एक बात बताइए. आपकी उम्र ज़्यादा है या आपके फेफड़ों की? हो सकता है आप कहें, ये क्या सवाल है. हमारी और फेफड़ों की उम्र अलग-अलग क्यों होगी. जितनी हमारी उम्र है, उतनी ही फेफड़ों की भी होगी.
'आपसे ज़्यादा तेज़ी से बूढ़े हो रहे आपके फेफड़े', ये लक्षण दिखें तो समझ जाइए मामला गड़बड़ है
आपके फेफड़ों की उम्र आपकी असल उम्र से कम-ज़्यादा हो सकती है. आज ‘वर्ल्ड लंग डे’ पर डॉक्टर से जानेंगे, क्यों आपके फेफड़े आपसे जल्दी बूढ़े हो जाते हैं. कैसे पता चलता है कि फेफड़े समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं. फेफड़ों की क्षमता जांचने के लिए कौन-से टेस्ट करवाएं और फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए क्या करें.
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पर यहां आप गलत हैं. आपके फेफड़ों की उम्र आपकी असल उम्र से कम-ज़्यादा हो सकती है. आज ‘वर्ल्ड लंग डे’ पर डॉक्टर से जानेंगे, क्यों आपके फेफड़े आपसे जल्दी बूढ़े हो जाते हैं. कैसे पता चलता है कि फेफड़े समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं. फेफड़ों की क्षमता जांचने के लिए कौन-से टेस्ट करवाएं और फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए क्या करें.
क्या फेफड़े इंसान की उम्र से ज़्यादा बूढ़े हो सकते हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर विकास मित्तल ने.

उम्र बढ़ने के साथ शरीर के हर अंग में बदलाव आने लगते हैं. जैसे स्किन में झुर्रियां आने लगती हैं. बाल सफेद होने लगते हैं. इसी तरह, फेफड़ों के काम करने की क्षमता भी घटने लगती है. कुछ वजहों से फेफड़े जल्दी बूढ़े हो जाते हैं. यानी फेफड़ों की उम्र, इंसान की असल उम्र से ज़्यादा हो सकती है.
कारण
अगर फेफड़ों की उम्र ज़्यादा है, तो इसकी प्रमुख वजह धुएं के संपर्क में आना है. ऐसा सिगरेट या हुक्का पीने से होता है. प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों के फेफड़ों की क्षमता कम हो सकती है. अगर किसी को बचपन या जवानी में ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) हुआ है. तब उनके फेफड़ों के काम करने की क्षमता भी कम हो सकती है. अगर किसी को फेफड़ों की बीमारी है, जो लंबे समय से चली आ रही है. जैसे अस्थमा, COPD या पल्मोनरी फाइब्रोसिस. तब भी फेफड़ों की उम्र व्यक्ति की उम्र से ज़्यादा हो सकती है.
कैसे पता चलता है लंग्स आपसे पहले बूढ़े हो रहे हैं?
- सांस लेने में दिक्कत महसूस होगी
- कोई भी काम करने पर सांस फूलेगी
- लंबे वक्त तक खांसी रहेगी
- रोज़ के काम करते हुए बहुत थकान लगेगी

कौन से टेस्ट करवाएं?
फेफड़ों की उम्र जांचने के लिए सबसे पहले स्पाइरोमेट्री टेस्ट कराएं. ये टेस्ट फेफड़ों की हवा फूंकने की क्षमता को मापता है. इससे पता चलता है कि आपके फेफड़ों की उम्र क्या है.
इसके अलावा चेस्ट एक्स-रे, सीटी स्कैन या सिक्स मिनट वॉक टेस्ट भी कराया जा सकता है. सिक्स मिनट वॉक टेस्ट में आपको 6 मिनट तक चलाया जाता है. फिर देखा जाता है कि आपने कितनी दूरी तय की और चलने के दौरान ऑक्सीज़न लेवल कितना रहा. इन सभी टेस्ट से फेफड़ों के काम करने की क्षमता का पता लगता है.
फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए क्या करें?
फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए सबसे ज़रूरी है कि स्मोकिंग न करें. किसी भी तरह का तंबाकू इस्तेमाल न करें. घर या बाहर कहीं भी प्रदूषण हो, तो उससे बचें. घर के अंदर प्रदूषण कम करने के लिए चिमनी और एयर फिल्टर का इस्तेमाल करें. अगर घर में कोई सिगरेट पीता है, तो उसे रोकें. बाहर निकलते समय प्रदूषण से बचने के लिए मास्क लगाएं. घर और आसपास पेड़-पौधे भी लगा सकते हैं.
डाइट में हरी सब्ज़ियां और मौसमी फल ज़रूर शामिल करें. ये एंटीऑक्सीडेंट्स का काम करते हैं. हल्दी और अदरक जैसे मसाले फेफड़ों की सूजन कम करने में मदद करते हैं.
अगर खाने में अच्छी मात्रा में प्रोटीन है, तो वो फेफड़ों को हुए नुकसान को ठीक करने में मदद करता है. अपने खाने में अंकुरित दालें, अंडे और मछली जैसे प्रोटीन सोर्स शामिल करें. रोज़ पर्याप्त मात्रा में पानी और दूसरी तरल चीज़ें पिएं. पानी पीने से फेफड़ों के अंदर मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकलने में मदद मिलती है. साथ ही, म्यूकस की सही मात्रा बनी रहती है, जो प्रदूषण से बचाता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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