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मूवी रिव्यू: जस्टिस लीग

जिस फिल्म के लिए दुनियाभर के फैन्स ने कैम्पेन किया, वो आखिर है कैसी?

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2017 वाली फिल्म करीब दो घंटे की थी, ये चार घंटे की है. फोटो - यूट्यूब
2017 में एक फिल्म आई थी. ‘जस्टिस लीग’. डायरेक्ट किया था ज़ैक स्नायडर और जॉस वेडन ने. रिलीज़ होने के बाद फिल्म की खूब आलोचना हुई. यहां तक कि हार्डकोर डीसी फैन्स को भी समझ नहीं आया कि फिल्म इतनी बुरी कैसे हो सकती है. फिर धीरे-धीरे न्यूज़ बाहर आने लगी. कि फिल्म को पहले स्नायडर ही बना रहे थे. लेकिन पर्सनल ट्रेजडी की वजह से उन्हें प्रोजेक्ट से अलग होना पड़ा. इस दौरान फिल्म की प्रॉडक्शन कंपनी वॉर्नर ब्रदर्स स्टूडियो जॉस वेडन को प्रोजेक्ट पर ले आई. जॉस वेडन वहीं हैं, जो इससे पहले मार्वल की ‘द एवेन्जर्स’ के शुरुआती दोनों पार्ट डायरेक्ट कर चुके हैं.
खैर, वॉर्नर ब्रदर्स चाहते थे कि जॉस ‘जस्टिस लीग’ को भी थोड़ा मार्वल वाला टच दे पाएं. स्टूडियो ऐसा करके मार्वल जैसी कामयाबी भुनाना चाहता था. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. क्यूंकि ऐसा करके ना तो फिल्म स्नायडर की बची और ना ही वेडन की. सुर्खियां फिर गर्म होने लगी. बातें बाहर आने लगी कि फिल्म का एक स्नायडर कट भी है. यानी ज़ैक स्नायडर का अपना वर्ज़न. इसे रिलीज़ करवाने के लिए फैन मूवमेंट चलने लगे. अब आखिरकार 2021 में ये रिलीज़ कर दिया गया है. फिल्म है ‘ज़ैक स्नायडर्स जस्टिस लीग’. 18 मार्च को रिलीज़ की गई. इंडिया में इसे बुक माई शो स्ट्रीम पर देखा जा सकता है. आपके लिए हमने भी ये फिल्म देखी. बात करेंगे कि 2017 में रिलीज़ हुई फिल्म से ये कितनी अलग है. और क्या आपको इस फिल्म को अपने चार घंटे देने चाहिए या नहीं. चलिए शुरू करते हैं.
Justice League 2017 Poster
2017 में आई फिल्म को फैन्स का भी सहारा ना मिला.
# Justice League की कहानी क्या है? कहानी खुलती है 2016 में आई ‘बैटमैन वर्सेज़ सुपरमैन’ के बाद से. सुपरमैन मर चुका है. उसके जाने से दुनिया की सुरक्षा पर भी एक खतरा मंडराने लगा है. बैटमैन इस बात से पूरी तरह वाकिफ है. इसलिए वो वंडर वुमन के साथ मिलकर एक टीम बनाने में जुटा है. ऐसे सुपरहीरोज़ की टीम जो बाहर से आने वाले इस खतरे से लड़ सकें. इसी के चलते एक्वामैन, फ़्लैश और सायबॉर्ग इनकी टीम से जुड़ते हैं. बैटमैन कहीं-ना-कहीं खुद को भी सुपरमैन की मौत के लिए ज़िम्मेदार मानता है. ये भी एक वजह है इस टीम यानि जस्टिस लीग को बनाने की. ताकि जो खालीपन सुपरमैन के जाने से हुआ है, उसे भरा जा सके.
Superman Is Dead
कहानी खुलती है सुपरमैन की मौत के बाद से.

दूसरी ओर सुपरमैन की मौत के साथ ही तीन मदर बॉक्स एक्टिवेट हो जाते हैं. ये मदर बॉक्स लिटरली बॉक्स ही हैं. लेकिन इनमें अपनी पावर्स हैं. अपनी जान है. अगर कोई घर जलकर धुआं हो जाए, तो ये बॉक्स उस धुएं से फिर घर बना सकते हैं. कुछ ऐसी शक्तियां हैं इन बॉक्सेस में. ये तीन बॉक्स दुनिया के अलग-अलग कोनों में हैं. पहला है वंडर वुमन की दुनिया ऐमज़ॉन में. दूसरा है एक्वामैन की दुनिया एटलान्टिस में. जो धरती से नीचे पानी में बसी एक दुनिया है. तीसरा है पृथ्वी पर. बॉक्स एक्टिवेट होते ही पता लगता है स्टेपनवॉल्फ को. दूसरे ब्रह्मांड का एक जीव. जो भी इन तीनों बॉक्सेस को एक साथ मिला लेगा, वो सबसे ताकतवर बन बैठेगा. स्टेपनवॉल्फ ये बात जानता है. इसलिए इन बॉक्सेस की तलाश में निकल पड़ा है. खुद के लिए नहीं, बल्कि अपने मालिक डार्कसाइड के लिए. ऐसा करके डार्कसाइड के सामने अपनी वफादारी साबित करना चाहता है. अब क्या स्टेपनवॉल्फ इन तीनों बॉक्सेस को हासिल कर मिला पाएगा, और सुपरहीरोज़ की टीम उसे रोक पाएगी या नहीं, यही फिल्म की कहानी है.
Mother Box
पूरी कहानी का फोकस हैं ऐसे तीन मदर बॉक्स.
# इतनी डार्क कि उजाला भी अंधेरा सा दिखे ज़ैक स्नायडर का एक सिग्नेचर स्टाइल रहा है. उनकी फिल्मों में एक अलग किस्म की टोन रहती है. डार्क किस्म की टोन. फिर चाहे वो इससे पहले डायरेक्ट की हुई ‘300’ हो या ‘वॉचमैन’. यही स्टाइल आपको ‘जस्टिस लीग’ में भी देखने को मिलेगा. फिल्म की लाइटिंग ऐसे की गई है कि ज़्यादातर हिस्सा डार्क ही दिखेगा. इतना कि दिन का उजाला भी अपने अंदर एक अंधेरा समेटे हुए है. एक मायूसी समेटे हुए है. इसकी एक वजह तो है स्नायडर का टिपिकल टच. लेकिन इसे एक और तरीके से देखा जा सकता है. सुपरमैन की मौत के बाद दुनिया में एक खालीपन आ जाता है. ऐसा जिसे भरना शायद मुमकिन ना हो. पूरी दुनिया अभी भी इस शोक से उभर नहीं पा रही. इसी शोक को फिल्म की डार्क टोन से दर्शाया गया है. फिल्म के दिन में शूट किए गए सीन भी ऐसे हैं कि देखकर उदासी-सी महसूस होने लगे. ऐसा शायद जानबूझकर किया गया. ताकि ऑडियंस को भी वो उदासी महसूस करवाई जा सके.
Random City Shots
ऐसे डार्क शॉट्स स्नायडर की सिग्नेचर स्टाइल रहे हैं.
# अकेला हीरो नहीं, पूरी टीम है ज़रूरी अक्सर टीम पर बनी फिल्मों के साथ एक दिक्कत रहती है. कि ये कोशिश तो करते हैं पूरी टीम को प्रॉपर फुटेज देने की. पर फुटेज खा जाता है कोई एक हीरो. खासतौर पर टीम का लीडर. लेकिन ‘जस्टिस लीग’ से आपको ये शिकायत नहीं रहेगी. हिसाब से टीम के लीडर थे बैटमैन और वंडर वुमन. फिर भी उनसे ज़्यादा फुटेज दी गई कहानी के बाकी हीरोज़ को. एक्वामैन, फ्लैश और सायबॉर्ग को. सबसे ज़्यादा सायबॉर्ग को. सायबॉर्ग खुद मदर बॉक्स की मदद से बना एक सुपरहीरो है. इसलिए जितना बेहतर वो मदर बॉक्स को समझ सकता है, उतना दूसरा कोई और नहीं. सायबॉर्ग की फुटेज भी सिर्फ टीम एक्शन तक सीमित नहीं रखी. उसकी पर्सनल लाइफ को भी उतनी ही जगह दी गई है. सुपरहीरो बनने से पहले उसकी दुनिया कैसी थी. उसकी अपने पेरेंट्स के साथ बॉन्डिंग कैसी थी. आज उसकी जैसी भी मानसिकता है, उसके पीछे क्या कुछ कारण रहे. इन सभी बातों का ख्याल रखा गया. या कहें तो एक हीरो के पीछे छिपे इंसान की कहानी को अच्छे से दिखाया गया. और इसका क्रेडिट जाता है फिल्म के राइटर्स क्रिस टेरिओ, विल बेल और ज़ैक स्नायडर को.
Cyborg 2
कहानी के हिसाब से सायबॉर्ग का किरदार सबसे अहम था.
# विलेन जितना बढ़िया, कहानी उतनी ही हिट 2017 में आई ‘जस्टिस लीग’ करीब दो घंटे की थी. ज़ैक स्नायडर वाला कट चार घंटे का है. कहना गलत नहीं होगा कि जल्दी-जल्दी निपटाने के चक्कर में पहली वाली फिल्म ने बहुत चीज़ें नज़रअंदाज़ कर दी थी. इन्हीं में से एक था फिल्म का विलेन स्टेपनवॉल्फ. पहले वाली फिल्म देखकर आपको स्टेपनवॉल्फ बेहद बचकाना लगेगा. ऐसा जिसके खिलाफ दुनिया के सबसे ताकतवर हीरोज़ को लड़ने की क्या ज़रूरत! स्नायडर के वर्ज़न ने इस बात का ध्यान रखा. फिल्म की लेंथ बढ़ी तो उसका फ़ायदा स्टेपनवॉल्फ को भी मिला. फिल्म के ज़्यादातर हिस्से में हीरोज़ उसके सामने टिकने में असमर्थ दिखे. और ये देखने में मज़ेदार था. अगर आपका हीरो विलेन को समझने में, उससे लड़ने में जूझ नहीं रहा, तो फिर वो विलेन ही किस काम का. स्टेपनवॉल्फ और जस्टिस लीग के एक्शन सीन भी एक नंबर हैं. ऐसे कि मैंने फिल्म लैपटॉप पर देखी, फिर भी खुद को हूटिंग करते पाया. सोचिए अगर यही फिल्म थिएटर्स में रिलीज़ हुई होती.
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पुरानी वाली फिल्म में स्टेपनवॉल्फ को बड़ा हल्के में निपटा दिया था.

पिछली फिल्म में डार्कसाइड को जगह नहीं मिली थी. लेंथ का हवाला देकर उसके सीन काट दिए गए थे. यहां डार्कसाइड को भी दिखाया गया. लेकिन इस बात का ध्यान रखा गया कि उसके बारे में सब कुछ ना बता दिया जाए. ऑडियंस को उसकी ताकत का अंदाज़ा भी हो जाए. और उसके किरदार के इर्द-गिर्द एक रहस्य भी बना रहे. कुछ इसी तरह दिखाया गया डार्कसाइड को. आगे आने वाले पार्ट्स में वो क्या कुछ कर सकता है, ये देखने लायक होगा. # दी लल्लनटॉप टेक फिल्म की लेंथ देखकर अगर हिचकिचा रहे हैं, तो इसका भी सोल्युशन है. फिल्म को छह पार्ट्स में बांटा गया है. तो इसे आप एक सीरीज़ की तरह भी देख सकते हैं. जाने से पहले एक और बात. सुपरहीरो फिल्म्स के एंड में पोस्ट-क्रेडिट सीन होता है. जहां आगे के पार्ट से संबंधित कुछ दिखाया जाता है. ये प्रथा मार्वल की फिल्मों ने शुरू की थी. लेकिन डीसी की फिल्मों तक चल रही है. यहां भी एक लंबा-चौड़ा पोस्ट-क्रेडिट सीन है. ऐसा जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे. कहानी खत्म होते ही फिल्म मत बंद कीजिएगा, ये सीन जरूर देखिएगा.
Batman
फिल्म खत्म करने के बाद अगले पार्ट्स का इंतज़ार रहेगा. ऐसे नोट पर एंड की है.

हो सकता है शुरुआत में फिल्म आपको थोड़ी स्लो लगे. लेकिन ऐसा सिर्फ कहानी सेटअप करने के मकसद से किया गया है. इस बात की गारंटी है कि फिल्म खत्म होने तक आपको कोई शिकायत नहीं रहेगी. बस रहेगा तो इंतज़ार. आगे आने वाले पार्ट्स का इंतज़ार. इतना ही कहेंगे कि फिल्म देख डालिए, निराश नहीं होंगे.