‘आपको कैंसर है.’ ये तीन शब्द इंसान की ज़िंदगी बदल देते हैं. इलाज लंबा चलता है. बहुत तकलीफ़देह होता है. लेकिन, उसके बाद भी भारत में 5 में से 3 लोग, कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं. पिछले 10 सालों में देश में कैंसर के मामले बढ़े हैं. खासकर महिलाओं में. यही अगले 20 सालों में भी जारी रहेगा. यानी आने वाले दो दशकों में कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ेंगे.
अगले दो दशकों में देश में तेज़ी से बढ़ेंगे कैंसर के मामले, जानिए ICMR ने इसकी क्या वजह बताई?
पिछले 10 सालों में देश में कैंसर के मामले बढ़े हैं. खासकर महिलाओं में. यही अगले 20 सालों में भी जारी रहेगा. यानी आने वाले दो दशकों में कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ेंगे.

ये कहना है ICMR के रिसर्चर्स का. ICMR यानी Indian Council of Medical Research. इनकी एक रिपोर्ट ‘द लैंसेट’ नाम के मेडिकल जर्नल में छपी है. इस रिपोर्ट में ग्लोबोकैन 2022 के डेटा पर विस्तार में बात हुई है.
ग्लोबोकैन, कैंसर से जुड़ा एक ऑनलाइन डेटाबेस है. इसे WHO की एजेंसी IARC यानी International Agency for Research on Cancer ने बनाया है. ये दुनियाभर में कैंसर के नए मामले, उनसे होने वाली मौतें और सर्वाइवर्स की दर बताता है.
ग्लोबोकैन ने साल 2022 में दुनियाभर के कैंसर से जुड़े आंकड़े प्रकाशित किए थे. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2022 में, भारत में, कैंसर के 14 लाख से ज़्यादा मामले सामने आए थे. 9 लाख से ज़्यादा मरीज़ों की मौत हो गई थी. इसी डेटा का इस्तेमाल ICMR ने अपनी स्टडी में किया. उन्होंने अलग-अलग उम्र और जेंडर के लोगों में 36 तरह के कैंसर की जांच-पड़ताल की.

पता चला कि भारत में सबसे आम कैंसर हैं- ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्विकल कैंसर, ऑसोफैगस कैंसर और कोलोरेक्टर कैंसर. महिलाओं में सबसे ज़्यादा आम है ब्रेस्ट कैंसर. वहीं पुरुषों को सबसे ज़्यादा मुंह का कैंसर होता है.
कैंसर के मामलों में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है. पहले और दूसरे नंबर पर चीन और अमेरिका हैं. वहीं कैंसर से मौतों के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर चीन है.
अब बात करते हैं कैंसर के रिस्क की. स्टडी के मुताबिक, युवाओं की तुलना में बुज़ुर्गों को कैंसर होने का खतरा ज़्यादा है. वहीं महिलाओं को भी कैंसर होने का बड़ा रिस्क है और आने वाले समय में भारत पर कैंसर का भयंकर बोझ पड़ने वाला है.
अभी हमारे देश की 65 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी 35 साल से कम है. धीरे-धीरे जब इन लोगों की उम्र बढ़ेगी, बुढ़ापा आएगा. तब उनमें कैंसर का रिस्क भी बढ़ेगा, क्योंकि जैसा इस रिपोर्ट से पता चला है, कैंसर का रिस्क बुज़ुर्गों को ज़्यादा है. ज़ाहिर है, आने वाले 10-20 सालों में मौजूदा युवा वर्ग बूढ़ा होना शुरू होगा तो कैंसर के मामले बढ़ेंगे. फिर कैंसर से मरने वालों की दर भी बढ़ेगी.
इस पूरी रिपोर्ट से एक बड़ा सवाल निकलकर सामने आता है. सवाल ये, कि आखिर महिलाओं और बुज़ुर्गों को कैंसर का ज़्यादा खतरा क्यों है? इसका जवाब दिया डॉक्टर अरुण कुमार गोयल ने.

डॉक्टर अरुण कहते हैं कि कैंसर का सबसे आम कारण क्रोमोसोम्स में म्यूटेशन है. क्रोमोसोम्स छोटी-छोटी संरचनाएं होती हैं. ये डीएनए और प्रोटीन से मिलकर बनी होती हैं. और, हर सेल के अंदर मौजूद होती हैं. जब क्रोमोसोम में असामान्य बदलाव होता है. तो सेल्स अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगते हैं. जिससे कैंसर हो सकता है.
अब क्रोमोसोम्स में बदलाव की ये प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है. इसमें कई साल लगते हैं. इसलिए, बुज़ुर्गों में कैंसर का रिस्क ज़्यादा होता है.
वहीं महिलाओं में कई ऐसे कैंसर होते हैं, जो पुरुषों में नहीं होते. जैसे ब्रेस्ट कैंसर, सर्विकल कैंसर, ओवेरियन कैंसर और बच्चेदानी का कैंसर. इसी वजह से महिलाओं को कैंसर होने का रिस्क ज़्यादा होता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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