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कैंसर से भी ज़्यादा घातक सेप्सिस, डॉक्टर से जानिए इससे बचना कैसे है

WHO के मुताबिक, साल 2020 में कैंसर से लगभग 1 करोड़ मौतें हुई थीं. वहीं सेप्सिस की वजह से 1 करोड़ 10 लाख लोग मारे गए थे.

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सेप्सिस से बचना है, तो अपनी इम्यूनिटी को मज़बूत रखें

जब हमें कोई इंफेक्शन होता है, तो शरीर क्या करता है? शरीर उस इंफेक्शन को फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस से निपटने की कोशिश करता है. हमारा इम्यून सिस्टम कीटाणुओं से लड़ना शुरू कर देता है ताकि इंफेक्शन ठीक हो जाए. लेकिन, कभी-कभी हमारा इम्यून सिस्टम लड़ना बंद कर देता है. सिर्फ यही नहीं, ये शरीर के हेल्दी टिशूज़ और अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है. इससे पूरे शरीर में अंदरूनी सूजन आ जाती है.

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नतीजा? सेप्सिस हो जाता है. सेप्सिस एक बहुत ही सीरियस कंडीशन है. ये कैंसर से भी घातक है. दुनियाभर में जितनी मौतें कैंसर से होती हैं. उससे ज़्यादा सेप्सिस से होती हैं.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन यानी WHO के मुताबिक, साल 2020 में कैंसर से लगभग 1 करोड़ मौतें हुई थीं. वहीं सेप्सिस की वजह से 1 करोड़ 10 लाख लोग मारे गए थे. ऐसे में आज सेप्सिस के बारे में सबकुछ जान लीजिए. 

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सेप्सिस क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर पुष्कर शिकरखाने ने.

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डॉ. पुष्कर शिकरखाने, इंटरनल मेडिसिन, लीलावती हॉस्पिटल, मुंबई

सेप्सिस किसी गंभीर इंफेक्शन का बढ़ा हुआ और खतरनाक रूप है. जब शरीर पर किसी कीटाणु का हमला होता है. फिर चाहें वो वायरस हो, बैक्टीरिया हो या फंगस. जब ये कीटाणु पूरे शरीर में फैल जाते हैं, तो शरीर में कुछ केमिकल बनने लगते हैं. ये केमिकल शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर हो सकता है.

सेप्सिस के कारण मरीज़ का ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाता है. ब्लड प्रेशर कम होने से अंगों को खून की पर्याप्त सप्लाई नहीं होती. उन्हें ऑक्सीज़न नहीं मिलती, ग्लूकोज़ नहीं मिलता. इससे शरीर की कोशिकाएं अलग-अलग करके मरने लगती हैं. अगर समय पर इलाज न हो, तो सेप्सिस से मौत भी हो सकती है. 

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सेप्सिस होने का कारण

कुछ गंभीर बीमारियों का इंफेक्शन ज़्यादा बढ़ जाने की वजह से सेप्सिस हो सकता है. जैसे मलेरिया, डेंगू, लैप्टोस्पायरोसिस, इंफ्लूएंज़ा, कोविड-19, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), गाल ब्लैडर का इंफेक्शन और निमोनिया. जब इन बीमारियों के कीटाणु शरीर में बहुत ज़्यादा फैल जाते हैं. तब ये इंफेक्शन सेप्सिस में बदल सकता है.

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अगर दिमाग सही से काम नहीं कर रहा, चक्कर आ रहे तो सेप्सिस हो सकता है
सेप्सिस के लक्षण

- बुखार आना

- दिमाग सही से काम न करना

- बीपी कम होने की वजह से चक्कर आना या गिर जाना

- सांस फूलना

- किडनी पर असर पड़ने की वजह से यूरिन कम बनना

- लिवर को नुकसान पहुंचने की वजह से लिवर खराब होना

- ऐसे मरीज़ को अस्पताल में भर्ती कराना ज़रूरी होता है

- अगर तुरंत इलाज न मिले, तो मरीज़ को बचाना मुश्किल हो सकता है  

सेप्सिस से बचाव और इलाज

सेप्सिस से बचने के लिए सेहत का ध्यान रखना ज़रूरी है. अपनी इम्यूनिटी मज़बूत बनाने के लिए बैलेंस्ड डाइट लें. अच्छी नींद लें. रोज़ एक्सरसाइज़ करें. ज़रूरी वैक्सीन लगवाएं. खासकर बच्चे, बुज़ुर्ग और प्रेग्नेंट महिलाएं. दिल, किडनी या लिवर की बीमारी वाले मरीज़ भी वैक्सीन लगवाएं. इन्हें सेप्सिस होने का सबसे ज़्यादा खतरा होता है. 

वैक्सीन में फ्लू की वैक्सीन लगवाई जा सकती है. ज़्यादातर लोग कोविड-19 की वैक्सीन लगवा ही चुके हैं. इसके अलावा, 65 साल से ऊपर के लोग निमोकोकल वैक्सीन लगवाएं. इन्हें लगाने से शरीर की इम्यूनिटी मज़बूत रहती है. अगर तेज़ बुखार बना हुआ है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. जिससे पता चल सके कि मलेरिया, डेंगू, लैप्टोस्पायरोसिस या इंफ्लूएंज़ा में से कोई इंफेक्शन तो नहीं हुआ. सही समय पर जांच और इलाज कराने से सेप्सिस से बचा जा सकता है.

देखिए, सेप्सिस एक जानलेवा बीमारी है. अगर आपका इंफेक्शन ठीक नहीं हो रहा. लगातार गंभीर हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. वो ज़रूरी जांचें करके पता कर सकेंगे कि कहीं आपको सेप्सिस तो नहीं हो गया.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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