऐसे मामलों में सतर्क रहना जरूरी है और अगर किसी जानवर ने काट लिया हो या खरोंच दिया हो, या आंख, नाक, मुंह या खुले घाव को चाट लिया हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
वीडियो: सेहत: घर में फफूंदी लगी है, इसलिए ख़राब रहती है आपकी तबियत