आखिरकार तेज़ ठंड पड़ना शुरू हो गई है दोस्तो! ये अब और बढ़ेगी. सुबह रजाई नहीं छोड़ी जाएगी. जेबों से हाथ निकालना मुश्किल हो जाएगा. उंगलियां और हथेली तो अभी से जमना शुरू हो गई हैं, जैसे इन पर किसी ने बर्फ रख दी हो.
बर्दाश्त से बाहर हुई सर्दी में वॉर्मिंग लोशंस लगाना कितना सेफ?
अब ठंड का तो कुछ नहीं कर सकते. सर्दी का मौसम है. ठंड तो पड़ेगी ही. हां, एक खास लोशन लगाकर अपने हाथ-पैरों को गर्म ज़रूर रख सकते हैं. इस लोशन का नाम है, वॉर्मिंग लोशन. आजकल सोशल मीडिया पर इसके बहुत चर्चे हैं. दरअसल, वॉर्मिंग लोशन को शरीर के जिस हिस्से पर लगाया जाए. वो हिस्सा गर्माने लगता है.
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अब ठंड का तो कुछ नहीं कर सकते. सर्दी का मौसम है. ठंड तो पड़ेगी ही. हां, एक खास लोशन लगाकर अपने हाथ-पैरों को गर्म ज़रूर रख सकते हैं. इस लोशन का नाम है, वॉर्मिंग लोशन. आजकल सोशल मीडिया पर इसके बहुत चर्चे हैं. दरअसल, वॉर्मिंग लोशन को शरीर के जिस हिस्से पर लगाया जाए. वो हिस्सा गर्माने लगता है.
देखिए, अब इसमें फायदा तो है. मगर क्या ये हमारी स्किन के लिए सेफ हैं? हमने पूछा डॉक्टर मनीष जांगड़ा से.

डॉक्टर मनीष बताते हैं कि वॉर्मिंग लोशन, दूसरे लोशन की तरह ही होते हैं. बस फर्क ये है कि इन्हें शरीर के जिस हिस्से में इसे लगाया जाता है, उस हिस्से में गर्मी का एहसास होने लगता है. ये लोशन खासतौर पर, खुले अंगों के लिए ज़्यादा कारगर हैं. जैसे हाथ और पैर.
अब बात आती है कि वॉर्मिंग लोशन काम कैसे करते हैं? तो, इनमें कुछ खास तरह के तत्व डाले जाते हैं. जैसे कैप्सेसिन. ये मिर्च का एक एक्टिव कंपाउंड है. कैप्सेसिन स्किन में मौजूद हीट रिसेप्टर्स को सक्रिय कर देता है. जिससे शरीर के उस हिस्से में गर्मी का एहसास होता है.
देखिए, हमारी स्किन में अलग-अलग तरह के रिसेप्टर्स होते हैं. ये रिसेप्टर्स बाहरी सिग्नल्स को पहचानते हैं और नसों के ज़रिए दिमाग तक सिग्नल पहुंचाते हैं. दिमाग इन सिग्नल को समझता है और उस हिसाब से अपनी प्रतिक्रिया देता है. जैसे कोई गर्म चीज़ छूने पर हम तुरंत अपना हाथ हटा लेते हैं.

ये रिसेप्टर्स कई तरह के होते हैं. जैसे पेन रिसेप्टर्स. जो दर्द का सिग्नल भेजते हैं. टच रिसेप्टर्स, जो छूने का एहसास दिलाते हैं. और, थर्मोरिसेप्टर्स. जो गर्मी और ठंड को महसूस करते हैं.
अब वॉर्मिंग लोशन में मौजूद कैप्सेसिन, हीट रिसेप्टर्स को सक्रिय कर देता है. जिससे शरीर के उस हिस्से में गर्माहट पैदा होती है.
इन लोशंस में मेंथॉल भी डाला जाता है. आमतौर पर, इसका इस्तेमाल ठंडे पाउडर्स और साबुन में होता है. लेकिन खास फॉर्मूलेशन में, यानी खास तरीके से इस्तेमाल करने पर ये स्किन के थर्मोरिसेप्टर्स को सक्रिय कर देता है. जिससे गर्मी का एहसास होता है.
कुछ लोशंस में दालचीनी का तेल भी डाला जाता है. ये तेल भी गर्मी का एहसास दिलाता है. इसके साथ ही, ये तत्व खून की नलियों को चौड़ा कर देते हैं. जिससे उस हिस्से में खून का फ्लो बढ़ जाता है. और गर्माहट महसूस होने लगती है.

डॉक्टर मनीष आगे कहते हैं कि आमतौर पर, वॉर्मिंग लोशंस सुरक्षित होते हैं. इन्हें बिना किसी टेंशन के इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन, जिनकी स्किन सेंसेटिव है, जिन्हें स्किन से जुड़ी कोई बीमारी है, ऐसे लोग वॉर्मिंग लोशंस लगाने से बचें. या फिर डॉक्टर की सलाह पर ही लगाएं.
अगर वॉर्मिंग लोशन लगाने के बाद स्किन में जलन हो, स्किन लाल पड़ जाए, या कोई और दिक्कत हो तो इसे लगाना बंद कर दें.
एक चीज़ और. वॉर्मिंग लोशन को आंखों के पास या चेहरे पर लगाने से बचें. ये लोशन हाथ-पैर जैसे हिस्सों के लिए ज़्यादा बेहतर हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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