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मुस्लिम मालिकों के रेस्त्रां में मानव-मल मिला खाना बेचने का दावा करती छह साल पुरानी घटना फिर वायरल

साल 2014 में हुए लंदन के एक मामले को कोरोना के दौरान सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.

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इस वायरल मेसेज की पूरी सच्चाई जान लीजिए.

दावा

अप्रैल, 2020 में लंदन के एक होटल की ख़बर इंडिया में वायरल हुई. इसमें दावा किया गया कि लंदन पुलिस ने होटल के खाने में ‘मानव-मल’ मिलाकर बेचने के आरोप में दो पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ़्तार किया है.
सोशल मीडिया पर वायरल मेसेज
(आर्काइव लिंक)
देखिए,
लंदन: कहीं पेशाब, कहीं थूक तो अब मानव मल भी, आप इसे कौन सा कृत्य कहेंगे, कौन सा आतंकवाद कहेंगे ये आपके ऊपर है, पर ये खबर आपके और आपके परिवार के सदस्यों के लिए बेहद जरुरी है, क्यूंकि आप सब भी बाहर ढाबे, रेस्तरा, होटल इत्यादि में खाना खाते ही होंगे और आप कभी इस पर ध्यान नहीं देते होंगे की ढाबा, रेस्तरा, होटल मजहबी उन्मादियों का है या किसी और का।
जिन दो उन्मादियों की तस्वीर आपको ऊपर नज़र आ रही है, उसमे पहले वाले का नाम है मोहम्मद अब्दुल बासित, तो दुसरे का नाम है अमजदये दोनों लम्बे समय से होटल चला रहे थे, जहाँ लोग बैठकर खाना खाते थे या फिर पैक घर ले जाते थे, इन दोनों को अरेस्ट कर जेल में बंद किया गया है। डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल इनके लगभग 50 ग्राहकों ने अलग अलग तरह के इन्फेक्शन की बात डाक्टरों से कही, जब जांच की गयी तो पता चला की सबको Food Poisoning है, जांच में खुलासा हुआ कि जो खाना इन लोगो ने खाया था उसमे इंसानी मल था, एक 13 साल की लड़की को तो ऐसा इन्फेक्शन हो गया की उसे ICU में एडमिट करवाना पड़ा, डाक्टरों ने बड़ी मशक्कत कर उसकी जान बचाई
इन सभी 150 लोगो में एक ही चीज़ कॉमन है और वो ये की इन सभी ने खैबर पास कबाब शॉप से खाना ख़रीदा था, फिर जांच टीम अचानक इस होटल में भी पहुँच गयी और बने हुए खाने को जब्त किया गया तो पता चला की उसमे भी इंसानी मल मिला हुआ है। इसके बाद होटल चलाने वाले मोहम्मद अब्दुल बासित और अमजद को अरेस्ट कर लिया गया, घटना ब्रिटेन के नाटिंघम की है। जानकारी ये भी मिली है कि होटल में 2 अलग अलग जगह पर खाना बन रहा था, एक जगह पर स्वच्छ खाना बन रहा था व दूसरे में मानव मल वाला, ये उन्मादी अपने धर्म को छोड़कर बाकी सभी लोगों को मानव मल वाला खाना खिलाते थे।
कई न्यूज़ वेबसाइट ने भी इसी दावे के आधार पर ख़बर प्रकाशित की. न्यूज़ट्रैक लाइव की 20 अप्रैल की रिपोर्ट
(आर्काइव लिंक)
का टाइटल है,
Hotel owners Abdul and Amjad arrested for serving shit food to customers (ग्राहकों को मानव-मल वाला खाना बेचने के आरोप में होटल मालिक अब्दुल और अमजद गिरफ़्तार)
इस रिपोर्ट में घटना की तारीख़ के बारे में कुछ नहीं बताया गया है.
इस रिपोर्ट में घटना की तारीख़ के बारे में कुछ नहीं बताया गया है.


इस रिपोर्ट में ख़बर का सोर्स 'डेली मेल' की एक रिपोर्ट को बताया गया था. लेकिन इसमें घटना की तारीख़ नहीं बताई गई है.

पड़ताल

‘दी लल्लनटॉप’ ने वायरल दावों की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में ये दावे भ्रामक निकले.
हमने कीवर्ड्स की मदद से ब्रिटिश अख़बार 'डेली मेल' की वो रिपोर्ट
(आर्काइव लिंक)
खोजी, जिसके आधार पर इस मेसेज को वायरल किया जा रहा है. ये ख़बर 24 अगस्त, 2015 को पब्लिश हुई थी. तकरीबन पांच साल पहले.
डेली मेल की पांच साल पुरानी रिपोर्ट.
डेली मेल की पांच साल पुरानी रिपोर्ट.


इस रिपोर्ट के अनुसार, 18 जून, 2014 से 26 जून, 2014 के बीच, नॉटिंघम के ‘ख़ैबरपास टेकअवे’ होटल का खाना खाने वाले लोगों की तबीयत अचानक से बिगड़ने लगी. इनकी संख्या लगभग 150 थी. 13 साल की एक लड़की को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा. 
इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बीमार पड़ने पर इसकी वजह तलाशी गई. सभी घटनाओं के तार ‘ख़ैबरपास टेकअवे’ नामक होटल से जुड़ रहे थे. जब वहां जांच हुई, तो फ़ूड इंस्पेक्टर्स ने खाने में मानव-मल मिलाए जाने की आशंका जताई.
होटल के मालिकों, अब्दुल बासित और अमजद भट्टी को एक साल के लिए होटल चलाने से रोक दिया गया. दोनों को चार-चार महीने जेल की सजा दी गई. उन्हें नॉटिंघम क्राउन कोर्ट में 25 हज़ार पौंड (लगभग 23.8 लाख रुपये) जमा कराने के लिए कहा गया और हर एक प्रभावित व्यक्ति को 200 पौंड (तकरीबन 19 हज़ार रुपये) का मुआवजा देने का आदेश सुनाया गया.
फ़ैसला सुनाते हुए जज जेरेमी ली ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया और फ़ूड एंड हेल्थ के दिशा-निर्देशों का पालन न करने के लिए फटकार भी लगाई. जज ने ये भी कहा,
उस जगह पर साबुन और साफ़ पानी से हाथों की सफ़ाई नहीं हो रही थी. इससे ख़ाने के दूषित होने का खतरा बढ़ता है.
इस फैसले में खाने में मानव-मल मिलाने की बात नहीं की गई. इसमें होटल के कुछ वर्कर्स द्वारा सही से हाथ न धोने को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.
डेली मेल की रिपोर्ट का एक हिस्सा.
डेली मेल की रिपोर्ट का एक हिस्सा.


इसी रिपोर्ट में E. coli नामक बैक्टीरिया का ज़िक्र आया. हमने और सर्च किया तो हमें बीबीसी की 23 सितंबर, 2015
 (आर्काइव लिंक)
की एक रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट के अनुसार, नॉटिंघम सिटी काउंसिल के फ़ूड, हेल्थ एंड सेफ़्टी टीम से जुड़े पॉल डेल्स ने बताया कि मरीजों में E. coli बैक्टीरिया के एक किस्म की पुष्टि हुई. और, ये यूरोप के इतिहास में इस बैक्टीरिया के फैलने का दूसरा मामला था. E. coli इंसान की आंतों में अमूमन होता है. आमतौर पर पाचन में मदद करता है. हालांकि, अगर इसकी संख्या बढ़ जाए, तो डायरिया तक हो सकता है.
घटना के संबंध में बीबीसी की रिपोर्ट.
घटना के संबंध में बीबीसी की रिपोर्ट.


BBC की नॉटिंघम की हेल्थ टीम से बातचीत पर स्पष्ट होता है कि खाने में मानव-मल जान-बूझकर नहीं मिलाया गया, बल्कि खाना बनाने वालों ने अपने हाथ सही से नहीं धोए और होटल में साफ़-सफ़ाई का पूरा ध्यान नहीं रखा गया. इस घटना का कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं था, जैसा कि वायरल मेसेजों में बताया जा रहा है. किसी भी प्रामाणिक रिपोर्ट में होटल में दो स्थानों पर खाना बनाए जाने की बात नहीं मिली.

नतीजा

हाल के दिनों में लंदन के एक होटल के खाने में मानव-मल मिलाकर बेचने का दावा भ्रामक है. छह साल पुरानी घटना को सांप्रदायिक मोड़ देकर वायरल किया जा रहा है.
असल में, ये मामला जून, 2014 का है और नॉटिंघम शहर से संबंधित है. इस मामले में 'फ़ूड पॉइजिनिंग' सीधे मानव-मल नहीं, बल्कि होटल के वर्कर्स द्वारा साबुन और साफ़ पानी से हाथ न धोने की वजह से फैली थी. ये दावा भी ग़लत है कि होटल में गैर-धर्म के लोगों के लिए अलग जगह पर खाना बनाया जा रहा था.
इस केस में नॉटिंघम की एक कोर्ट ने होटल के मालिकों, अब्दुल बासित और अमजद भट्टी को चार महीने की जेल, एक साल तक होटल बंद रखने और भारी-भरकम ज़ुर्माने की सजा भी सुनाई थी. 

अगर आपको भी किसी ख़बर पर शक है
तो हमें मेल करें- padtaalmail@gmail.com
पर.

हम दावे की पड़ताल करेंगे और आप तक सच पहुंचाएंगे.

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कोरोना वायरस से जुड़ी हर बड़ी वायरल जानकारी की पड़ताल हम कर रहे हैं. इस लिंक पर क्लिक करके जानिए वायरल दावों की सच्चाई.

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