फ़र्ज़ कीजिए, आपका शरीर एक शहर है. जहां हर वक़्त भाग-दौड़ लगी रहती है. अब इस शहर में बहुत सारे हेल्पर रहते हैं. वो इस शहर का सारा काम करते हैं. सफ़ाई, उसकी हिफाज़त, कंस्ट्रक्शन वगैरा-वगैरा. इनकी वजह से ही ये शहर बिना किसी दिक्कत के चलता रहता है. ये हेल्पर हैं सेल्स. लेकिन काम करते-करते सेल्स कुछ ऐसी चीज़ें बनाने लगते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होती हैं. इनको आप समझ लीजिए शरीर का दुश्मन. बहुत खुराफ़ाती. इनसे कैंसर भी हो सकता है. इन्हें कहते हैं फ्री रेडिकल्स.
इस वजह से होता है डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियां
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस एक तरह का तनाव है, जो आपके शरीर पर पड़ता है और बीमारियों की वजह बनता है. इसकी वजह से डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, पैरालिसिस और स्ट्रोक हो सकता है.


अच्छी बात ये है कि आपके शरीर में कुछ सुपरहीरो भी रहते हैं. इन्हें एंटीऑक्सीडेंट कहते हैं. ये हैं शरीर की पुलिस. इनका काम है बदमाश फ्री रेडिकल्स को पकड़ना, ताकि आपका शरीर सेफ़ रहे और बीमारियों से बचा रहे.
मगर दिक्कत तब होती है, जब इन फ्री रेडिकल बदमाशों की तादात बढ़ जाती है. और, इन्हें पकड़ने वाले सुपरहीरो यानी एंटीऑक्सीडेंट की तादात घटने लगती है. जैसे ही ये होता है, आपका शरीर कमज़ोर पड़ने लगता है. बीमारियों और इन्फेक्शन की चपेट में आने लगता है. इसे ‘ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस’ कहते हैं. ये एक प्रकार का तनाव है जो आपके शरीर पर पड़ता है और बीमारियों की वजह बनता है.
इसलिए, डॉक्टर से समझेंगे कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस क्यों होता है. इससे शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है और इससे बचने के लिए क्या करें.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण
ये हमें बताए डॉक्टर उर्वी माहेश्वरी ने.

हमारा पूरा दिन भाग-दौड़ में निकलता है. कभी टारगेट के पीछे भागते हैं. कभी प्रदूषण, ट्रैफिक से लड़ते हैं. वर्क प्रेशर से जूझते हैं. इन सबके चलते शरीर पर एक प्रकार का तनाव पड़ता है, जिसे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कहते हैं. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से नसों, मांसपेशियों और सेल्स में सूजन आ जाती है.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बहुत सारे कारणों से होता है. जैसे नींद की कमी. खान-पान ठीक न होना. खान-पान में पोषण की कमी. जंक फ़ूड ज़्यादा खाना. कम पानी पीना. शराब-सिगरेट का सेवन करना. एक्सरसाइज़ नहीं करना और प्रदूषण में रहना. इन सबसे सेल्स और नसों में सूजन आने लगती है.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से नुकसान
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, पैरालिसिस और स्ट्रोक हो सकता है. साथ ही, नसें भी समय से पहले बूढ़ी हो जाती हैं, जिसे प्रीमेच्योर एजिंग कहते हैं. इन सबके चलते लंग्स और किडनी के काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है. ये सब ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से हो सकता है.

ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाव
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार ज़रूरी है. कुछ नियम फॉलो करने ज़रूरी हैं. जैसे वक़्त पर सोना. रात में सोशल मीडिया या टीवी देखकर वक़्त ज़ाया न करें, समय पर सोएं, क्योंकि नींद पूरी न होने पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है. इसलिए समय पर सोएं और समय पर उठें. इससे शरीर के हॉर्मोन्स के बीच बैलेंस बना रहता है, मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाव होता है. पौष्टिक खाना खाएं.
आपकी डाइट में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अच्छी होनी चाहिए. रोज़ खाने में फल, सब्ज़ियां और ड्राई फ्रूट्स लें. जंक फ़ूड से दूर रहें. रोज़ 3-4 लीटर पानी पीजिए. स्मोकिंग न करें. प्रदूषण से खुद को बचाएं. मास्क पहनें. आसपास सफ़ाई रखें.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचने के लिए डाइट में ज़्यादा से ज़्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स लें. जैसे आंवला, अनार, पालक, अमरूद, बेरीज़, टमाटर, गाजर, पत्तागोभी, हल्दी, दाल चीनी, जीरा, धनिया, अदरक, अखरोट, बादाम, फ्लैक्स सीड्स, राजमा, डार्क चॉकलेट और ग्रीन टी. इन सभी में एंटीऑक्सीडेंट्स अच्छी मात्रा में होते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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