
मिस्टर कबीर एन मिस्टर इमराना "डूड मैंने तेरे बारे में कुछ सुना है." पैंतरा आज़माते हुए.
#असली द मिस्टर द दुबे कौन थे? आपको फिल्म का वो डायलॉग तो याद ही होगा. 'क्या तुम द मेंटली द चैलेंज्ड हो माय बॉय', सॉरी बॉय.. नहीं 'ब्वॉय'. कबीर-इमरान के स्कूल के मिस्टर दुबे की स्टाइल में बोला गया ये डायलॉग कोई चाह के भी नहीं भुला सकता. लेकिन आप हैरान होंगे जानकर कि मिस्टर दुबे वाकई में एग्जिस्ट करते हैं. ये हर इंग्लिश शब्द के आगे द लगाने का अंदाज़ असल में ज़ोया के मानेकजी कूपर स्कूल के टीचर मिस्टर दुबे का था. वे ही इस अंदाज़ में बात किया करते थे. और स्कूल के सारे बच्चे इन्क्लुडिंग ज़ोया उनकी कॉपी किया करते थे. फ़िल्म लिखते वक़्त ज़ोया को उनका अंदाज़ याद आया और उन्होंने उनकी स्टाइल में अभय को डायलाग बोलने के लिए कहा. बदकिस्मती से मिस्टर दुबे अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं. लेकिन उनकी बेटी ने जब 'जिंदगी ना मिलेगी दुबारा' देखी थी तब उन्होंने फ़रहान को कॉल करके उनके पिता को याद करने के लिए धन्यवाद कहा था. #बोल्ड एंड इंडिपेंडेंट लैला 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' में लैला का करैक्टर उस वक़्त तक फिल्मों में दिख रहीं महिलाओं से बहुत अलग था. लैला एक आत्मनिर्भर लड़की थी जो लड़को को 'एडवेंचर' से जुड़े खेल सिखा रही थी. ये अपने आप में एक नायाब बात थी. वरना इस फ़िल्म से पहले तक तो हीरो ही डेयरडेविल 'एडवेंचरिया' होता था और वही स्वैग से भोली-भाली मासूम लड़कियों को ऐसे जानलेवा खेला सिखाता था. अगर खुद फ़िल्म की एक्ट्रेस एक्टर को ये सिखाती, तो हीरो का माचो ख़राब हो जाता था. बोल्ड लैला के किरदार के बारे में बात करते हुए कटरीना ने कहा,
#जब टमाटरों के नाम से भी चिढ़ने लगे ऋतिक और बाकी सब 'टेक द वर्ल्ड एंड पेंट इट रेड' गाने में अर्जुन, कबीर, इमरान और लैला स्पेन के फेमस ला टोमाटीना फेस्टिवल के दौरान शूट कर रहे थे. जिन्हें ला टोमाटीना के बारे में ना पता हो तो वे उसे टमाटरों से खेले जानी वाली होली समझ लें. खैर, इस शूट के दौरान ये सब टमाटरों से इतने घिरे रहते थे और इतने टमाटर इन्हें दिन रात पड़ते रहते थे कि एक वक़्त ऐसा आ गया था कि टमाटर देख कर सब लोग बुरी तरह चिढ़ जाते थे. मतलब जिस कमरे में टमाटर दिख जाए वहां भूल से भी फटकें नहीं. ऋतिक बताते हैं इस शूट के 4 महीने बाद तक सबने टमाटर को खाना तो दूर देखा तक नहीं था.आपको लैला जैसे किरदार फ़िल्मों में देखने को ज्यादातर नहीं मिलते. खासकर उस वक़्त तो बिलकुल नहीं मिलते थे. मुझे लगता है लैला जैसे किरदार को ज़ोया जैसी दूरदर्शी महिला ही लिख सकती है. वरना लैला जैसी महिला पुरुषों को भयभीत कर सकती है. इसीलिए हमें लैला जैसे बोल्ड और आत्मविश्वासी किरदार ज्यादातर फिल्मों में नहीं दिखते. जो किसी पर निर्भर नहीं करते. हां लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इन महिलाओं के अंदर प्रेम की इच्छा नहीं होती है. बिलकुल होती है. लैला को भी ऋतिक के किरदार से प्रेम हो जाता है. और अंत में वो अर्जुन को रुकने के लिए भी कहती है. फैक्ट ये है कि वो कांफिडेंट थी. अपने को लेकर सजग नहीं थी.
'जिंदगी ना मिलेगी दुबारा' में कैटरीना के किरदार लैला को खूब पसंद किया गया था.

'ज़िंदगी ना मिलेगी दुबारा' के पोस्टर में सभी ला टोमाटीना फेस्टिवल मनाते हुए दिख रहे हैं.
हृतिक की इस बात से फ़रहान को एक किस्सा याद आ गया. बोले,
अब केयरटेकर लेडी भी इनसे दो कदम आगे थीं. वो बोलीं कि अगर तुम लोग ये नहीं खाओगे तो मैं ज़बरदस्ती तुम दोनों को ये खिला दूंगी."एक बार ऋतिक और मैं स्पेन के एक गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे. वहां एक लेडी थीं जो हमारी केयरटेकर थीं. उन्होंने हमारे लिए एक दिन टमाटर की ही डिश बना दी. हम लोग टमाटर खा-खा कर पक चुके थे. हम दोनों ने उन लेडी के सामने हाथ जोड़ लिए और बोले कि मैडम कुछ भी खिला दो, बस ये मत खिलाओ. हमारे जीवन में बहुत से टमाटर पहले ही आ चुके हैं."